रायपुर: छत्तीसगढ़ की बघेल सरकार ने रिजर्व बैंक से 2 हजार करोड़ का कर्ज मांगा है. अप्रैल से शुरू हुए इस वित्तीय वर्ष की यह पहली किस्त होगी. पिछले 15 महीनों में यह पहला कर्ज है. राज्य सरकार ने साल 2022-23 के वित्त वर्ष में अपने बेहतरीन वित्तीय प्रबंधन के चलते एक रुपए का भी कर्ज नहीं लिया था. राज्य सरकार ने अपने ही संसाधनों, केंद्रीय करों और केंद्र प्रवर्तित योजनाओं में प्राप्त राशि से बजट का संचालन किया था. राज्य ने जहां अपने हिस्से के करों से 17 हजार करोड़ का राजस्व वसूला. वहीं, केंद्र ने भी करीब 10 हजार करोड़ रुपए दिए. वैसे राज्य को अभी भी पांच हजार करोड़ मिलना बाकी है.
अन्य राज्यों ने भी चुनाव से पहले मांगा कर्ज: राज्य सरकार ने आरबीआई से सात वर्ष में रिटर्न के वादे के साथ 2 हजार करोड़ मांगे हैं. छत्तीसगढ़ के अलावा 11 अन्य राज्यों ने भी कर्ज मांगा है. आरबीआई ने इसके लिए वित्तीय संस्थानों के लिए ऑफर जारी कर दिया है. मंगलवार को यह ओपन होगा. सूत्रों की मानें तो चुनावी साल होने के कारण राज्य सरकार आने वाले समय में आरबीआई से और भी कर्ज ले सकती है, ताकि युवाओं, किसानों और महिलाओं के लिए समय पर घोषणा की जा सकें.
84 हजार करोड़ पहुंचा कर्ज: छत्तीसगढ़ का कुल कर्ज बढ़कर 84 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचा गया है. छत्तीसगढ़ पर कई वित्तीय संस्थानों से लिए गए 82 हजार करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज है. सरकार ने इस साल के लिए 1.21 हजार करोड़ का बजट जारी किया है. बीते बजट सत्र में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विधानसभा में बताया था कि जनवरी 2023 की स्थिति में राज्य सरकार पर 82.125 करोड़ रुपए का कर्ज है. जनवरी 2019 से जनवरी 2023 तक औसत प्रतिमाह 460 करोड़ रुपए ब्याज का भुगतान किया गया. दिसंबर 2018 में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद विभिन्न संस्थाओं से राज्य के विकास के लिए जनवरी 2019 से इस वर्ष जनवरी तक 54,491.68 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया है.