रायपुर : चैत्र नवरात्र शुरू होने वाला है. नवरात्र से पहले माता के सभी मंदिरों में तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. रायपुर के बंजारी माता के मंदिर में भी तैयारियां जोरों पर हैं. रायपुर के बंजारी माता मंदिर का इतिहास 500 साल पुराना है. कहा जाता है कि 500 साल पहले रायपुर के भनपुरी क्षेत्र की बंजर जमीन से बंजारी माता प्रकट हुई थीं. जब बंजारी माता प्रकट हुईं तो उनका स्वरूप एक सुपारी जितना छोटा था.
बंजारा समुदाय के लोगों ने बंजर जमीन पर माता का स्वरूप देख वहां एक छोटे मंदिर की स्थापना की. धीरे-घीरे माता के स्वरूप का विस्तार हुआ और माता का मंदिर भव्य बनाया गया.
बंजर जमीन पर प्रकट होने पर माता का नाम पड़ा बंजारी माता : बंजारी माता मंदिर के पंडित नवरत्न चौबे ने ईटीवी भारत को बताया कि बंजारी माता बंजारा समाज की कुलदेवी मानी जाती हैं. बंजारा समाज के लोगों ने बंजर जमीन पर माता के स्वरूप को देख मंदिर में माता की स्थापना की थी. इसलिए माता का नाम बंजारी माता पड़ा. आज यह सिर्फ एक मंदिर नहीं बल्कि धाम बन गया है. बंजारी माता धाम में श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है. यहां पूरे साल महीने श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा रहता है. 500 साल पहले मंदिर की स्थापना के समय माता की प्रतिमा सुपारी के आकार की थी, जो हर साल बढ़ रही है. आज माता की प्रतिमा 1 से 2 फुट की हो गई है.
देश विदेश से दर्शन को पहुंचते हैं श्रद्धालु : हर साल चैत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र के समय मंदिर में हजारों श्रद्धालु ज्योत प्रज्ज्वलित कराते हैं. बंजारी माता के दर्शन के लिए श्रद्धालु सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नहीं, बल्कि देश-विदेश से भी रायपुर पहुंचते हैं. बंजारी माता की मूर्ति से थोड़ी ही दूर बरगद का एक विशाल पेड़ है. इसमें लोग मन्नत मांगने के बाद नारियल और चुनरी बांधते हैं. यह बरगद का पेड़ भी काफी साल पुराना है. बंजारी माता मंदिर में श्रद्धालु सच्चे मन से जो भी मनोकामना मानते हैं, माता उसे पूरा करती हैं. किसी भी श्रद्धालुओं को खाली हाथ माता नहीं भेजतीं. चैत्र नवरात्र के दौरान मंदिर में भव्य पूजा-अर्चना की जाती है. चैत्र नवरात्र के दौरान मंदिर में दीप प्रज्ज्वलित भी की जाती है, जिसके लिए देश-विदेश से लोग बुकिंग कराते हैं. हालांकि कोरोना के कारण अबकी विदेशों से बुकिंग नहीं आई है.
दूर-दराज से लोग आते हैं मन्नत मांगने : श्रद्धालु विजय देवी कहती हैं कि बंजारी माता मंदिर के बारे में हमने पहले से ही बहुत सारी चीजें सुन रखी थीं और आज हमें माता का दर्शन करने का मौका मिला है. माता की महिमा अपरंपार है. अभी हमारे बेटा-बहू की दो संतान हुईं. दोनों बंजारी माता का ही आशीर्वाद हैं. उन्हीं का आशीर्वाद लेने हम बिहार से रायपुर आए हैं.
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नि:संतानों को मिलता है संतान सुख : श्रद्धालु आशा देवी कहती हैं कि अभी मेरी दो संतान हुई है. इस वजह से मैं अपनी सासू मां और पति के साथ बंजारी माता का आशीर्वाद लेने बिहार से रायपुर आई हूं. माता की महिमा अपरंपार है. माता के आशीर्वाद से हमारे दो बच्चे हुए हैं. बंजारी माता के बारे में हमने बहुत कुछ सुन रखा था और बहुत समय से हम कोशिश कर रहे थे कि माता का दर्शन करने रायपुर आएं. अब जाकर हमें यह सौभाग्य मिला कि हम रायपुर माता के दर्शन के लिए आए हुए हैं.