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न्यू स्वागत विहार मामले में मिली राहत, भूमि विस्थापितों ने मिठाई बांटकर किया खुशी का इजहार - new swagat vihar

न्यू स्वागत विहार पीड़ितों को हाईकोर्ट से न्याय मिला है. हाईकोर्ट ने साल 2013 के निरस्त ले-आउट को बहाल करने को लेकर आदेश दिया है.

न्यू स्वागत विहार
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Published : Aug 22, 2019, 7:41 AM IST

Updated : Aug 22, 2019, 12:56 PM IST

रायपुर: न्यू स्वागत विहार पीड़ितों को हाईकोर्ट से न्याय मिला है. बिल्डर संजय वाजपेयी ने सरकारी जमीन को भी इस जमीन में शामिल किया था. हाईकोर्ट ने साल 2013 के निरस्त ले-आउट को बहाल करने को लेकर आदेश दिया है. साथ ही बिल्डर को 12 सितंबर 2019 तक मामले को निराकृत करने का आदेश भी दे दिया है. इस आदेश के बाद न्यू स्वागत विहार में जमीन खरीद चुके फरियादियों को राहत की उम्मीद है.

न्यू स्वागत विहार

न्यू स्वागत विहार गांव डूंडा में प्लॉट खरीदकर घर बनाने का सपना संजोए हजारों उपभोक्ताओं को बुधवार को न्यायालय से न्याय मिला है. हाईकोर्ट में न्यायाधीश ने अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यू स्वागत विहार के पुराने ले-आउट को बहाल करते हुए 12 सितंबर 2019 तक मामले को निराकृत करने आदेश किया है.
न्यू स्वागत विहार संघर्ष समिति के सदस्यों ने हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर न्यायाधीश संजय के अग्रवाल के न्यायालय ने राहत प्रदान की. न्यायालय ने बिल्डर से दिए गए नक्शे को निरस्त करते हुए मूल ले-आउट को ही बहाल करने अंतरिम आदेश किया है.

फैसले पर जताई खुशी

न्यू स्वागत विहार संघर्ष समिति के सदस्य 3 जुलाई 2016 से लगातार कानूनी और जमीनी लड़ाई लड़ रहे थे. न्यू स्वागत विहार पीड़ितों ने न्यायालय के फैसले पर खुशी जताई है. रायपुर के शारदा चौक में न्यू स्वागत विहार भूमि विस्थापित समिति के सदस्यों में मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया है. न्यू स्वागत विहार भू स्वामी कल्याण समिति के अध्यक्ष अनिल राव ने बताया कि समिति के सदस्यों ने हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर न्यायाधीश संजय अग्रवाल के न्यायालय ने भारी राहत प्रदान की है.

यह था मामला

एप्रूवल मिलते ही बैंकों ने भी इस कॉलोनी में लोगों को जमीन और मकान के लिए जमकर लोन बांटे हैं, लेकिन जांच पड़ताल ने सब साफ कर दिया और बिल्डर संजय बाजपेयी को जेल भी हुई, जिसके बाद उनका निधन हो गया. समिति के सदस्यों ने 3 जुलाई 2016 से लगातार कानूनी और जमीनी लड़ाई लड़ रहे थे. न्यायालय में समिति ने 125 रिट याचिका लगाई गई थी. इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के फैसले पर शासन से अमल नहीं किए जाने के खिलाफ लगभग 50 अवमानना याचिका भी लगाई गई थी.

रायपुर: न्यू स्वागत विहार पीड़ितों को हाईकोर्ट से न्याय मिला है. बिल्डर संजय वाजपेयी ने सरकारी जमीन को भी इस जमीन में शामिल किया था. हाईकोर्ट ने साल 2013 के निरस्त ले-आउट को बहाल करने को लेकर आदेश दिया है. साथ ही बिल्डर को 12 सितंबर 2019 तक मामले को निराकृत करने का आदेश भी दे दिया है. इस आदेश के बाद न्यू स्वागत विहार में जमीन खरीद चुके फरियादियों को राहत की उम्मीद है.

न्यू स्वागत विहार

न्यू स्वागत विहार गांव डूंडा में प्लॉट खरीदकर घर बनाने का सपना संजोए हजारों उपभोक्ताओं को बुधवार को न्यायालय से न्याय मिला है. हाईकोर्ट में न्यायाधीश ने अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यू स्वागत विहार के पुराने ले-आउट को बहाल करते हुए 12 सितंबर 2019 तक मामले को निराकृत करने आदेश किया है.
न्यू स्वागत विहार संघर्ष समिति के सदस्यों ने हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर न्यायाधीश संजय के अग्रवाल के न्यायालय ने राहत प्रदान की. न्यायालय ने बिल्डर से दिए गए नक्शे को निरस्त करते हुए मूल ले-आउट को ही बहाल करने अंतरिम आदेश किया है.

फैसले पर जताई खुशी

न्यू स्वागत विहार संघर्ष समिति के सदस्य 3 जुलाई 2016 से लगातार कानूनी और जमीनी लड़ाई लड़ रहे थे. न्यू स्वागत विहार पीड़ितों ने न्यायालय के फैसले पर खुशी जताई है. रायपुर के शारदा चौक में न्यू स्वागत विहार भूमि विस्थापित समिति के सदस्यों में मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया है. न्यू स्वागत विहार भू स्वामी कल्याण समिति के अध्यक्ष अनिल राव ने बताया कि समिति के सदस्यों ने हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर न्यायाधीश संजय अग्रवाल के न्यायालय ने भारी राहत प्रदान की है.

