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निगम, मंडल और आयोग की संख्या कम कर सकती है भूपेश सरकार

विधानसभा चुनाव के दौरान किसान कर्जमाफी, बिजली बिल हाफ सहित अन्य घोषणाओं को पूरा करने में कांग्रेस सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है और यही कारण है कि अब कांग्रेस इस आर्थिक बोझ को कम करने विभिन्न विभागों और उपक्रमों में कटौती करने की तैयारी कर रही है.

सीएम भूपेश बघेल
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Published : May 16, 2019, 10:59 PM IST

रायपुर : भूपेश सरकार कई विभागों और उपक्रमों में कटौती करने पर विचार कर ही है. इसी कड़ी में सरकार निगम, मंडल और आयोग की संख्या कम करने की तैयारी में है. इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने एक पत्र भी जारी किया है.

सीएम भूपेश बघेल

बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान किसान कर्जमाफी, बिजली बिल हाफ सहित अन्य घोषणाओं को पूरा करने में कांग्रेस सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है और यही कारण है कि अब कांग्रेस इस आर्थिक बोझ को कम करने विभिन्न विभागों और उपक्रमों में कटौती करने की तैयारी कर रही है.

इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने एक पत्र भी जारी किया है, जिसमें शासन ने सभी विभाग के अपर मुख्य सचिव और विशेष सचिव को पत्र लिखा है कि शासन के विभिन्न विभागों के अधीन गठित निगम, मंडल की स्थापना की जानकारी भेजें.

उपयोगिता पर विचार
बता दें कि पिछली सरकार ने 56 निगम मंडल और आयोगों का गठन किया था और वर्तमान सरकार इन निगम, मंडल के औचित्य और उपयोगिता पर विचार कर रही है.

संबंधित जानकारी मांगी गई
हालांकि के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि सभी विभागों के निगम, मंडल और आयोग से संबंधित जानकारी मांगी गई है और आचार संहिता खत्म होने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा. जानकारी के अनुसार निगम, मंडल और आयोग पर हर साल 250 से 300 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं. ज्यादातर निगम, मंडल और आयोग का खर्च सरकार को ही वहन करना पड़ता है. कुछ ही निगम, मंडल और आयोग हैं जो अपने खर्च खुद ही निकाल पाते हैं.

इन्हें मिलती है प्राथमिकता
इन निगम, मंडल और आयोग में विधायक को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि जो विधायक मंत्री नहीं बन पाते हैं और नाराज हो जाते हैं, उन्हें संतुष्ट करने के लिए पार्टी निगम, मंडल और आयोग में जगह देती है, लेकिन अब सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम कहीं न कहीं पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकती है क्योंकि इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 68 विधायक जीत कर आए हैं, जिन्हें पार्टी को संतुष्ट करना है.

रायपुर : भूपेश सरकार कई विभागों और उपक्रमों में कटौती करने पर विचार कर ही है. इसी कड़ी में सरकार निगम, मंडल और आयोग की संख्या कम करने की तैयारी में है. इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग ने एक पत्र भी जारी किया है.

सीएम भूपेश बघेल

बता दें कि विधानसभा चुनाव के दौरान किसान कर्जमाफी, बिजली बिल हाफ सहित अन्य घोषणाओं को पूरा करने में कांग्रेस सरकार पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है और यही कारण है कि अब कांग्रेस इस आर्थिक बोझ को कम करने विभिन्न विभागों और उपक्रमों में कटौती करने की तैयारी कर रही है.

इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने एक पत्र भी जारी किया है, जिसमें शासन ने सभी विभाग के अपर मुख्य सचिव और विशेष सचिव को पत्र लिखा है कि शासन के विभिन्न विभागों के अधीन गठित निगम, मंडल की स्थापना की जानकारी भेजें.

उपयोगिता पर विचार
बता दें कि पिछली सरकार ने 56 निगम मंडल और आयोगों का गठन किया था और वर्तमान सरकार इन निगम, मंडल के औचित्य और उपयोगिता पर विचार कर रही है.

संबंधित जानकारी मांगी गई
हालांकि के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि सभी विभागों के निगम, मंडल और आयोग से संबंधित जानकारी मांगी गई है और आचार संहिता खत्म होने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा. जानकारी के अनुसार निगम, मंडल और आयोग पर हर साल 250 से 300 करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं. ज्यादातर निगम, मंडल और आयोग का खर्च सरकार को ही वहन करना पड़ता है. कुछ ही निगम, मंडल और आयोग हैं जो अपने खर्च खुद ही निकाल पाते हैं.

इन्हें मिलती है प्राथमिकता
इन निगम, मंडल और आयोग में विधायक को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि जो विधायक मंत्री नहीं बन पाते हैं और नाराज हो जाते हैं, उन्हें संतुष्ट करने के लिए पार्टी निगम, मंडल और आयोग में जगह देती है, लेकिन अब सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम कहीं न कहीं पार्टी के लिए परेशानी का सबब बन सकती है क्योंकि इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 68 विधायक जीत कर आए हैं, जिन्हें पार्टी को संतुष्ट करना है.

Intro:रायपुर। कांग्रेस सरकार द्वारा विधानसभा चुनाव के दौरान की गई किसान कर्ज माफी बिजली बिल हाफ सहित अन्य घोषणाओं को पूरा करने में आर्थिक बोझ बढ़ गया है और यही कारण है कि अब कांग्रेस सरकार इस आर्थिक बोझ को कम करने विभिन्न विभागों ओर उपक्रमों में कटौती करने का मन बना रही है इसी कड़ी में सरकार द्वारा निगम मंडलों ओर आयोग की संख्या कम करने पर भी विचार किया जा रहा है

जानकारी के अनुसार सरकार विभिन्न विभागों के अंतर्गत आने वाले निगम मंडल और आयोगों की संख्या घटाने का विचार कर रही है इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा एक पत्र भी जारी किया गया है जिसमें शासन ने सभी विभाग के अपर मुख्य सचिव मुख्य सचिव और विशेष सचिव को लिखा है कि शासन के विभिन्न विभागों के अधीन गठित निगम मंडलों की स्थापना की सभी जानकारी भेजी जाए।

बता दें कि पिछले सरकार ने 56 निगम मंडल और आयोगों का गठन किया था और वर्तमान सरकार इस निगम मंडलों के औचित्य और उपयोगिता के आधार पर कुछ निगम मंडलों को हटाने पर विचार कर रही है

हालांकि के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि सभी विभागों के निगम मंडल और आयोग से संबंधित जानकारी मांगी गई है और आचार संहिता खत्म होने के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा
बाइट भूपेश बघेल मुख्यमंत्री

जानकारी के मुताबिक इन निगम मंडलों और आयोग पर हर साल ढाई सौ से ₹300 करोड़ खर्च किए जाते हैं और ज्यादातर निगम मंडल आयोग का खर्च सरकार को ही वहन करना पड़ता है। कुछ ही निगम मंडल ओर आयोग है जो अपने खर्च खुद निकाल पाते है।

इन निगम मंडल आयोग में विधायक को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि जो विधायक मंत्री नहीं बन पाते हैं ओर नाराज हो जाते उन्हें संतुष्ट करने के लिए पार्टी निगम मंडल और आयोग में जगह देती है लेकिन अब सरकार द्वारा उठाया गया कदम कहीं ना कहीं पार्टी के लिए परेशानी का सवब बन सकता है क्योंकि इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 68 विधायक जीत कर आए हैं जिन्हें पार्टी और संतुष्ट करना है




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