रायपुर: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नेतृत्व वाली राज्य सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही उसकी ओर से तमाम योजनाओं के किए गए नामकरण को लेकर विवादों होता रहा है. 21 मई को किसानों को सौगात देने के नाम पर शुरू की गई राजीव गांधी किसान न्याय योजना के नाम पर भी सियासत हो रही है. बता दें कांग्रेस ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर उनकी पुण्यतिथि पर योजना लॉन्च की है. इस दौरान दिल्ली से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी भी शामिल हुए थे. सोनिया गांधी ने तो इस योजना को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि बताया था. लेकिन बीजेपी अब कांग्रेस को घेरने में लगी है. आरोप-प्रत्यारोप के साथ दोनों दल एक दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.
नाम पर राजनीति
भाजपा किसान मोर्चा के नेता संदीप शर्मा ने प्रदेश कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि पूर्व PM राजीव गांधी के नाम पर लाई गई योजना दरअसल किसानों का ही पैसा है. शर्मा ने पूछा कि कांग्रेस कहती है योजनाओं के नाम संबंधित व्यक्ति के नाम पर होनी चाहिए. ऐसे में कांग्रेस बताए कि राजीव गांधी का खेती किसानी से क्या लेना देना है. इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस पार्टी गांधी-नेहरू परिवार के ही इर्द-गिर्द घूम रही है. और तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं के नाम भी गांधी परिवार के नाम पर ही रखे जा रहे हैं.
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बता दें कांग्रेस की ओर से रायपुर स्थित कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय का नाम बदलकर चंदूलाल चंद्राकर पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय करने के निर्णय पर सवाल उठा था. तब कांग्रेस ने ये तर्क दिए था कि कुशाभाऊ ठाकरे का पत्रकारिता से कोई लेना देना नहीं था. इसलिए ऐसा किया जा रहा है. इस तर्क के आधार पर ही बीजेपी अब कांग्रेस पर सवाल उठा रही है.
कांग्रेस का पलटवार
विवाद के बीच बीजेपी के सवालों के जवाब देने कांग्रेस के मीडिया प्रभारी शैलेश नितिन त्रिवेदी सामने आए. त्रिवेदी ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी बताए कि देश के आजादी के इतिहास में RSS और BJP का क्या योगदान है. क्या उनके तत्कालीन पदाधिकारियों ने आजादी के लड़ाई में भाग लिया था. इसके साथ ही कहा कि देश के प्रधानमंत्री रहे राजीव गांधी और इंदिरा गांधी देश के लिए शहीद हुए हैं. उनके नाम पर किसी योजना का नाम रखा जाना देश के लिए गर्व की बात है.
जानकारों ने क्या कहा
नाम को लेकर चल रही सियासत पर वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा ने कहा कि, किसी योजना का नामकरण पार्टी का निजी मामला है. इस सवाल नहीं उठाया जा सकता. लेकिन सत्ता में आने के बाद कांग्रेस ने कई भवन और योजनाओं के नाम लोकल (राज्य के) नेता और समासेवियों के नाम पर रखे हैं. ऐसे ही किसान संबंधित योजना का नाम राज्य के किसी समाजसेवी या जननेता का नाम पर रखा जा सकता था, जिसने किसानों के लिए काम किए हैं.