रायपुर : आजादी के 75 वी वर्षगांठ (azadi ka amrit mahotsav) के मौके पर देशभर में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है. इस खास मौके पर हम आपको ऐसे स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों (freedom fighters of chhattisgarh) के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर के आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हीं में से एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित सुंदरलाल शर्मा (Story of Gandhi Pandit Sunderlal Sharma of Chhattisgarh) हैं. स्वतंत्रता संग्राम के लंबे दौर में राष्ट्रीय चेतना से छत्तीसगढ़ को जोड़ने में पंडित सुंदरलाल शर्मा ने अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. छत्तीसगढ़ में हुए कंडेल सत्याग्रह (Kandel Satyagraha in Chhattisgarh) के दौरान महात्मा गांधी ने भी उन्हें अपना गुरु माना था.
महात्मा गांधी को छत्तीसगढ़ लाने का श्रेय : पंडित सुंदरलाल शर्मा का जन्म 21 दिसंबर 1881 को राजिम के पास एक छोटे से गांव जनकपुर में हुआ था. पंडित सुंदरलाल शर्मा ने अपने जन्म स्थान पर ही स्वदेशी वस्तुओं की बिक्री के लिए समित्र मंडल की स्थापना की थी. 1918 में धमतरी में राजनीतिक परिषद की स्थापना में उनका महत्वपूर्ण योगदान था. 1919 में जिला स्तरीय सम्मेलन का आयोजन करवाया. सन 1921 में महात्मा गांधी रायपुर आए थे उन्हें छत्तीसगढ़ लाने का श्रेय पंडित सुंदरलाल शर्मा को दिया जाता (Indian Independence Day ) है.
सुंदरलाल शर्मा ने लाई जनजागृति : वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा ने बताया कि "पूरे देश में लोकमान्य बालगंगाधर तिलक , लाला लाजपत राय और कालांतर में महात्मा गांधी का जो योगदान हम देखते हैं. आंदोलन का स्वरूप खड़ा करने और जनजागृति लाने, समाज और लोगों को देश के प्रति भाव जागृति करने का काम छत्तीसगढ़ में पंडित सुंदरलाल शर्मा ने किया. पंडित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ को अच्छे से समझते थे. छत्तीसगढ़ी बोली और भाषा में उनकी बहुत अच्छी पकड़ थी. छत्तीसगढ़ी साहित्य का उन्होंने यहां काम किया. राजा राममोहन राय ने बंगाल में जो ब्राह्मण समाज शुरू किया था उसका छत्तीसगढ़ में प्रचार प्रसार, और समाज सुधार का आंदोलन पंडित सुंदरलाल शर्मा ने तैयार किया. पंडित सुंदरलाल शर्मा ने भारत में सबसे पहले हरिजन बंधुओं के लिए, जिन्हें अछूत माना जाता था,जिनके मंदिर में प्रवेश करने पर रोक थी.1917-1918 में राजिम में उन्होंने मन्दिर प्रवेश का आंदोलन प्रारंभ किया. 1925 आते-आते वे अपने काम में पूरी तरह से सफल हो गए. "
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की नींव रखने वाले नेता : 1933 में महात्मा गांधी जब अछूतोद्धार कार्यक्रम के तहत रायपुर आए थे तब जब उनका परिचय महात्मा गांधी से करवाया गया. तब महात्मा गांधी ने कहा था कि ''इस मामले में तो आप मेरे से वरिष्ठ हैं और आप मेरे बड़े भाई की तरह है.पंडित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ से पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लिया था. उन्होंने छत्तीसगढ़ में कांगेस की नींव रखी. बंगभंग आंदोलन ,असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा जैसे सभी आंदोलन में वे जेल गए."
छत्तीसगढ़ राज्य की कल्पना में योगदान : छत्तीसगढ़ राज्य की कल्पना करने वाले , छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम बार मांग उठाने वाले पंडित सुंदरलाल शर्मा थे. शशांक शर्मा ने बताया" पंडित सुंदरलाल पहली बार अपने लेख में छत्तीसगढ़ प्रांत का जिक्र किया था. उनके सपने में छत्तीसगढ़ राज्य बने इसकी कल्पना थी. छत्तीसगढ़ी बोली भाषा हिंदी साहित्य की रचना,पत्रकारिता, समाज सुधार , राजनीतिक चेतना में जागृति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
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कंडेल सत्याग्रह के प्रणेता : वरिष्ठ पत्रकार ने बताया कि "सन 1929 मैं उन्होंने कंडेल गांव में नहर सत्याग्रह शुरू, कंडेल सत्याग्रह जो छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा सत्याग्रह माना जाता है. उस सत्याग्रह के प्रणेता पंडित सुंदरलाल शर्मा थे. राष्ट्रीय आंदोलनों की बात की जाए तो वे महात्मा गांधी के भी सीनियर थे. पंडित सुंदरलाल शर्मा छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय चेतना की पितामहा थे.पंडित सुंदरलाल शर्मा ने जीवन भर राष्ट्रप्रेम और सामाजिक सेवा में कार्य किया. उन्होंने हरिजनों के उत्थान के लिए एक आश्रम और लड़कियों के लिए स्कूल की स्थापना की. भाषा और साहित्य के ज्ञान के कारण उन्होंने विद्वानों के बीच में अपना प्रमुख स्थान बनाया. 1921 और 22 में उनकी गिरफ्तारी को छत्तीसगढ़ क्षेत्र में स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित पहली गिरफ्तारी के रूप में भी माना जाता है. 19वीं सदी में महात्मा गांधी की छत्तीसगढ़ की यात्रा के दौरान पंडित सुंदरलाल शर्मा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. समर्पित देशभक्ति की भावना और सामाजिक सक्रियता विरासत को पीछे छोड़ते हुए. 1940 में उनका निधन हो गया. समाज में उनके अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें छत्तीसगढ़ का गांधी माना जाता है.