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छत्तीसगढ़ विधानसभा का बजट सत्र: बोधघाट परियोजना पर रमन सिंह ने सरकार को घेरा

छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के दौरान (budget session of chhattisgarh assembly) रमन सिंह ने सदन में बोधघाट परियोजना का मुद्दा उठाया. उन्होंने योजना की लेटलतीफी पर सरकार को घेरा

Chhattisgarh Assembly session
बोधघाट परियोजना पर सदन में बवाल
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Published : Mar 11, 2022, 5:01 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र (budget session of chhattisgarh assembly) की कार्यवाही का पांचवां दिन काफी गहमागहमी भरा रहा. पूर्व सीएम डॉक्टर रमन सिंह ने सदन में बोधघाट परियोजना को लेकर बघेल सरकार (Raman Singh questions to baghel government on Bodhghat project) से जवाब मांगा. रमन सिंह ने सरकार पर बोधघाट सिंचाई परियोजना पर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया, साथ ही निविदा प्रक्रिया की जानकारी मांगी. रमन सिंह ने सवाल किया कि 22 हजार करोड़ (Rs 22,000 crore) की बोधघाट परियोजना (Bodhghat project) का अभी तक डीपीआर नहीं बना है. यह डीपीआर कब बनेगा इसको लेकर उन्होंने सरकार से सवाल पूछा है.



ये भी पढ़ें-'ग्राम सभा की इजाजत के बाद ही शुरू होगी बोधघाट परियोजना, नहीं होगी नाइंसाफी'

रमन के सवाल पर मंत्री उमेश पटेल का जवाब

इस सवाल का जवाब संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे को देना था लेकिन सदन में उनकी अनुपस्थिति के कारण मंत्री उमेश पटेल ने डॉक्टर रमन सिंह के सवाल का जवाब दिया. मंत्री उमेश पटेल के मुताबिक बोधघाट सिंचाई परियोजना के लिए प्रतिवेदन तैयार करने निविदा जारी नहीं की गई है. इसलिए डीपीआर बनाने को लेकर निश्चित समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है.बोधघाट परियोजना का सर्वेक्षण (Survey of Bodhghat Project) और डीपीआर बनाने के लिए 4154.38 लाख की स्वीकृति की गई है. इस फिर रमन सिंह ने सवाल किया कि, योजना के लिए प्राथमिक सर्वे रिपोर्ट में क्या-क्या कमी है. जिसके जवाब में उमेश पटेल ने कहा कि 70% सर्वे का कार्य पूरा हुआ है. फरवरी 2022 तक समय सीमा रखी गई थी इसे और बढ़ाया गया है. इसके बाद डॉ रमन सिंह ने आसंदी से इस इस विषय पर चर्चा कराए जाने की मांग की, जिस पर आसंदी ने विभागीय मंत्री की अनुपस्थिति के कारण प्रश्न पर आधे घंटे की चर्चा स्वीकृत की.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: क्या है बोधघाट परियोजना, क्यों फिर शुरू हुई रार ?

क्या है बोधघाट परियोजना ?

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य की प्रमुख नदियों में से एक इंद्रावती (Indravati river) को बस्तर की जीवनदायिनी नदी कहा जाता है. यहां 40 साल पहले बोधघाट के नाम से एक परियोजना की शुरुआत की गई. लेकिन 1979 में केंद्र सरकार ने नया वन संरक्षण अधिनियम 1980 (New Forest Conservation Act 1980) लागू कर दिया. इसके साथ ही नए सिरे से अनुमति की जरूरत पड़ी और 1985 में एक बार फिर से केंद्र सरकार से स्वीकृति मिली. बोधघाट परियोजना के साथ ही शुरू हुए आंध्र प्रदेश के पोलावरम परियोजना का काम लगभग खत्म हो चुका है. लेकिन छत्तीसगढ़ में 40 साल बीत जाने के बाद भी इस परियोजना को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. कांग्रेस की सरकार आने के बाद इस परियोजना को नए सिरे से शुरू किया जा रहा है.

