रायपुर: हर महीने शहरों में सैकड़ों जगह पर बड़े-बड़े कार्यक्रम ऑर्गेनाइज किए जाते हैं, जिसमें काफी खर्च होता है. कार्यक्रम के बाद उस कार्यक्रम से बहुत सारे वेस्ट निकलते हैं. जिसका कोई इस्तेमाल नहीं होता और सीधा कचरे में चला जाता है. लेकिन उस वेस्ट का इस्तेमाल कई नई चीजों को बनाने में किया जा सकता है. इसका एग्जांपल जोन 4 ऑफिस कार्यालय में देखा जा सकता (best garden made from West in Raipur ) है. जोन 4 कमिश्नर और वहां काम करने वाले अधिकारी, कर्मचारियों ने जोन 4 ऑफिस के गार्डन को वेस्ट का इस्तेमाल कर बेस्ट गार्डन बनाया है. इस गार्डन में ठेला, प्लास्टिक के गाय, प्लास्टिक के आदमी, कार्डबोर्ड से गौठान में मौजूद सभी चीजें बनाई गई है. यहां तक कि गार्डन के गेट को भी प्लास्टिक कचरे से बनाया गया है.
जोन 4 कार्यालय में बना वेस्ट से बेस्ट गार्डन: जोन 4 कार्यालय में बनाए गए वेस्ट से बेस्ट गार्डन में किसी भी अधिकारी कर्मचारियों को अपना ₹1 खर्च नहीं करना पड़ा है. यह पूरा गार्डन कचरे से बनाया गया है. जोन 4 कार्यालय के सभी अधिकारी कर्मचारियों ने सरकारी कार्यक्रमों से निकलने वाले वेस्ट और कचरे को इकट्ठा कर गार्डन को गौठान का रूप दिया है. जोन 4 कमिश्नर का कहना है, "हम इलाके के कुछ अन्य गार्डनों को भी इसी तरह सरकारी योजना के तहत बनाने का सोच रहे हैं ताकि लोगों को योजनाओं की जानकारी मिल सके. वहीं, स्थानीय लोग भी वेस्ट से बेस्ट का इस्तेमाल सीखे और इसे अपनाए."
सरकारी कार्यक्रमों से निकले कचरे से गार्डन को बनाया गौठान: जोन 4 कमिश्नर विनय मिश्रा ने बताया, "जोन 4 कार्यालय में एक छोटा सा गार्डन पहले से ही था लेकिन हम सभी कर्मचारियों ने सोचा कि उसे कुछ नया और हटके बनाया जाए तो ज्यादा अच्छा रहेगा. राजधानी में जहां-जहां पर प्रदर्शनी या कार्यक्रम होते हैं. सभी कर्मचारी वहां से कुछ ना कुछ सामान लाकर गार्डन में रख देते हैं. धीरे-धीरे इसी तरह हमने गार्डन को वेस्ट से गौठान का रूप दिया है. गार्डन को गौठान का रूप देने में हमारे सभी कर्मचारियों ने पूरा सहयोग दिया है. इसके साथ-साथ स्व सहायता समूह की महिलाओं ने भी इस गार्डन को बनाने में हमारी सहायता की है."
जोन 4 के अधिकारी कर्मचारी करते हैं गार्डन को मेंटेन: जोन 4 कमिश्नर विनय मिश्रा ने बताया, " रायपुर में जहां-जहां भी सरकारी कार्यक्रम होते हैं, उस कार्यक्रम के खत्म होने के बाद वहां से बहुत सारे वेस्ट निकलते हैं. हमने सोचा कि उन्हीं वेस्ट का उपयोग कर क्यों ना ऐसी चीज बनाई जाए जिससे लोग प्रेरित हों और उन्हें सरकारी योजनाओं के बारे में पता लगे. यही सोचकर हमने और हमारे सभी कर्मचारियों ने राजधानी में जहां-जहां कार्यक्रम हुए हैं. वहां कार्यक्रम खत्म होने के बाद जो भी वहां से ला सकते थे. वह लाकर गार्डन में रखा. धीरे-धीरे गार्डन को गौठान की तरह बनाया है."
गार्डन को गौठान का रूप देने में नहीं खर्च हुए एक भी रुपए: विनय मिश्रा कहते हैं, "इस गार्डन को गौठान बनाने में हमारे सभी कर्मचारियों ने पूरा सहयोग किया है. यहां रखी प्लास्टिक की गाय, गार्डन के अंदर जाने के लिए गेट सभी को कचरे से बनाया गया है. आगे भी हम निश्चित रूप से इस तरह प्रयास करने की सोच रहे हैं. जहां भी हमें ऐसा गार्डन दिखे, जिसको हम रिनोवेट कर मेंटेन कर सकें...उसको हम इस तरह से सरकारी योजनाओं के हिसाब से बनाने का सोच रहे हैं. ताकि लोगों को योजनाओं के बारे में पता चल पाए और खुद स्थानीय उस गार्डन की देखभाल करें और मेंटेन रखे."
गाय के दूध और गोबर की उपयोगिता को समझें लोग: स्वच्छता प्रेरक कृष्णा अग्रवाल ने बताया, "आज की पीढ़ी को गाय की उपयोगिता, गाय जो दूध देती है, उससे क्या-क्या चीजें बनती है, गाय के गोबर से क्या-क्या बनता है, इसके बारे में नहीं पता रहता है. इसी को ध्यान में रखते हुए हमने जोन 4 के गार्डन को गौठान का रूप दिया है. इससे लोगों को सरकार की गौठान योजना के बारे में पता चलेगा. इसके साथ-साथ गाय के दूध और गोबर का क्या इस्तेमाल है? किस तरह वेस्ट से बेस्ट बनाया जा सकता है? इसके बारे में लोगों को जानकारी होगी."
वेस्ट से बनाया गया गार्डन लोगों को करेगा प्रेरित: स्वच्छता प्रेरक निखत खुरेशी ने बताया, "जोन 4 कार्यालय में हमने वेस्ट का इस्तेमाल कर ऐसा गार्डन बनाया है जो लोगों को प्रेरित कर सके. अक्सर लोग बहुत से इस्तेमाल करने वाले सामानों को भी कचरे में फेंक देते हैं. उसको फिर से इस्तेमाल करने के बारे में नहीं सोचते. हमने इसी सोच को लेकर इस गार्डन को बनाया है ताकि लोग गाय, गोबर, दूध की अहमियत को समझें और जो वेस्ट निकलता है उससे कुछ नया क्रियेट करे."