ETV Bharat / state

जातिगत वोट बैंक का मामला: साहू समाज के कार्यक्रम में एक साथ दिखे बीजेपी और कांग्रेस के नेता - जातिगत वोट बैंक का मामला

छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के पदाधिकारियों के शपथ ग्रहण समारोह में भाजपा और कांग्रेस एक मंच पर (BJP Congress on one stage in Raipur) दिखे. इस दौरान सीएम भूपेश बघेल ने सभी दलों के एक होने की बात कही.

Chhattisgarh Pradesh Sahu Sangh
छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ
author img

By

Published : May 2, 2022, 11:04 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया, यह आयोजन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के इंडोर स्टेडियम में था. इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल हुए. मुख्यमंत्री की उपस्थिति में साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष टहलसिंह साहू ने शपथ ग्रहण किया. उपाध्यक्ष भुनेश्वर साहू और महिला उपाध्यक्ष के रूप में मोहन कुमारी साहू सहित 22 प्रदेश पदाधिकारीयों ने भी शपथ ग्रहण किया. खास बात यह रही कि, इस मंच पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि एक साथ मौजूद (BJP Congress on one stage in Raipur) थे. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साहू समाज के भवन का भूमिपूजन किया.

भाजपा-कांग्रेस के नेता एक मंच पर

दरअसल, छत्तीसगढ़ में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल बनने लगा है. प्रदेश में करीब 47 फीसद ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की आबादी है, जिसमें करीब 12 फीसद साहू समाज की आबादी भी शामिल है, जिनकी चुनाव में अच्छी दखल होगी. यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के सभी राजनीतिक दल अब जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर साहू समाज को साधने में जुट गए हैं.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंच से संबोधित करते हुए कहा "समाज में हर 3 साल में चुनाव होते हैं. समाज में हर दल के लोग होते हैं. राजनीति में हर पार्टी के लोग होते हैं. समाज में सामाजिक मर्यादा जरूरी होता है. राजनीति में राजनीतिक मर्यादा जरूरी होती है. सभी का सम्मान समाज में होता है. सब बराबर होते हैं.आज इस मंच पर भी कांग्रेस के साथ भाजपा के लोग भी बैठे हैं क्योंकि यह सभी लोग एक समाज से आते हैं. जनप्रतिनिधियों को काम करने का पैसा भी मिलता हैं लेकिन समाज के पदाधिकारियों को सिर्फ गाली ही मिलती है."

यह भी पढ़ें: ननकीराम कंवर का बघेल सरकार पर तंज, ''हम मोदी के फॉलोअर हैं, ना खाएंगे, ना खाने देंगे''

ओबीसी आबादी को लेकर अलग-अलग दावे: प्रदेश में ओबीसी की आबादी और उसके अंदर अलग-अलग जातियों की आबादी को लेकर काफी विवाद है. ओबीसी की आबादी 47 फीसद मानी जाती है, लेकिन यह वर्ग 52 फीसद का दावा करता है. इसी तरह इसमें शामिल 95 से अधिक जातियों के दावे भी अलग-अलग हैं. ओबीसी में भी साहू की आबादी 11 से 12 फीसद के बीच है. यादव आठ से नौ फीसद, मरार, निषाद व कुर्मी की आबादी करीब चार से पांच फीसद अनुमानित है.

अनुसूचित जनजाति: राज्य की आबादी का 32 फीसद हिस्सा अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग का है. इसमें करीब 42 जातियां शामिल हैं. एसटी वर्ग का सर्वाधिक प्रभाव बस्तर, सरगुजा व रायगढ़ क्षेत्र में हैं. अन्य क्षेत्रों में भी इनकी आबादी 10 फीसद से कम नहीं है. राज्य की 29 विधानसभा सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित है, लेकिन करीब 35 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां एसटी की आबादी 50 फीसद से अधिक है.

अनुसूचित जाति: राज्य की आबादी का 12.81 फीसद हिस्सा अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग है. इस वर्ग के लिए 10 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन करीब आठ से दस सामान्य सीटों पर भी इनका प्रभाव अच्छा है.

