रायपुर: धान, छत्तीसगढ़ की सियासत का एक बड़ा मुद्दा रहा है. कभी धान खरीदी, तो कभी धान खराब होना, तो कभी धान का समर्थन मूल्य (support price of paddy) राजनीति का विषय बना रहता है. 9 जून को केंद्र सरकार ने वर्ष 2021-22 के दौरान धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 72 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 1,940 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया. इसके साथ ही खरीफ मौसम की अन्य फसलों की भी एमएसपी बढ़ाई गई है. जिसके बाद छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने केंद्र सरकार की तरफ से अब तक बढ़ाए गए धान के समर्थन मूल्य की एक सूची जारी की है. जिसमें बताया गया है कि, जब देश में भाजपा की सरकार थी और अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) प्रधानमंत्री थे, तो उस दौरान धान का समर्थन मूल्य कितना था. उसके बाद मनमोहन सरकार में धान का समर्थन मूल्य कितना बढ़ाया गया ? वर्तमान की मोदी सरकार के कार्यकाल में धान का समर्थन मूल्य कितना है ? इन आंकड़ों को जारी करते हुए कांग्रेस ने केंद्र की भाजपा सरकार पर किसान विरोधी होने का आरोप लगाया है.
आइए पहले बात करते हैं कि किसकी सरकार में धान का समर्थन मूल्य कितना था और उसमें कितनी बढ़ोतरी की गई ?
- जब केंद्र में साल 1999 में NDA सरकार थी तो उस दौरान धान का समर्थन मूल्य 480 प्रति क्विंटल रुपये था. जो साल 2003 में 540 रुपये प्रति क्विंटल पहुंचा. इस दौरान केंद्र में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार थी.
- बाजपेयी सरकार के जाने के बाद केंद्र में UPA की सरकार आई. डॉक्टर मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने. प्रधानमंत्री बनने के बाद साल 2005 में धान का समर्थन मूल्य 570 रुपये प्रति क्विंटल था. इस दौरान केंद्र ने 50 रुपये का बोनस भी दिया.
- इसके बाद साल 2008 में डॉ मनमोहन सिंह की सरकार में ही धान का समर्थन मूल्य 850 रुपये प्रति क्विंटल किया गया. इस दौरान 50 रुपये केंद्र सरकार की ओर से और 220 रुपये प्रति क्विंटल राज्य सरकार की ओर से बोनस दिया गया. दोनों सरकारों का बोनस मिलने के बाद धान का समर्थन मूल्य 1120 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गया था. हालांकि उस दौरान छत्तीसगढ़ में भाजपा की रमन सरकार थी.
- इसके बाद UPA की मनमोहन सरकार में ही साल 2011 में धान का समर्थन मूल्य 1080 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गया. इस दौरान केंद्र सरकार के द्वारा 50 रुपये बोनस भी दिया गया.
- साल 2012 में मनमोहन सरकार में ही धान का समर्थन मूल्य 1250 रुपये प्रति क्विंटल किया गया. इस साल राज्य सरकार ने 270 रुपये बोनस किसानों को दिया गया. तब भी प्रदेश में भाजपा की रमन सरकार थी.
- साल 2013 में जब मनमोहन सरकार का कार्यकाल खत्म हुआ. इस साल धान का समर्थन मूल्य 1310 प्रति क्विंटल रुपये था.
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2014 में मोदी सरकार ने 50 रुपये बढ़ाकर धान का समर्थन मूल्य 1360 रुपये प्रति क्विंटल किया
- साल 2014 में केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार आई. उस दौरान मोदी सरकार ने धान का समर्थन मूल्य 1360 रुपये प्रति क्विंटल किया.
- मोदी सरकार के कार्यकाल में ही साल 2016 में धान का समर्थन मूल्य 1470 रुपये किया गया. इस साल राज्य सरकार की ओर से 300 रुपये अतिरिक्त किसानों को बोनस के रूप में दिए गए. इस दौरान भी राज्य में रमन सरकार ही थी.
- साल 2017 में धान का समर्थन मूल्य 1550 रुपये प्रति क्विंटल था. जो साल 2021 में 1940 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया.
- साल 2020 में धान का समर्थन मूल्य 1868 रुपये प्रति क्विंटल था. यानी इस साल सिर्फ 72 रुपये प्रति क्विंटल धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया गया.
