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संतुलित है भूपेश सरकार का बजट, जानिए और क्या कहते हैं अर्थशास्त्री - फूड फॉर ऑल

रायपुरः मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में अपना पहला और राज्य का 19वां बजट पेश किया. इस बजट को वरिष्ठ अर्थशास्त्री अशोक पाठक ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम मान रहे हैं.

अशोक पाठक
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Published : Feb 9, 2019, 11:04 AM IST

ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अशोक पाठक ने कहा कि बजट सरकार का आय-व्यय दिखाने का आइना होता है. इसे पारदर्शी होना बेहद जरूरी है. इस बार छत्तीसगढ़ का बजट पूरी तरह से लोकलुभावन दिख रहा है. इस बजट में सभी वर्गों को साधने की कोशिश की गई है. हालांकि प्रदेश के जीडीपी ग्रोथ को लेकर घोषणाओं का अभाव दिख रहा है. इसके साथ ही राजस्व बढ़ाने को लेकर भी बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है. ऐसे में सरकार के सामने राजकोषीय संकट बना रह सकता है.

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पाठक ने कहा कि छत्तीसगढ़ की 75% आबादी गांवों पर निर्भर रहती है. ऐसे में किसानों की आय बढ़ाने को लेकर बजट में फोकस किया गया है. बजट को संतुलित माना जा सकता है.
फूड फॉर ऑल जैसी स्कीम्स को बढ़ाया गया
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार के बजट में 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद में 6.8 की वृद्धि अनुमानित की गई है. इस लिहाज से योजनाओं का पैसा सीधा किसान के खाते में जाए, इसके लिए भी बजट में फोकस किया गया है. खासकर फूड फॉर ऑल जैसी स्कीम को बढ़ाने के लिए प्रत्येक राशन कार्ड पर 35 किलो चावल देने का प्रावधान किया गया है.
इतना ही नहीं किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए 5000 करोड़ का प्रावधान किया गया है. घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत देने एक बड़ा फैसला भी लिया गया है.


ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अशोक पाठक ने कहा कि बजट सरकार का आय-व्यय दिखाने का आइना होता है. इसे पारदर्शी होना बेहद जरूरी है. इस बार छत्तीसगढ़ का बजट पूरी तरह से लोकलुभावन दिख रहा है. इस बजट में सभी वर्गों को साधने की कोशिश की गई है. हालांकि प्रदेश के जीडीपी ग्रोथ को लेकर घोषणाओं का अभाव दिख रहा है. इसके साथ ही राजस्व बढ़ाने को लेकर भी बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है. ऐसे में सरकार के सामने राजकोषीय संकट बना रह सकता है.

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पाठक ने कहा कि छत्तीसगढ़ की 75% आबादी गांवों पर निर्भर रहती है. ऐसे में किसानों की आय बढ़ाने को लेकर बजट में फोकस किया गया है. बजट को संतुलित माना जा सकता है.
फूड फॉर ऑल जैसी स्कीम्स को बढ़ाया गया
बता दें कि छत्तीसगढ़ सरकार के बजट में 2018-19 में सकल घरेलू उत्पाद में 6.8 की वृद्धि अनुमानित की गई है. इस लिहाज से योजनाओं का पैसा सीधा किसान के खाते में जाए, इसके लिए भी बजट में फोकस किया गया है. खासकर फूड फॉर ऑल जैसी स्कीम को बढ़ाने के लिए प्रत्येक राशन कार्ड पर 35 किलो चावल देने का प्रावधान किया गया है.
इतना ही नहीं किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिए 5000 करोड़ का प्रावधान किया गया है. घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत देने एक बड़ा फैसला भी लिया गया है.


Intro:छत्तीसगढ़ विधानसभा में कांग्रेसी मुख्यमंत्री बनने के बाद भूपेश बघेल ने आज पहली बार बजट पेश किया है। इस बजट को लेकर अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह बजट ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा सकता है। किसानों की आमदनी बढ़ाने और रोजगार देने के लिए कई फैसले लिए गए हैं। खासकर छत्तीसगढ़ की 75% आबादी जो गांव पर निर्भर रहती है ऐसे किसानों की आय बढ़ाने को लेकर इसमें फोकस किया गया है। हालांकि राजस्व बढ़ाने को लेकर इस बजट में कोई विशेष पहल नहीं की गई है । इस लिहाज से बजट संतुलित तो माना जा रहा है लेकिन खर्च बढ़ने से राजस्व कोष में नुकसान का भी अंदेशा है।


Body:छत्तीसगढ़ सरकार के बजट में 2018 19 में सकल घरेलू उत्पाद में 6.8 की वृद्धि अनुमानित की गई है। इस लिहाज से योजनाओं का पैसा सीधा किसान के खाते में जाए इसके लिए भी बजट में फोकस किया गया है। खासकर फूड फॉर ऑल जैसी स्कीम को बढ़ाने के लिए प्रत्येक राशन कार्ड पर 35 किलो चावल देने का प्रावधान भी किया गया है। यही नहीं किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य दिलाने 5000 करोड़ का प्रावधान किया गया है। विधायक निधि को एक करोड़ 2 करोड़ बढ़ाया गया है, घरेलू उपभोक्ताओं को बिजली बिल में राहत देने एक बड़ा फैसला लिया गया है। ईसे लेकर प्रदेश के वरिष्ठ अर्थशास्त्री डॉ अशोक पाठक कहते हैं कि बजट सरकार का आय-व्यय दिखाने का आईना होता है, इसे पूरे पारदर्शी होना बेहद जरूरी है लेकिन इस बार छत्तीसगढ़ का बजट पूरी तरह लोकलुभावन दिख रहा है। इस बजट में सभी वर्गों को साधने की कोशिश की गई है प्रदेश के जीडीपी ग्रोथ को लेकर घोषणाओं का अभाव दिख रहा है। साथ ही राजस्व बढ़ाने को लेकर भी बजट में कोई खास प्रावधान नहीं किया गया है ऐसे में केवल खर्च बढ़ाने से सरकार के सामने राजपूती राजकोषीय संकट बना रहेगा क्योंकि खर्च पड़ेंगे और आय सीमित रहेगी।
बाईट- डॉ अशोक पारख, अर्थशास्त्री


Conclusion:क्योंकि प्रदेश सरकार को पहले से ही आय के स्रोत कम होने से अब तमाम तरह के टैक्स का पैसा सीधा केंद्र सरकार को जाता है। केवल वेट टैक्स और एक्साइज ड्यूटी व राजस्व ड्यूटी का ही बड़ा आय का स्रोत है। साथ ही माइनिंग को लेकर ही आए बना हुआ है, अब ऐसे हालात में लगातार सरकार घोषणाओं पर घोषणाएं किए जा रही है जिससे आम जनता खुश रहेगा लेकिन खजाना भी भरे रहना जरूरी है।
मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
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