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देशवासियों के एक डीएनए और धार्मिक जनसंख्या नियंत्रण पर भागवत खुद कन्फ्यूज : सीएम

मोहन भागवत ने अपने एक बयान में धार्मिक जनसंख्या में अंतर को देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बनाया है. उनके इस बयान पर छत्तीसगढ़ में एक बार फिर से राजनीति गरमा गई है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भागवत के इस बयान को लेकर उनपर निशाना साधा है. उन्होंने कहा है कि मोहन भागवत खुद कन्फ्यूज हैं, इस मुद्दे पर पहले वे अपना कन्फ्यूजन दूर करें.

CM took a jibe at Mohan Bhagwat
मोहन भागवत पर सीएम ने कसा तंज
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Published : Oct 19, 2021, 7:57 PM IST

Updated : Oct 19, 2021, 8:51 PM IST

रायपुर : एक बार फिर देश में हिंदुत्व (Discussion on Hindutva in the Country) को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. इस बार मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने धार्मिक जनसंख्या में अंतर को देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया है. भागवत के इस बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने भी पलटवार किया है. उन्होंने मोहन भागवत से उनकी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. क्योंकि कभी मोहन भागवत कहते हैं कि हिंदू-मुस्लिम का डीएनए (Hindu Muslim DNA) एक है और कभी धार्मिक जनसंख्या (Religious Population) के अंतर को देश के लिए खतरा बताते हैं. मोहन भागवत खुद कंफ्यूज हैं.

मोहन भागवत पर सीएम ने कसा तंज

दोनों बयान के कई राजनीतिक मायने

इन दोनों के बयानों के कई राजनीतिक मायने निकाले जा सकते हैं. इसको लेकर राजनीतिक जानकार कहते हैं कि किसी भी देश में वहां की रीति-नीति योजना बहुसंख्यक के आधार पर निर्धारित की जाती है. उन्हीं के अनुसार सारे नियम-कानून और व्यवस्था बनाए जाते हैं. इसके लिए सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर काम करना चाहिए.

देश में जिस वर्ग का बहुमत, उन्हीं के आधार पर बनती है रीति-नीति

इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने कहा कि यदि विश्व पटल की समीक्षा की जाए तो जिस वर्ग का बहुमत होता है, सरकार उसी की होती है. शासन भी उसी का चलता है. उसी के अनुसार रीति-नीति का निर्धारण भी होता है. हाल ही में आप देखिए बांग्लादेश में जिस तरह से हिंदु अल्पसंख्यक हुए, वहां से हिंदुओं को भगाया जा रहे हैं. उसके बाद वहां हिंदुओं की स्थिति खराब हुई. पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति अल्पसंख्यक होने के बाद खराब हुई. एक तरह से यह सही है, जैसे अमेरिका में माना जाता है कि वहां अश्वेत आंदोलन चलता रहता है.


जनसंख्या विस्फोट से देश और समाज का संतुलित विकास नहीं हो सकता

रामअवतार ने कहा कि मोहन भागवत का बयान, एक तरह से जो तथ्य हैं उसी को बताया गया है. इसमें राजनीति की बात नहीं होनी चाहिए. जनसंख्या नियंत्रण की बात तो संजय गांधी ने भी की थी. जनसंख्या नियंत्रण की बात से करीब सभी नेता सहमत होते हैं कि जनसंख्या विस्फोट रूप में रहने से उस देश का संतुलित विकास नहीं हो सकता. न ही समाज का विकास हो सकता. इस पर तो राजनीति से परे हटकर सोचना चाहिए.

चीन-ब्रिटेन सहित कई देशों ने बनाई है जनसंख्या नियंत्रण नीति

तिवारी ने आगे कहा कि अभी चीन ने अपने जनसंख्या नियंत्रण के लिए नीति तैयार कर दी. ब्रिटेन ने भी तैयार कर दी. कई ऐसे देश हैं, जो जनसंख्या के अनुसार अपने देश की रीति-नीति तैयार करते हैं. वही चीजें भारत और छत्तीसगढ़ में भी होनी चाहिए. अब इस मामले में मुख्यमंत्री का जो नजरिया है, वह तो मुख्यमंत्री ही बता पाएंगे.

जब विश्व पटल पर हिंदुत्व को मिल रही मान्यता तो भारत में क्यों न हो बात

वरिष्ठ पत्रकार तिवारी ने कहा कि मेरी व्यक्तिगत राय है कि अमेरिका में हिंदुत्व की बात को और हिंदुत्व की संस्थाओं को मान्यता मिल रही है. विश्व में जब राष्ट्रवाद की परिकल्पना करते हुए विश्व के हर देश इस समय राष्ट्रवाद की परिकल्पना करते हुए रीति-नीति तैयार कर रहे हैं तो हम क्यों राष्ट्रवाद को लेकर नीति न बनाएं. इसपर सारे राजनीतिक दलों की एक राय होनी चाहिए. तिवारी ने कहा कि काग्रेस नेताओं ने कहीं न कहीं इस मामले में दोहरी नीति और तटस्थ भाव अपनाया. इसलिए कांग्रेस को नुकसान हुआ और भाजपा को इससे काफी फायदा हुआ है.

