रायपुरः छत्तीसगढ़ सरकार ने लंबे समय से प्रतीक्षित मांग को पूरा करते हुए हाथियों के आतंक से ग्रसित क्षेत्रों को बड़ी राहत मिली. इस साल स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा की थी , जिसे आज कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है.
अब राज्य में लेमरु हाथी रिजर्व का गठन होगा. ये देश में अपने तरह का प्रथम प्रोजेक्ट है. छत्तीसगढ़ के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कैबिनेट मिटिंग के बाद बताया कि लेमरु हाथी रिजर्व के निर्माण से जंगली हाथियों द्वारा होने वाली जान-माल की हानि में कमी आएगी.
वन्यजीवों के संरक्षण और जैव विविधता के संवर्धन का दायरा बढ़ेगा. लेमरु हाथी रिजर्व का निर्माण स्पेशल हाई पावर टेक्निकल कमेटी (SHPTC) द्वारा प्रदत्त सूचनाओं और सुझावों के आधार पर किया जाएगा. कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर, 5 अक्टूबर, 2007 को भारत सरकार ने 1995.48 वर्ग कि.मी. वन्य क्षेत्र में लेमरु हाथी रिजर्व निर्माण की अनुमति दी थी.
छत्तीसगढ़ राज्य के कोरबा, कठघोरा और धरमजयगढ़ का वन मण्डल लेमरु हाथी रिजर्व के अंतर्गत शामिल होगा। मानव और हाथियों के बीच का सौहार्दपूर्ण सहनिवास इस क्षेत्र में पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा देगा। उन्होंने कहा कि पिछले 5 वर्षों में हाथियों और मानवों के संघर्ष में 65 व्यक्तियों और 14 हाथियों की मृत्यु हो गयी थी.
पिछले 5 वर्षों में, मानव मृत्यु, खेती-बाड़ी में नुकसान, क्षतिग्रस्त मकानों आदि की क्षतिपूर्ति के रूप में राज्य सरकार ने 75 करोड़ रुपयों का अनुदान दिया. राज्य में वन्यजीवों हेतु 11310.977 वर्ग कि.मी. क्षेत्र संरक्षित है जो छत्तीसगढ़ राज्य के भौगोलिक परिक्षेत्र का 8.36 प्रतिशत है.