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Budh Pradosh Vrat 2022 बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Worship method of Budh Pradosh fast प्रदोष व्रत को भगवान शिव के साथ माता पार्वती की कृपा बरसाने वाला व्रत माना गया है. इस व्रत को करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती है. बुध प्रदोष व्रत 24 अगस्त को है. इस व्रत की पूजा विधि जानने के लिए नीचे पढ़ें...

Budh Pradosh Vrat
बुध प्रदोष व्रत
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Published : Aug 21, 2022, 6:25 PM IST

रायपुर: हिंदू धर्म में प्रदोष को भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ व्रत करने से काफी लाभ मिलता है. सनातन परंपरा में इस पावन तिथि पर उस प्रदोष व्रत को रखे जाने की परंपरा है. जिसे करने पर व्यक्ति को जीवन से जुड़े सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि प्रदोष व्रत को विधि-विधान से करने पर साधक को भगवान शिव के साथ माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है. Worship method of Budh Pradosh fast

बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त: पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि 24 अगस्त 2022 को प्रात:काल 08:30 से लेकर 25 अगस्त 2022 को प्रात:काल 10:37 बजे तक रहेगी, जबकि प्रदोष काल 24 अगस्त को सायंकाल 06:52 से रात्रि 09:04 बजे तक रहेगा. इस तरह लगभग दो घंटे तक रहने वाले प्रदोष काल में शिव साधक अपनी पूजा कर सकेंगे. चूंकि दिन विशेष पर पड़ने वाले प्रदोष व्रत का नाम उसी के नाम पर पड़ता है, ऐसे में यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा.

यह भी पढ़ें: Ravi Pradosh Vrat 2022 : ऐसे करें रवि प्रदोष व्रत, ग्रह बाधा से मिलेगी मुक्ति !

बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि: साधक को त्रयोदशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले भगवान शिव के लिए रखे जाने वाले प्रदोष व्रत को करने का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिए. पूरे दिन मन ही मन में ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करते रहना चाहिए. इसके बाद शाम के समय प्रदोष की विशेष शिव पूजा करने से पहले एक बार फिर स्नान करना चाहिए. शाम के समय भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करते हुए प्रदोष व्रत की कथा का पाठ और आरती अवश्यक करना चाहिए. प्रदोष व्रत की पूजा के बाद अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.

बुध प्रदोष व्रत कथा: एक युवक का नया-नया विवाह हुआ. विवाह के बाद उसकी पत्नी मायके चली गई. कुछ दिन बाद जब वह युवक पत्नी को लेने गया, उस दिन बुधवार था. घर वालों ने उसे समझाया कि पत्नी को ले जाने के लिए बुधवार ठीक नहीं रहता, लेकिन युवक नहीं माना. बीच रास्ते में जब पत्नी को प्यास लगी तो युवक पानी लेने चला गया. जब वह वापस लौटा, तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी से बातें कर रही है. जब वह पास गया तो उसने देखा कि वो व्यक्ति बिल्कुल उसी की तरह दिखता था. दोनों को साथ में देख पत्नी भी आश्चर्य में पड़ गई. दोनों हमशक्लों में विवाद हो गया. तब युवक ने महादेव से प्रार्थना कि और बोला- मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैं बुधवार को पत्नी को विदा करा लिया. मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा. हे महादेव मेरी सहायता करो. इसके तुरंत बाद दूसरा युवक गायब हो गया और दोनों पति-पत्नी खुशी-खुशी घर आ गए.

रायपुर: हिंदू धर्म में प्रदोष को भगवान शिव की पूजा की जाती है. इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ व्रत करने से काफी लाभ मिलता है. सनातन परंपरा में इस पावन तिथि पर उस प्रदोष व्रत को रखे जाने की परंपरा है. जिसे करने पर व्यक्ति को जीवन से जुड़े सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि प्रदोष व्रत को विधि-विधान से करने पर साधक को भगवान शिव के साथ माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है. Worship method of Budh Pradosh fast

बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त: पंचांग के अनुसार त्रयोदशी तिथि 24 अगस्त 2022 को प्रात:काल 08:30 से लेकर 25 अगस्त 2022 को प्रात:काल 10:37 बजे तक रहेगी, जबकि प्रदोष काल 24 अगस्त को सायंकाल 06:52 से रात्रि 09:04 बजे तक रहेगा. इस तरह लगभग दो घंटे तक रहने वाले प्रदोष काल में शिव साधक अपनी पूजा कर सकेंगे. चूंकि दिन विशेष पर पड़ने वाले प्रदोष व्रत का नाम उसी के नाम पर पड़ता है, ऐसे में यह बुध प्रदोष व्रत कहलाएगा.

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बुध प्रदोष व्रत की पूजा विधि: साधक को त्रयोदशी के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले भगवान शिव के लिए रखे जाने वाले प्रदोष व्रत को करने का संकल्प लेना चाहिए. इसके बाद भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए. प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति को दिन में नहीं सोना चाहिए. पूरे दिन मन ही मन में ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र का जप करते रहना चाहिए. इसके बाद शाम के समय प्रदोष की विशेष शिव पूजा करने से पहले एक बार फिर स्नान करना चाहिए. शाम के समय भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करते हुए प्रदोष व्रत की कथा का पाठ और आरती अवश्यक करना चाहिए. प्रदोष व्रत की पूजा के बाद अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटें और स्वयं भी ग्रहण करें.

बुध प्रदोष व्रत कथा: एक युवक का नया-नया विवाह हुआ. विवाह के बाद उसकी पत्नी मायके चली गई. कुछ दिन बाद जब वह युवक पत्नी को लेने गया, उस दिन बुधवार था. घर वालों ने उसे समझाया कि पत्नी को ले जाने के लिए बुधवार ठीक नहीं रहता, लेकिन युवक नहीं माना. बीच रास्ते में जब पत्नी को प्यास लगी तो युवक पानी लेने चला गया. जब वह वापस लौटा, तो उसने देखा कि उसकी पत्नी किसी से बातें कर रही है. जब वह पास गया तो उसने देखा कि वो व्यक्ति बिल्कुल उसी की तरह दिखता था. दोनों को साथ में देख पत्नी भी आश्चर्य में पड़ गई. दोनों हमशक्लों में विवाद हो गया. तब युवक ने महादेव से प्रार्थना कि और बोला- मुझसे बड़ी भूल हुई कि मैं बुधवार को पत्नी को विदा करा लिया. मैं भविष्य में ऐसा कदापि नहीं करूंगा. हे महादेव मेरी सहायता करो. इसके तुरंत बाद दूसरा युवक गायब हो गया और दोनों पति-पत्नी खुशी-खुशी घर आ गए.

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