बहरहाल अब देखने वाली बात है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस बयान का छत्तीसगढ़ की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है.

रायपुर : एक बार फिर देश में हिंदुत्व (Discussion on Hindutva in the Country) को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. इस बार मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) का एक बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने धार्मिक जनसंख्या में अंतर को देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया है. भागवत के इस बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने भी पलटवार किया है. उन्होंने मोहन भागवत से उनकी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है. क्योंकि कभी मोहन भागवत कहते हैं कि हिंदू-मुस्लिम का डीएनए (Hindu Muslim DNA) एक है और कभी धार्मिक जनसंख्या (Religious Population) के अंतर को देश के लिए खतरा बताते हैं. मोहन भागवत खुद कंफ्यूज हैं.

मोहन भागवत पर सीएम ने कसा तंज

दोनों बयान के कई राजनीतिक मायने

इन दोनों के बयानों के कई राजनीतिक मायने निकाले जा सकते हैं. इसको लेकर राजनीतिक जानकार कहते हैं कि किसी भी देश में वहां की रीति-नीति योजना बहुसंख्यक के आधार पर निर्धारित की जाती है. उन्हीं के अनुसार सारे नियम-कानून और व्यवस्था बनाए जाते हैं. इसके लिए सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर काम करना चाहिए.

देश में जिस वर्ग का बहुमत, उन्हीं के आधार पर बनती है रीति-नीति

इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी ने कहा कि यदि विश्व पटल की समीक्षा की जाए तो जिस वर्ग का बहुमत होता है, सरकार उसी की होती है. शासन भी उसी का चलता है. उसी के अनुसार रीति-नीति का निर्धारण भी होता है. हाल ही में आप देखिए बांग्लादेश में जिस तरह से हिंदु अल्पसंख्यक हुए, वहां से हिंदुओं को भगाया जा रहे हैं. उसके बाद वहां हिंदुओं की स्थिति खराब हुई. पाकिस्तान में हिंदुओं की स्थिति अल्पसंख्यक होने के बाद खराब हुई. एक तरह से यह सही है, जैसे अमेरिका में माना जाता है कि वहां अश्वेत आंदोलन चलता रहता है.


जनसंख्या विस्फोट से देश और समाज का संतुलित विकास नहीं हो सकता

रामअवतार ने कहा कि मोहन भागवत का बयान, एक तरह से जो तथ्य हैं उसी को बताया गया है. इसमें राजनीति की बात नहीं होनी चाहिए. जनसंख्या नियंत्रण की बात तो संजय गांधी ने भी की थी. जनसंख्या नियंत्रण की बात से करीब सभी नेता सहमत होते हैं कि जनसंख्या विस्फोट रूप में रहने से उस देश का संतुलित विकास नहीं हो सकता. न ही समाज का विकास हो सकता. इस पर तो राजनीति से परे हटकर सोचना चाहिए.

चीन-ब्रिटेन सहित कई देशों ने बनाई है जनसंख्या नियंत्रण नीति

तिवारी ने आगे कहा कि अभी चीन ने अपने जनसंख्या नियंत्रण के लिए नीति तैयार कर दी. ब्रिटेन ने भी तैयार कर दी. कई ऐसे देश हैं, जो जनसंख्या के अनुसार अपने देश की रीति-नीति तैयार करते हैं. वही चीजें भारत और छत्तीसगढ़ में भी होनी चाहिए. अब इस मामले में मुख्यमंत्री का जो नजरिया है, वह तो मुख्यमंत्री ही बता पाएंगे.

जब विश्व पटल पर हिंदुत्व को मिल रही मान्यता तो भारत में क्यों न हो बात

वरिष्ठ पत्रकार तिवारी ने कहा कि मेरी व्यक्तिगत राय है कि अमेरिका में हिंदुत्व की बात को और हिंदुत्व की संस्थाओं को मान्यता मिल रही है. विश्व में जब राष्ट्रवाद की परिकल्पना करते हुए विश्व के हर देश इस समय राष्ट्रवाद की परिकल्पना करते हुए रीति-नीति तैयार कर रहे हैं तो हम क्यों राष्ट्रवाद को लेकर नीति न बनाएं. इसपर सारे राजनीतिक दलों की एक राय होनी चाहिए. तिवारी ने कहा कि काग्रेस नेताओं ने कहीं न कहीं इस मामले में दोहरी नीति और तटस्थ भाव अपनाया. इसलिए कांग्रेस को नुकसान हुआ और भाजपा को इससे काफी फायदा हुआ है.

बहरहाल अब देखने वाली बात है कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस बयान का छत्तीसगढ़ की राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ता है.

Last Updated : Oct 19, 2021, 8:51 PM IST
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