रायपुर: महासमुंद जिले के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले के अनशन का शोर रायपुर तक सुनाई दे रहा है. इस मामले में जमकर सियासत हो रही है. विपक्षी दलों ने सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व सीएम रमन सिंह, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने सरकार को आड़े हाथों लिया है. इधर सरकार ने इस मामले में जांच कमेटी बना दी है. महिला एवं बाल विकास विभाग की संचालक दिव्या मिश्रा ने प्रगति महिला स्व सहायता समूह और एकता महिला स्व सहायता समूह के दो पर्यवेक्षक को बर्खास्त कर दिया है.
घोटाले पर कार्रवाई न होने से नाराज अफसर
दरअसल, महासमुंद जिले के महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी सुधाकर बोदले अपने ही जिला प्रशासन और उच्च अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. सुधाकर बोदले का आरोप है कि कन्या विवाह योजना और रेडी-टू-ईट में भ्रष्टाचार को लेकर उन्होंने जांच प्रतिवेदन जिला प्रशासन और विभाग के उच्च अधिकारियों को भेजा था. लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई. जिसे लेकर बोदले अपने ही घर में धरने पर बैठे गए. रविवार शाम को पुलिस उन्हें बिना अनुमति के अनशन पर बैठने के लिए प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया.
पूर्व सीएम रमन सिंह ने सरकार पर साधा निशाना
इस मामले में अब सियासत भी शुरू हो गई है. पूर्व सीएम रमन सिंह ने बघेल सरकार पर बड़ा हमला बोला है. रमन सिंह ने सीएम को पत्र लिखकर मामले की जांच की मांग की है. वहीं ट्वीट कर बघेल सरकार को निशाने पर लेते हुए राहुल गांधी और पीएल पुनिया से सवाल पूछा है. अपने ट्वीट में रमन सिंह ने लिखा है कि 'भूपेश सरकार भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी में इस कदर डूबी हुई है कि अब उसके अधिकारी ही सरकार के खिलाफ अनशन करने मजबूर हैं' राहुल गांधी और पीएल पुनिया क्या अब कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आमरण अनशन पर बैठे महिला बाल विकास अधिकारी को न्याय दिलाएंगे. शर्मनाक! '
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अफसर के अनशन से हिली सरकार, महिला बाल विकास विभाग ने बनाई जांच समिति
सरकार पर बरसे नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक
इस मामले में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने भी सरकार पर निशाना साधा है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार भष्ट्राचार में डूबी हुई है. यही कारण है कि अब अधिकारियों को भी भष्ट्राचार के खिलाफ सत्याग्रह करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि धरने पर बैठे अधिकारी ने प्रदेश सरकार को आईना दिखाने का काम किया है. किस तरह से महिला बाल विकास विभाग में भष्ट्राचार किया गया है. यह उसका उदाहरण है. उन्होंने कहा कि यह निंदनीय है. इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए, जिससे दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो सके.
30 लाख रुपये का घोटाला
मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत वैवाहिक जोड़ों को कुछ सामान दिया जाता है. इसके लिए टेंडर होता है. आरोप है कि 2020 और 2021 में ब्रांडेड बताकर लोकल सामग्री बांट दी गई. इसका पता सत्यापन के दौरान चला था. इसी साल गुणवत्ता विहीन रेडी-टू-ईट फूड वितरण का मामला पकड़ा गया. यह दोनों मिलाकर करीब 30 लाख रुपये की अनियमितता बताई जा रही है. आरोप महासमुंद के ही बाल विकास परियोजना अधिकारी विजय सरल पर लगा है.
बिना अनुमति घर पर अनशन करने वाले महिला बाल विकास अधिकारी गिरफ्तार
अफसर ने क्यों की बगावत ?
महासमुंद के महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोदले का कहना है कि 23 अप्रैल 2020 को कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपी गई थी. फिर इसी साल 5 मई और 10 मई को भी कलेक्टर को पत्र लिखा, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई. कार्रवाई नहीं हुई तो अफसर ने बगावत कर दी. उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखकर बाकायदा अनशन की अनुमति मांगी. लॉकडाउन का हवाला देकर कलेक्टर ने ऐसी अनुमति देने से इनकार कर दिया. नाराज अफसर ने अपने घर में ही बैनर लगाकर अनशन शुरू कर दिया. बाद में पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया.
पांच दिन में मांगी रिपोर्ट
महिला एवं बाल विकास विभाग की सचिव रीना बाबा साहब कंगाले ने इस जांच समिति में विभाग की संयुक्त संचालक क्रिस्टीना लाल, संयुक्त संचालक वित्त भावेश कुमार दुबे, उप संचालक आरजे कुशवाहा और उप संचालक प्रियंका केश को शामिल किया है. इन पांचों लोगों को महासमुंद जिले में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी टू ईट योजना में हुई अनियमितता के आरोपों की जांच करनी है. इस समिति को जांच पूरी कर रिपोर्ट देने के लिए पांच दिनों का समय दिया गया है.