रायपुरः ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी को मनाई जाने वाली भीमसेनी एकादशी इस साल 21 जून 2021 सोमवार को पड़ रही है.पराक्रमी भीम अपने संकल्प की सिद्धि के लिए इस व्रत को रखते थे. यह एकादशी (Ekadashi) अन्य एकादशी की तुलना में अधिक विशिष्ट है. इस दिन सुबह उठकर, स्नान कर विष्णु भगवान की पूजा करने और व्रत रखने से अनेक पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
मान्यता है कि भीमसेनी एकादशी (Bhimseni Ekadashi) या निर्जला एकादशी का व्रत रखने पर समस्त एकादशी के फल प्राप्त हो जाते हैं.इस दिन प्रातः उठकर योगासन करके श्री हरि भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की फोटो या प्रतिमा को स्वच्छ कर गंगाजल से धोकर स्थापित किया जाता है. श्री लक्ष्मी नारायण भगवान को तिलक कुमकुम अष्ट चंदन परिमल अबीर गुलाल का अभिषेक किया जाता है. साथ ही गंगा जल से स्नान कराकर भगवान श्री हरि को प्रसन्न किए जाने का विधान है. महिलाएं इस दिन निर्जला होकर उपवास रखती हैं. इस उपवास से उनके पति को लंबी आयु प्राप्त होती है. इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु चालीसा का जाप करना सिद्धि और पुण्य की प्राप्ति कराता है.
इस मंत्र का करें जाप
ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र भगवान विष्णु को काफी प्रिया है. इस मंत्र का अधिक से अधिक जाप करना अभिलाषाओं को पूर्ण करता है. भक्त प्रह्लाद ने इस महामंत्र के माध्यम से अभीष्ट सिद्धि को धारण किया था. इसी तरह पराक्रमी भीम ने इस उपवास को संकल्प के साथ धारण कर राक्षसी वृत्ति के दुर्योधन का सर्वनाश किया था.
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ज्येष्ठ मास की एकादशी मानी गई है सर्वोत्तम
ज्येष्ठ मास की एकादशी अपने आप में सर्वोत्तम मानी गई है. इस एकादशी से सभी अभिलाषएं और कामनाएं पूरी होती है. इस दिन जल छाता, फल, आम, तरबूज, संतरे, आदि का दान करना श्रेष्ठ माना गया है. 11 की संख्या में ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत ही कल्याणकारी माना गया है. वर्तमान काल में रक्तदान करना अत्यंत शुभ रहेगा.इस दिन लहसुन प्याज अदरक से निर्मित भोजन का त्याग करना उचित रहता है. इसके साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करें.
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इस दिन बन रहा शुभ मुहूर्त
भीमसेनी एकादशी के दिन चंद्रमा तुला राशि में विराजमान रहेंगे और स्वाति नक्षत्र रहेगा. इस शुभ संयोग में माता गायत्री की जयंती भी मनाई जाती है. इस दिन भगवान श्री कृष्ण और माता रुक्मणी का विवाह दिवस भी है.