रायपुर: न्यू स्वागत विहार पीड़ितों को हाईकोर्ट से न्याय मिला है. बिल्डर संजय वाजपेयी ने सरकारी जमीन को भी इस जमीन में शामिल किया था. हाईकोर्ट ने साल 2013 के निरस्त ले-आउट को बहाल करने को लेकर आदेश दिया है. साथ ही बिल्डर को 12 सितंबर 2019 तक मामले को निराकृत करने का आदेश भी दे दिया है. इस आदेश के बाद न्यू स्वागत विहार में जमीन खरीद चुके फरियादियों को राहत की उम्मीद है.
न्यू स्वागत विहार गांव डूंडा में प्लॉट खरीदकर घर बनाने का सपना संजोए हजारों उपभोक्ताओं को बुधवार को न्यायालय से न्याय मिला है. हाईकोर्ट में न्यायाधीश ने अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यू स्वागत विहार के पुराने ले-आउट को बहाल करते हुए 12 सितंबर 2019 तक मामले को निराकृत करने आदेश किया है.
न्यू स्वागत विहार संघर्ष समिति के सदस्यों ने हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर न्यायाधीश संजय के अग्रवाल के न्यायालय ने राहत प्रदान की. न्यायालय ने बिल्डर से दिए गए नक्शे को निरस्त करते हुए मूल ले-आउट को ही बहाल करने अंतरिम आदेश किया है.
फैसले पर जताई खुशी
न्यू स्वागत विहार संघर्ष समिति के सदस्य 3 जुलाई 2016 से लगातार कानूनी और जमीनी लड़ाई लड़ रहे थे. न्यू स्वागत विहार पीड़ितों ने न्यायालय के फैसले पर खुशी जताई है. रायपुर के शारदा चौक में न्यू स्वागत विहार भूमि विस्थापित समिति के सदस्यों में मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया है. न्यू स्वागत विहार भू स्वामी कल्याण समिति के अध्यक्ष अनिल राव ने बताया कि समिति के सदस्यों ने हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका पर न्यायाधीश संजय अग्रवाल के न्यायालय ने भारी राहत प्रदान की है.
यह था मामला
एप्रूवल मिलते ही बैंकों ने भी इस कॉलोनी में लोगों को जमीन और मकान के लिए जमकर लोन बांटे हैं, लेकिन जांच पड़ताल ने सब साफ कर दिया और बिल्डर संजय बाजपेयी को जेल भी हुई, जिसके बाद उनका निधन हो गया. समिति के सदस्यों ने 3 जुलाई 2016 से लगातार कानूनी और जमीनी लड़ाई लड़ रहे थे. न्यायालय में समिति ने 125 रिट याचिका लगाई गई थी. इन याचिकाओं पर उच्च न्यायालय के फैसले पर शासन से अमल नहीं किए जाने के खिलाफ लगभग 50 अवमानना याचिका भी लगाई गई थी.