बोधघाट परियोजना से जुड़े तथ्य

  • 22 हजार करोड़ रुपए की है बोधघाट परियोजना
  • बोधघाट हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से 300 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य
  • दंतेवाड़ा के बारसूर (Barsoor) के पास बड़ा डैम बनाने की तैयारी
  • 3,66,580 हेक्टेयर भूमि की होगी सिंचाई
  • माओवादी क्षेत्र दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों को मिलेगा लाभ

रायपुर: छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र (budget session of chhattisgarh assembly) की कार्यवाही का पांचवां दिन काफी गहमागहमी भरा रहा. पूर्व सीएम डॉक्टर रमन सिंह ने सदन में बोधघाट परियोजना को लेकर बघेल सरकार (Raman Singh questions to baghel government on Bodhghat project) से जवाब मांगा. रमन सिंह ने सरकार पर बोधघाट सिंचाई परियोजना पर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाया, साथ ही निविदा प्रक्रिया की जानकारी मांगी. रमन सिंह ने सवाल किया कि 22 हजार करोड़ (Rs 22,000 crore) की बोधघाट परियोजना (Bodhghat project) का अभी तक डीपीआर नहीं बना है. यह डीपीआर कब बनेगा इसको लेकर उन्होंने सरकार से सवाल पूछा है.



ये भी पढ़ें-'ग्राम सभा की इजाजत के बाद ही शुरू होगी बोधघाट परियोजना, नहीं होगी नाइंसाफी'

रमन के सवाल पर मंत्री उमेश पटेल का जवाब

इस सवाल का जवाब संसदीय कार्य मंत्री रविंद्र चौबे को देना था लेकिन सदन में उनकी अनुपस्थिति के कारण मंत्री उमेश पटेल ने डॉक्टर रमन सिंह के सवाल का जवाब दिया. मंत्री उमेश पटेल के मुताबिक बोधघाट सिंचाई परियोजना के लिए प्रतिवेदन तैयार करने निविदा जारी नहीं की गई है. इसलिए डीपीआर बनाने को लेकर निश्चित समय सीमा बताया जाना संभव नहीं है.बोधघाट परियोजना का सर्वेक्षण (Survey of Bodhghat Project) और डीपीआर बनाने के लिए 4154.38 लाख की स्वीकृति की गई है. इस फिर रमन सिंह ने सवाल किया कि, योजना के लिए प्राथमिक सर्वे रिपोर्ट में क्या-क्या कमी है. जिसके जवाब में उमेश पटेल ने कहा कि 70% सर्वे का कार्य पूरा हुआ है. फरवरी 2022 तक समय सीमा रखी गई थी इसे और बढ़ाया गया है. इसके बाद डॉ रमन सिंह ने आसंदी से इस इस विषय पर चर्चा कराए जाने की मांग की, जिस पर आसंदी ने विभागीय मंत्री की अनुपस्थिति के कारण प्रश्न पर आधे घंटे की चर्चा स्वीकृत की.

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क्या है बोधघाट परियोजना ?

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ राज्य की प्रमुख नदियों में से एक इंद्रावती (Indravati river) को बस्तर की जीवनदायिनी नदी कहा जाता है. यहां 40 साल पहले बोधघाट के नाम से एक परियोजना की शुरुआत की गई. लेकिन 1979 में केंद्र सरकार ने नया वन संरक्षण अधिनियम 1980 (New Forest Conservation Act 1980) लागू कर दिया. इसके साथ ही नए सिरे से अनुमति की जरूरत पड़ी और 1985 में एक बार फिर से केंद्र सरकार से स्वीकृति मिली. बोधघाट परियोजना के साथ ही शुरू हुए आंध्र प्रदेश के पोलावरम परियोजना का काम लगभग खत्म हो चुका है. लेकिन छत्तीसगढ़ में 40 साल बीत जाने के बाद भी इस परियोजना को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. कांग्रेस की सरकार आने के बाद इस परियोजना को नए सिरे से शुरू किया जा रहा है.

बोधघाट परियोजना से जुड़े तथ्य

  • 22 हजार करोड़ रुपए की है बोधघाट परियोजना
  • बोधघाट हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट से 300 मेगावाट बिजली उत्पादन का लक्ष्य
  • दंतेवाड़ा के बारसूर (Barsoor) के पास बड़ा डैम बनाने की तैयारी
  • 3,66,580 हेक्टेयर भूमि की होगी सिंचाई
  • माओवादी क्षेत्र दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिलों को मिलेगा लाभ
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