यह था मामला

एप्रूवल मिलते ही बैंकों ने भी इस कॉलोनी में लोगों को जमीन और मकान के लिए जमकर लोन बांटे हैं, लेकिन जांच पड़ताल ने सब साफ कर दिया और बिल्डर संजय बाजपेयी को जेल भी हुई, जिसके बाद उनका निधन हो गया. समिति के सदस्यों ने 3 जुलाई 2016 से लगातार कानूनी और जमीनी लड़ाई लड़ रहे थे. न्यायालय में समिति ने 125 रिट याचिका लगाई गई थी. इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के फैसले पर शासन से अमल नहीं किए जाने के खिलाफ लगभग 50 अवमानना याचिका भी लगाई गई थी.

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रायपुर। न्यू स्वागत विहार घोटाला अपने आप मे पूरे छत्तीसगड़ में अलग तरह का घोटाला था। बिल्डर संजय वाजपेयी ने सरकारी जमीन को भी इस जमीन में शामिल किया था. न्यू स्वागत विहार पीड़ितों को हाईकोर्ट से न्याय मिला है। हाईकोर्ट ने 2013 के निरस्त लेआउट को बहाल करने को लेकर आदेश दिया है। साथ ही बिल्डर को 12 सितंबर 19 तक मामले को निराकृत करने आदेश भी दे दिया है। इस आदेश के बाद न्यू स्वागत विहार में जमीन खरीद चुके फरियादियो को राहत की उम्मीद है।
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Vo.1
न्यू स्वागत विहार ग्राम डूंडा में प्लाट खरीदकर घर बनाने का सपना संजोए हजारों उपभोक्ताओं को आज न्यायालय से न्याय मिला है। हाईकोर्ट में माननीय न्यायाधीश ने आज अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यू स्वागत विहार के पुराने लेआउट को बहाल करते हुए 12 सितंबर 19 तक मामले को निराकृत करने आदेश किया न्यू स्वागत विहार संघर्ष समिति के सदस्यों द्वारा हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर माननीय न्यायाधीश संजय के अग्रवाल के न्यायालय ने भारी राहत प्रदान की । न्यायालय ने बिल्डर के द्वारा प्रस्तुत नक्शे को निरस्त करते हुए मूल लेआउट को ही बहाल करने अंतरिम आदेश किया है।

बाईट- योगेशचंद्र शर्मा, एडवोकेट, हाईकोर्ट

वीओ 2

न्यू स्वागत विहार संघर्ष समिति के सदस्य 3 जुलाई 2016 से लगातार कानूनी और जमीनी लड़ाई लड़ रहे थे। न्यू स्वागत विहार पीड़ितों ने न्यायालय के फैसले पर खुशी जताई है। रायपुर के शारदा चौक में न्यू स्वागत विहार भूमि विस्थापित समिति के सदस्यों में मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया है। न्यू स्वागत विहार भू स्वामी कल्याण समिति के अध्यक्ष अनिल राव ने कहा कि समिति के सदस्यों द्वारा हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर माननीय न्यायाधीश संजय के अग्रवाल के न्यायालय ने भारी राहत प्रदान की । न्यायालय ने बिल्डर के द्वारा प्रस्तुत नक्शे को निरस्त करते हुए मूल लेआउट को ही बहाल करने अंतरिम आदेश किया है। इससे स्वागत विहार में जमीन लेक्फ फंसे करीब 3 हजार लोगों को राहत मिलेगी।

बाईट- अनिल राव, अध्यक्ष, न्यू स्वागत विहार भूमि स्वामी संघर्ष समिति

फ़ाइनल वीओ
Conclusion:Fvo
न्यू स्वागत विहार घोटाला अपने आप मे पूरे छत्तीसगड़ में अलग तरह का घोटाला था। बिल्डर संजय वाजपेयी ने सरकारी जमीन को भी इस जमीन में शामिल किया था। हैरानी की बात ये थी कि पूरी कालोनी को प्लान करने में टाउन एन्ड कंट्री प्लानिंग और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत रही थी। जिसके चलते एप्रूवल मिलने पर बैंकों ने भी इस कालोनी में लोगो को ज़मीन और मकान के लिए जमकर लोन बांटे । लेकिन जांच पड़ताल ने सब साफ कर दिया और बिल्डर संजय बाजपेयी को जेल भी हुई और अंत मे दुनिया से विदा हो गए। लेकिन फंसे तो जमीन लेकर आम लोग। समिति के सदस्यों ने 3 जुलाई 2016 से लगातार कानूनी और जमीनी लड़ाई लड़ रहे थे न्यायालय में समिति के द्वारा 125 रिट याचिका लगाई गई थी इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के फैसले पर शासन द्वारा अमल नहीं किए जाने के खिलाफ लगभग 50 अवमानना याचिका भी लगाई गई थी ।

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुर
Last Updated : Aug 22, 2019, 12:56 PM IST

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