रायपुर: राजधानी सहित पूरे देश में 16 जून से सोने के जेवर में हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दिया गया है. जिसके तहत देश में अब BIS-भारतीय मानक ब्यूरो की हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking)वाली गोल्ड ज्वैलरी ही बिकेगी.
राजधानी में भी 16 जून से सोने के जेवर में हॉलमार्क वाले जेवर को ही बेचने की अनुमति मिली है. सोने के जेवर में हॉल मार्किंग और एचयूआईडी कोड का पालन कर पाना सभी सराफा व्यापारियों के लिए मुश्किल होता जा रहा है. प्रदेश के लगभग 3500 सर्राफा की दुकान इस नए नियम से प्रभावित हो सकती है. इसकी वजह से सराफा दुकानदार ग्राहकों को ऑर्डर पर सोने के जेवर नहीं बेच पा रहे हैं. खरीददारों को रेडीमेड सोने के जेवर मजबूरी में खरीदना पड़ रहा है.
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एचयूआईडी कोड ने बढ़ाई 3500 सराफा दुकानदारों की परेशानी
सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष हरख मालू का कहना है कि, केंद्र सरकार की तरफ से 16 जून से एचयूआईडी कोड अनिवार्य किया गया है. सरकार ने हॉलमार्किंग के साथ एचयूआईडी कोड को अनिवार्य किया है. लेकिन एचयूआईडी कोड का पालन कर पाना सभी सराफा व्यापारियों के लिए मुश्किल दिखाई पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में लगभग 5500 सराफा की छोटी बड़ी दुकानें हैं. आउटर और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सराफा की लगभग 3500 दुकानें हैं. दुकानदारों का कहना है कि भारतीय मानक ब्यूरो और केंद्र सरकार द्वारा हॉलमार्किंग को लेकर बनाए गए मापदंड काफी कठिन और जटिल हैं. जिसे सरल बनाने या फिर उसे वापस लेने की मांग सर्राफा एसोसिएशन कर रहा है. इसके लिए रायपुर सराफा एसोसिएशन ने केंद्रीय उपभोक्ता मामले के मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर इसे वापस लेने की मांग की है.
सोने के जेवर पर हॉल मार्किंग अनिवार्य
पूरे छत्तीसगढ़ में लगभग 5500 सराफा व्यापारी हैं. लेकिन पूरे छत्तीसगढ़ में हॉल मार्किंग सेंटर की बात की जाए तो यह 6 है. जिसमें से राजधानी में 5 हॉलमार्किंग सेंटर और दुर्ग में 1 हॉलमार्किंग सेंटर बना हुआ है. जहां पर सोने के जेवर पर हॉल मार्किंग किया जा रहा है. वर्तमान में प्रदेश के दुर्ग और रायपुर में हॉल मार्किंग सेंटर होने के कारण दुर्ग और रायपुर में ही सोने के जेवर में हॉल मार्किंग जरूरी है. बाकी जिलों में हॉलमार्किंग सेंटर नहीं होने के कारण फिलहाल छूट दी गई है. इन जिलों में कोई भी सर्राफा व्यापारी बिना हॉल मार्किंग सोने के जेवर बेच सकता है.
यूआईडी से पता चलेगी गहनों की वास्तविकता
सरकार के नए नियम के तहत अब 1 जुलाई से हर नग की विशिष्ट पहचान (यूआईडी) बनवाना अनिवार्य है. इसमें ज्वैलर का कोड और नग की पहचान की डिटेल दर्ज होने का नियम बन चुका है. इससे ज्वेलरी कब और कहां से खरीदी गई इसकी पूरी जानकारी मिल जाएगी. इस यूआईडी (UID) को बीआईएस द्वारा बनाए जा रहे मोबाइल एप में फीडकर गहनों से संबंधित सभी डिटेल्स को चेक किया जा सकता है. इससे गहने के स्रोत का पता चल पाएगा. ये भी पता चल पाएगा कि ये गहने चोरी के तो नहीं है. इतना ही नहीं यूआईडी के जरिए दुकानदार जान सकेंगे की यह गहने असली है या नकली. यूआईडी के जरिए दुकानदार ये भी पता कर सकेंगे की ये गहने उन्होंने किसे बेची थी.
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हॉलमार्किंग के मापदंड की मुश्किलों ने बढ़ाई परेशानी
हॉलमार्किंग के मापदंड के बारे में सराफा एसोसिएशन ने बताया कि हॉलमार्किंग नियमों के अंतर्गत एचयूआईडी के नियम में कई तरह की कठिनाई हैं. जिसके कारण सर्राफा कारोबारी परेशान हैं. उन्होंने बताया कि हॉलमार्किंग सिस्टम में यूनिक एचयूआईडी प्रक्रिया बहुत ही ज्यादा कठिन है. इस प्रक्रिया के अनुसार सबसे पहले सर्राफा व्यापारी को पोर्टल में जानकारी देनी है. उसके बाद सूचना के आधार पर उसे हॉल मार्किंग सेंटर भेजा जाएगा जिसके बाद हाल मार्किंग सेंटर इसे स्वीकार करेगा या नहीं, इस तरह की दिक्कतें सर्राफा कारोबारियों को आ रही है.