रायपुर : ETV भारत की मुहिम 'संकट में सरोवर' का बड़ा असर देखने को मिला है. रायपुर के महापौर एजाज ढेबर ETV भारत की 'संकट में सरोवर' मुहिम से प्रेरित होकर शहर के तालाबों को साफ-सुथरा और व्यवस्थित करने की योजना पर काम कर रहे हैं. एजाज ढेबर ने ETV भारत को सामाजिक सरोकार से जुड़ी इस खबर को प्रमुखता से दिखाने के लिए बधाई दी और बूढ़ा तालाब के साथ ही शहर के दूसरे तालाबों के भी जीर्णोद्धार की दिशा में काम करने की बात कही है.
राजधानी रायपुर का सबसे बड़ा लैंडमार्क बूढ़ा तालाब को कहा जाए, तो गलत नहीं होगा, लेकिन पिछले कई सालों से प्रशासनिक अनदेखी और स्थानीय लोगों की मनमानी के चलते यह ऐतिहासिक तालाब अपने अस्तित्व को खोने की कगार पर है. जिस सरोवर में कभी देश के गौरव स्वामी विवेकानंद ने भी डुबकी लगाई थी, वह तालाब आज प्रदूषण और गंदगी का केंद्र बन गया है. इस मुद्दे को ETV भारत ने प्रमुखता से उठाया था और 'संकट में सरोवर' मुहिम की शुरूआत की थी.
खबर दिखाए जाने के बाद अब बूढ़ातालाब को साफ करने के लिए अभियान चलाया जा रहा है, इसकी सफाई के लिए 120 श्रमिक लगे हुए हैं. मशीनों के जरिए तालाब से जलकुंभी निकाली जा रही है. अभी तक बूढ़ातालाब में 300 ट्रक जलकुम्भी निकाली जा चुकी है. अब भी सफाई का काम जारी है, महापौर ने बताया कि जल्द ही तालाब की सफाई पूरी कर ली जाएगी.
बूढ़ातालाब का इतिहास
कलचुरी राजाओं के समय बूढ़ातालाब का निर्माण किया गया था. यह एक राजघाट भी हुआ करता था. पुराने शिलालेखों में साल 1402 में इसका उल्लेख मिलता है. बूढ़ा तालाब और महाराजबंद तालाब के बीच में कलचुरी राजाओं का किला हुआ करता था. ऐसा माना जाता है कि राजघाट के रूप में इसे राजपरिवार के लोग इस्तेमाल करते थे और 18वीं शताब्दी में जब अंग्रेजी यात्री रायपुर आए थे, तो उन्होंने भी इस तालाब की खूबसूरती का वर्णन किया.
बूढ़ातालाब से विवेकानंद सरोवर नाम रखा गया
स्वामी विवेकानंद सन् 1870 से 1879 तक रायपुर के बूढ़ापारा भवन में ठहरे थे. वह भी इस तालाब का इस्तेमाल किया करते थे. बाद में बूढ़ातालाब का नाम विवेकानंद सरोवर रखा गया और तालाब के बीच में ही स्वामी विवेकानंद की विशाल प्रतिमा स्थापित की गई है.