भिलाई: हिंदु धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक होली है. रंग और गुलाल से होली खेली जाती है. बाजार में कई तरह के रंग और गुलाल मिलते हैं. इनसे आपने चेहरे की त्वचा को नुकसान भी हो सकता है. लेकिन दुर्ग की उड़ान नई दिशा नाम की संस्था की महिलाएं हर्बल गुलाल बना रही हैं. यह हर्बल गुलाल लोगों की स्किन को नुकसान नहीं पहुंचाएगा.
केमिकल फ्री होता है हर्बल रंग: दुर्ग के भिलाई स्थित सेक्टर 5 में हर्बल गुलाल तैयार किया जा रहा है. हर्बल गुलाल बनाने के लिए सबसे पहले अरारोट या मक्के के पाउडर में चुकंदर, पालक भाजी, पलाश, हल्दी का मुख्य रूप से इस्तेमाल किया जाता है. खास बात यह है कि हर्बल गुलाल बनाने के लिए किसी भी प्रकार के केमिकल का उपयोग नहीं किया जाता है.
स्किन को नहीं होगा कोई नुकसान: उड़ान नई दिशा संस्था की अध्यक्ष निधि चंद्राकर ने बताया कि "हर्बल गुलाल बनाने की ट्रेनिंग ली गई है. हर्बल गुलाल से लोगों की स्किन पर कोई नुकसान नहीं होता. इसकी क्वालिटी बाजार में मिलने वाले दूसरे गुलालों से बेहतर होती है. इस साल हर्बल गुलाल की बंपर डिमांड है. हमारे पास समय बहुत कम है. हम टारगेट पूरा नहीं कर पा रहे हैं. आने वाले दिनों में हम बड़ी मात्रा में हर्बल गुलाल बनाएंगे ताकि जिले के साथ ही पूरे प्रदेश स्तर पर भी हर्बल गुलाल उपलब्ध करा सकें."
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चुकंदर,गुलाब के रस बनता है रंग : उड़ान नई दिशा संस्था की सदस्य शशि चंद्राकर ने बताया कि "महिलाएं घर के काम करने के बाद हर्बल गुलाल बनाने में जुट जाती हैं. हम प्राकृतिक चीजों से ही हर्बल गुलाल बना रहे हैं. गुलाल बनाने के लिए चुकंदर, गुलाब के रस, पालक का प्रयोग किया गया है. एक किलो कलर बनाने के लिए लगभग 100 रुपए लगता है. एक छोटे पैकेट गुलाल की कीमत 20 रुपए रखी गई है."