रायपुर: देश की पहली इंटीग्रेटेड सिटी के नाम से नवा रायपुर दुनिया भर में अपनी पहचान तो बना रहा है, लेकिन आस-पास के गांव की स्थिति देखकर दीया तले अंधेरा की कहावत याद आती है. नया रायपुर मंत्रालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पलौद ग्राम पंचायत आज भी विकास के नाम पर ठगा महसूस कर रहा है.
सरकार ने यहां के गांववालों की जमीन अधिग्रहित यह कह कर की थी कि उन्हें उसके बदले रोजगार दिया जाएगा, लेकिन अब यह झांसा साबित हो रहा है. रायपुर से लगे गांवों की स्थिति अब भी पहले जस की तस है. नवा रायपुर मंत्रालय से महज 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पलौद ग्राम पंचायत आज भी विकास के नाम पर ठगा महसूस कर रहा है.
गांव की स्थिति जानने ETV भारत की टीम पलौद गांव पहुंची तो ग्रामीणों ने अपना हाल बयां किया.
⦁ सरकार ने विकास प्राधिकरण के नाम पर भूमि अधिग्रहण कर लिया लेकिन युवाओं को रोजगार देने की जो बात कही थी वह झूठी निकली.
⦁ ग्रामीणों की जमीन नवा रायपुर विकास प्राधिकरण के पास है, वहीं कई जमीनों पर स्टे लगे हुए हैं, गांववाले यहां खेती तो करते हैं लेकिन उन्हे सरकार की तरफ से बीज व ऋण नहीं मिलता.
⦁ साथ ही गांव में पानी व बिजली को लेकर भी यहां काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
⦁ गांव में स्कूल भवन और सड़क की भी स्थिति काफी खराब है.
अब भी ग्राम पंचायत पर गांव की जिम्मेदारी
गांव के सरपंच ओम प्रकाश चंद्राकर का कहना है कि सरकार ने गांव को नगर अधिनियम के तहत शामिल कर लिया है. यह नगर निगम की सीमा में आ गया है. लेकिन नवा रायपुर के लगे होने के बाद भी सारी सुविधाएं देने का काम ग्राम पंचायत करती है.
गांव के विकास के लिए शासन और विकास प्राधिकरण भी किसी प्रकार की राशि नहीं देते हैं. वहीं विकास के नाम पर चमचमाती सड़कें तो हैं लेकिन गांव की स्थितियों में कोई बेहतर सुधार और विकास नजर नहीं आ रहा है.