ETV Bharat / state

Bhoramdev Temple Kawardha: क्या भोरमदेव मंदिर एक रात में ही बन गया था? जानें क्या है इस दावे की सच्चाई

छत्तीसगढ़ के कवर्धा में भगवान शंकर का एक ऐसा मंदिर है जो ऐक रात में ही बन कर तैयार हो गया था. जानें इस दावे में है कितनी सच्चाई. मंदिर को छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल किया गया है. शिवरात्रि और सावन के महीने में यहां भक्तों की लंबी लाइन लगती हैं.

भोरमदेव मंदिर
Kawardha Bhoramdev Temple
author img

By

Published : Feb 27, 2023, 9:46 AM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के कवर्धा से 18 किलोमीटर दूर चौरागांव में स्थित है. जो लगभग एक हजार साल पुराना है. इसकी राजधानी रायपुर से दूरी लगभग 125 किलोमीटर है. भोरमदेव मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है. मंदिर को कृत्रिम रूप से पर्वत श्रृंखलाओं के बीच में बनाया गया है. ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 7वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था. भोरमदेव मंदिर की झलक मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर से मिलती जुलती है. जिस वजह से इस मंदिर को “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” के नाम से भी जाना जाता है.

ऐसी है मंदिर की बनावट: मंदिर की झलक में नागरित शैली की शुंदर झलक भी दिखती है. मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की तरफ है. लेकिन मंदिर में दाखिल होने के तीन द्वार हैं. मंदिर को पांच फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है. जिसके तीनों प्रवेश द्वारों से सीधे मंदिर के मंडप तक पहुंचा जा सकता है. मंदिर के मंडप की लंबाई 60 फीट और चौड़ाई 40 फीट की है. मण्डप के बीच में एक 4 खंभे हैं और मंदिर के चारों तरफ 12 खंभे हैंं. जिन पर मंदिर का मुख्य मंडप टिका हुआ है. मंदिर के सभी खंभों में बहुत ही सुंदर और कलात्मक ऐतिहासिक द्रश्य उकेरे गए हैं. प्रत्येक खंभे पर एक कीचा है, जिसने मंदिर की छत को संभालते रखा है.

मंदिर को लेकर चलती है दंतकथा: भोरमदेव मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां के राजा ने इस मंदिर को 11वीं सदी में बनवाया था. ऐसी भी कहानी प्रचलित है कि नागवंशी राजा गोपाल देव ने इस मंदिर को एक रात में बनाने का आदेश दे दिया था. मान्यता भी ऐसी है कि उस समय रात छह महीन लंबी होती थी. जिसके बाद छह महीने लंबा दिन होता था. कहा जाता है कि राजा के आदेश के बाद यह मंदिर एक रात में ही बन कर तैयार हो गया था. यह कहानी सिर्फ दंत कहानी के रूप में प्रचलित है. इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता.

यह भी पढ़ें: Somwar Upay सोमवार के दिन भूलकर भी ना करें ये काम

ऐसे पहुंच सकते हैं मंदिर: भोरमदेव मंदिर से सबसे नजदीक राजधानी रायपुर का हवाई अड्डा है. जो भोरमदेव से करीब 130 किमी दूर है. अगर आप ट्रेन से भोरमदेव मंदिर पहुंचना चाहते हैं. तो इसके लिए भी यहां से सबसे नजदीक राजधानी रायपुर का रेल्वे स्टेशन है. जो यहां के करीब 120 किमी दूर है. बस रूट से भी कवर्धा राज्य के कई बढ़े शहरों से जुड़ा हुआ है. कवर्धा सड़क मार्ग से रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग शहर सहित अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है.

रायपुर: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम जिले के कवर्धा से 18 किलोमीटर दूर चौरागांव में स्थित है. जो लगभग एक हजार साल पुराना है. इसकी राजधानी रायपुर से दूरी लगभग 125 किलोमीटर है. भोरमदेव मंदिर भगवान शंकर को समर्पित है. मंदिर को कृत्रिम रूप से पर्वत श्रृंखलाओं के बीच में बनाया गया है. ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 7वीं शताब्दी से 11वीं शताब्दी के बीच बनाया गया था. भोरमदेव मंदिर की झलक मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध खजुराहो मंदिर से मिलती जुलती है. जिस वजह से इस मंदिर को “छत्तीसगढ़ का खजुराहो” के नाम से भी जाना जाता है.

ऐसी है मंदिर की बनावट: मंदिर की झलक में नागरित शैली की शुंदर झलक भी दिखती है. मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की तरफ है. लेकिन मंदिर में दाखिल होने के तीन द्वार हैं. मंदिर को पांच फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है. जिसके तीनों प्रवेश द्वारों से सीधे मंदिर के मंडप तक पहुंचा जा सकता है. मंदिर के मंडप की लंबाई 60 फीट और चौड़ाई 40 फीट की है. मण्डप के बीच में एक 4 खंभे हैं और मंदिर के चारों तरफ 12 खंभे हैंं. जिन पर मंदिर का मुख्य मंडप टिका हुआ है. मंदिर के सभी खंभों में बहुत ही सुंदर और कलात्मक ऐतिहासिक द्रश्य उकेरे गए हैं. प्रत्येक खंभे पर एक कीचा है, जिसने मंदिर की छत को संभालते रखा है.

मंदिर को लेकर चलती है दंतकथा: भोरमदेव मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि यहां के राजा ने इस मंदिर को 11वीं सदी में बनवाया था. ऐसी भी कहानी प्रचलित है कि नागवंशी राजा गोपाल देव ने इस मंदिर को एक रात में बनाने का आदेश दे दिया था. मान्यता भी ऐसी है कि उस समय रात छह महीन लंबी होती थी. जिसके बाद छह महीने लंबा दिन होता था. कहा जाता है कि राजा के आदेश के बाद यह मंदिर एक रात में ही बन कर तैयार हो गया था. यह कहानी सिर्फ दंत कहानी के रूप में प्रचलित है. इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता.

यह भी पढ़ें: Somwar Upay सोमवार के दिन भूलकर भी ना करें ये काम

ऐसे पहुंच सकते हैं मंदिर: भोरमदेव मंदिर से सबसे नजदीक राजधानी रायपुर का हवाई अड्डा है. जो भोरमदेव से करीब 130 किमी दूर है. अगर आप ट्रेन से भोरमदेव मंदिर पहुंचना चाहते हैं. तो इसके लिए भी यहां से सबसे नजदीक राजधानी रायपुर का रेल्वे स्टेशन है. जो यहां के करीब 120 किमी दूर है. बस रूट से भी कवर्धा राज्य के कई बढ़े शहरों से जुड़ा हुआ है. कवर्धा सड़क मार्ग से रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग शहर सहित अन्य शहरों से जुड़ा हुआ है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.