अन्य पिछड़ा वर्ग: छत्तीसगढ़ में ओबीसी में 95 से अधिक जातियां शामिल हैं. आबादी में इनका हिस्सा 47 फीसद है, लेकिन दावा 52 फीसद से अधिक का किया जाता है. 49 सामान्य सीटों में से ज्यादातर में विशेष रूप से मैदानी क्षेत्रों में इनका प्रभाव अधिक है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ प्रदेश साहू संघ के पदाधिकारियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया गया, यह आयोजन छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के इंडोर स्टेडियम में था. इस सम्मेलन में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शामिल हुए. मुख्यमंत्री की उपस्थिति में साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष टहलसिंह साहू ने शपथ ग्रहण किया. उपाध्यक्ष भुनेश्वर साहू और महिला उपाध्यक्ष के रूप में मोहन कुमारी साहू सहित 22 प्रदेश पदाधिकारीयों ने भी शपथ ग्रहण किया. खास बात यह रही कि, इस मंच पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ही राजनीतिक दलों के जनप्रतिनिधि एक साथ मौजूद (BJP Congress on one stage in Raipur) थे. इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने साहू समाज के भवन का भूमिपूजन किया.

भाजपा-कांग्रेस के नेता एक मंच पर

दरअसल, छत्तीसगढ़ में होने वाले 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी माहौल बनने लगा है. प्रदेश में करीब 47 फीसद ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) की आबादी है, जिसमें करीब 12 फीसद साहू समाज की आबादी भी शामिल है, जिनकी चुनाव में अच्छी दखल होगी. यही कारण है कि छत्तीसगढ़ के सभी राजनीतिक दल अब जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखकर साहू समाज को साधने में जुट गए हैं.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंच से संबोधित करते हुए कहा "समाज में हर 3 साल में चुनाव होते हैं. समाज में हर दल के लोग होते हैं. राजनीति में हर पार्टी के लोग होते हैं. समाज में सामाजिक मर्यादा जरूरी होता है. राजनीति में राजनीतिक मर्यादा जरूरी होती है. सभी का सम्मान समाज में होता है. सब बराबर होते हैं.आज इस मंच पर भी कांग्रेस के साथ भाजपा के लोग भी बैठे हैं क्योंकि यह सभी लोग एक समाज से आते हैं. जनप्रतिनिधियों को काम करने का पैसा भी मिलता हैं लेकिन समाज के पदाधिकारियों को सिर्फ गाली ही मिलती है."

यह भी पढ़ें: ननकीराम कंवर का बघेल सरकार पर तंज, ''हम मोदी के फॉलोअर हैं, ना खाएंगे, ना खाने देंगे''

ओबीसी आबादी को लेकर अलग-अलग दावे: प्रदेश में ओबीसी की आबादी और उसके अंदर अलग-अलग जातियों की आबादी को लेकर काफी विवाद है. ओबीसी की आबादी 47 फीसद मानी जाती है, लेकिन यह वर्ग 52 फीसद का दावा करता है. इसी तरह इसमें शामिल 95 से अधिक जातियों के दावे भी अलग-अलग हैं. ओबीसी में भी साहू की आबादी 11 से 12 फीसद के बीच है. यादव आठ से नौ फीसद, मरार, निषाद व कुर्मी की आबादी करीब चार से पांच फीसद अनुमानित है.

अनुसूचित जनजाति: राज्य की आबादी का 32 फीसद हिस्सा अनुसूचित जनजाति (एसटी) वर्ग का है. इसमें करीब 42 जातियां शामिल हैं. एसटी वर्ग का सर्वाधिक प्रभाव बस्तर, सरगुजा व रायगढ़ क्षेत्र में हैं. अन्य क्षेत्रों में भी इनकी आबादी 10 फीसद से कम नहीं है. राज्य की 29 विधानसभा सीटें इस वर्ग के लिए आरक्षित है, लेकिन करीब 35 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां एसटी की आबादी 50 फीसद से अधिक है.

अनुसूचित जाति: राज्य की आबादी का 12.81 फीसद हिस्सा अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग है. इस वर्ग के लिए 10 सीटें आरक्षित हैं, लेकिन करीब आठ से दस सामान्य सीटों पर भी इनका प्रभाव अच्छा है.

अन्य पिछड़ा वर्ग: छत्तीसगढ़ में ओबीसी में 95 से अधिक जातियां शामिल हैं. आबादी में इनका हिस्सा 47 फीसद है, लेकिन दावा 52 फीसद से अधिक का किया जाता है. 49 सामान्य सीटों में से ज्यादातर में विशेष रूप से मैदानी क्षेत्रों में इनका प्रभाव अधिक है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.