रायपुर : कोरोना संकट की घड़ी में जब मानवता की परीक्षा हो रही है और अपने ही अपनों से दूर होते दिखाई दे रहे हैं ऐसे में राजधानी के खमतराई इलाके में रहने वाले अशोक बाबूलाल भाई पटेल ने मिसाल पेश की है. मिसाल भी ऐसी कि जिससे हम सभी को सीखने की जरूरत है. दरअसल, उनके घर के ठीक सामने रहने वाले परिवार के मुखिया के मामा कोरोना संक्रमित पाए गए थे. वे अस्पताल में भर्ती हुए.
इसी बीच उनके मामा के संपर्क में आए लोगों की जानकारी मिली तो पता चला कि घर के मुखिया भी अपने मामा के संपर्क में आए थे. उन्हें होम क्वॉरेंटाइन में रहने की सलाह दी गई. इसी दौरान उन्होंने सबसे पहले अपने पड़ोसी अशोक भाई पटेल को फोन किया और कहा कि उनका घर छोटा है और लोग ज्यादा हैं. ऐसे में वे उनके घर के नीचे वाले हिस्से में रहना चाहते हैं. बिना झिझक के पटेल ने उन्हें अपने घर का वह कमरा दे दिया और कहा कि वे पूरी तरीके से सुरक्षा के साथ होम क्वॉरेंटाइन में रह सकते हैं.
क्वॉरेंटाइन होने के दौरान उन्हें सर्दी थी वहीं इसके अगले 2 या 3 दिन बाद उन्हें बुखार आना भी शुरू हो गया. इसके बाद उन्होंने अपना कोरोना टेस्ट करवाया, टेस्ट में वे पॉजिटिव पाए गए.
रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी दिया पूरा साथ
पड़ोसी के कोरोना पॉजिटिव आने के बाद भी अशोक भाई ने उनका साथ नहीं छोड़ा और उनको अपने घर में ही 3 दिनों तक रखा. क्योंकि रिपोर्ट आने के बाद तीसरे दिन स्वास्थ्य विभाग की टीम मरीज को लेने उनके घर पहुंची. वह कहते हैं कि मैंने सिर्फ अपने पड़ोसी होने का फर्ज निभाया है. जिस परिवार के मुखिया को कोरोना वायरस था, अगर उन्हें घर नहीं देते तो उनके घर के बाकी सदस्य जैसे कि माता-पिता, पत्नी बहन और एक छोटा बेटा भी संक्रमित हो सकता था. उनका घर छोटा है जिसमें होम आइसोलेशन की सुविधा नहीं थी. लेकिन अब उनका परिवार ठीक है और सुरक्षित है.
कई लोगों ने कहा क्यों दिया घर?
अशोक भाई पटेल बताते हैं कि इस बात की सूचना मिलने के बाद उन्हें कई लोगों ने कॉल किया. इसके बाद लोगों ने कहा कि आपने एक कोरो नावायरस संक्रमित व्यक्ति को घर में क्यों रखा है. इससे आप लोगों को भी खतरा है. लेकिन उन्होंने सबको यही जवाब दिया कि यह समय मानवता का परिचय देने का है. जरूरत के समय एक दूसरे की मदद करने के संस्कार उन्हें उनके परिवार से मिले हैं. इसलिए वे अपने पड़ोसी की मदद कर रहे हैं. आगे भी जरूरत पड़ी तो वे मदद के लिए तैयार हैं.