वाजपेयी सरकार में 6 साल में 60 रुपये प्रति क्विंटल कीमत बढ़े हैं
इस तरह कहा जा सकता है कि केंद्र में साल 1999 से लेकर साल 2004 तक वाजपेयी सरकार में धान का समर्थन मूल्य 480 रुपये से लेकर 540 रुपये किया गया. यानि इन 6 सालों में धान का समर्थन मूल्य सिर्फ 60 बढ़ाए गए थे.
10 साल में मनमोहन सरकार ने समर्थन मूल्य बढ़ाकर 770 रुपये प्रति क्विंटल किया
जबकि साल 2004 से लेकर साल 2014 तक केंद्र में कांग्रेस की मनमोहन सरकार थी. इस दौरान धान का समर्थन मूल्य 540 रुपये से लेकर 1310 रुपये पहुंच गया. यानी कि मनमोहन सिंह की सरकार के कार्यकाल में 10 सालों में धान का समर्थन मूल्य करीब 770 रुपये बढ़ा. जो बाजपेयी शासनकाल से कई गुना ज्यादा था.
मोदी सरकार में धान का समर्थन मूल्य 580 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा
साल 2014 में एक बार फिर देश की सत्ता पर भाजपा काबिज हुई और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया गया. मोदी के कार्यकाल की बात की जाए तो साल 2014 में धान का समर्थन मूल्य 1360 रुपये था. जो साल 2021 में बढ़कर 1940 रुपये प्रति क्विंटल हो गया. मोदी सरकार के 7 साल में धान का समर्थन मूल्य मात्र 580 रुपये बढ़ा.
'कांग्रेस के शासनकाल में धान का समर्थन मूल्य ज्यादा बढ़ा'
पत्रकार अनिल द्विवेदी का कहना है कि यदि आंकड़ों पर नजर डालें तो उसके अनुसार कांग्रेस के शासनकाल में धान का समर्थन मूल्य भाजपा के शासनकाल की अपेक्षा कहीं ज्यादा बढ़ा है. अनिल द्विवेदी यह भी कहते नजर आए कि भले ही भाजपा ने धान का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ाया. लेकिन अन्य किसानों से संबंधित योजनाओं को जरूर बढ़ावा दिया है.
आंकड़ों से साफ है कि भाजपा के दो बार के शासनकाल में जितना धान का समर्थन मूल्य नहीं बढ़ा. उतना डॉ मनमोहन सिंह की सरकार ने अपने 10 साल के कार्यकाल में बढ़ाया. यही वजह है कि आज कांग्रेस किसानों के साथ होने का दावा करती है. अनिल द्विवेदी का कहना है कि मोदी सरकार को 7 साल से ज्यादा का समय हो गया है. 3 साल बचे हैं जिसमें मोदी सरकार को दिखाना होगा कि वो किसानों के साथ खड़ी है.
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'अटल सरकार में 50 से 75 रुपये बढ़ा धान का समर्थन मूल्य'
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता विकास तिवारी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार किसान विरोधी सरकार है. जब केंद्र में भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तब धान का समर्थन मूल्य 50 रुपये से लेकर 75 प्रति क्विंटल तक बढ़ा. जब केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार आई तो उस दौरान 10 साल में डॉक्टर मनमोहन सिंह ने 135 प्रति क्विंटल के हिसाब से धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया. इसके बाद जब देश में मोदी सरकार आई तो उनके 7 साल के कार्यकाल का एवरेज निकाला जाए तो मात्र 85 रुपये धान समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है. कांग्रेस का आरोप है कि जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पूंजीपति मित्रों का करोड़ों रुपये का कर्जा माफ करते हैं. वहीं दूसरी ओर किसानों का धान का समर्थन मूल्य ऊंट के मुंह में जीरा के समान बढ़ाते हैं. यही कारण हैं कि मोदी सरकार किसान विरोधी सरकार है. आज डीजल-पेट्रोल के दाम आसमान छू रहे हैं. लेकिन इस साल मोदी सरकार ने मात्र 72 धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया है.
बहरहाल धान को लेकर प्रदेश में लगातार सियासत गर्मा रही है. अब देखने वाली बात है कि आने वाले समय में धान के समर्थन मूल्य को लेकर कांग्रेस और बीजेपी का क्या रुख होता है. जहां एक और भाजपा साल 2022 तक किसानों की आय दोगुनी किए जाने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर जिस गति से धान का समर्थन मूल्य बढ़ाया जा रहा है उसे देखकर लगता नहीं है कि उनका यह दावा सच साबित होगा.