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Raipur News : रामायण का अरण्य कांड और छत्तीसगढ़ से नाता - Aranya Kand

छत्तीसगढ़ सरकार रायगढ़ में रामायण महोत्सव का आयोजन करने जा रही है. रामायण महोत्सव में देश के साथ-साथ विदेशी कलाकार भी शिरकत करेंगे. इस रामायण महोत्सव में अरण्यकांड का प्रदर्शन होगा.

Aranya Kand of Ramayana
रामायण का अरण्य कांड और छत्तीसगढ़ से नाता
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Published : May 18, 2023, 7:07 PM IST

Updated : May 19, 2023, 11:24 AM IST

रामायण का अरण्य कांड और छत्तीसगढ़ से नाता

रायपुर : छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार रायगढ़ में रामायण महोत्सव का आयोजन करने वाली है. 1 जून से 3 जून तक ये आयोजन चलेगा. इस रामायण महोत्सव में अरण्यकांड का भी उल्लेख है. रामायण में अरण्यकांड क्या है. इसमें रामायण के किस समय का उल्लेख किया गया है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ से अरण्यकांड का क्या नाता है.आईए जानते हैं.


अरण्यकांड में दक्षिण कोसल का जिक्र : रामायण के अरण्यकांड को लेकर पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "अरण्यकांड रामायण का तीसरा कांड माना जाता है. रामायण में कुल 7 कांड हैं. जिसमें से तीसरा कांड का नाम अरण्यकांड है. अरण्यकांड में एक श्लोक 41 दोहे 6 सोरठा 9 छंद और 44 चौपाई है. भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता के साथ वन गमन के समय का वर्णन अरण्यकांड में मिलता है. अरण्यकांड में सूर्पनखा के नाक काटने से लेकर सीताहरण और सीता विलाप तक का पूरा वर्णन है. इसी अरण्यकांड में जटायु का वध या जटायु का प्रसंग भी है. जिसमें जटायु और रावण का युद्ध होता है. अरण्यकांड में माता अनुसूइया और सीता का विलाप भी दर्शाया गया है. माता सीता का हरण के साथ ही खरदूषण का विनाश भगवान रामचंद्र जी अरण्यकांड में करते हैं. इस अरण्यकांड में भगवान राम का दंडक वन में प्रवेश भी देखने को मिलता है. इसके साथ ही अरण्यकांड में भगवान राम के पंचवटी में निवास का प्रमाण भी मिलता है. शबरी का प्रसंग और नवधा भक्ति भी अरण्यकांड में देखने को मिलती है."



रामायण और छत्तीसगढ़ का नाता : इतिहासकार डॉ रमेन्द्रनाथ मिश्र ने बताया कि "प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ दक्षिण कोसल और दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था. वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में देखा जाता है. तो तृतीय कांड के रूप में अरण्यकांड का नाम आता है. अरण्यकांड का छत्तीसगढ़ से नाता इस दृष्टिकोण से भी माना जाता है कि भगवान राम वनवास के समय दंडकारण्य में अधिक समय बिताए थे. इसके साथ ही मारीच राक्षस अनुसुइया या पंचवटी की जो बात होती है. इसके साथ ही सूर्पणखा वाली घटना आती है. जिसमें रावण सीता का हरण करके ले जाते हैं. सूर्पनखा के भाई खरदूषण के वध का भी उल्लेख मिलता है. रामायण की घटनाओं की वजह से ही छत्तीसगढ़ को समृद्ध माना जाता है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के सिहावा सप्तश्रृंगी का आश्रम, अरण्यकांड छत्तीसगढ़ के सिहावा नगरी से लेकर गोदावरी या बस्तर तक का क्षेत्र आता है. जिसमें बहुत सारे प्रसंग का उल्लेख आता है.''

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  2. Chhattisgarh Corona update: छत्तीसगढ़ में कोरोना के 41 नए केस 1 की मौत
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अरण्यकांड का महत्व: रामायण में अरण्यकांड का उल्लेख मिलता है.अरण्य कांड में भगवान श्रीराम और उनके परिवार के वन में बिताए गए समय का विवरण है. इसी खंड सूर्पनखा के साथ लक्ष्मण विवाद और फिर खरदूषण का वध का उल्लेख है. सूर्पनखा के कारण ही रावण माता सीता को हरण करके ले जाता है.ऐसा माना जाता है कि अरण्यकांड का ज्यादातर समय भगवान राम ने दक्षिण कोसल यानी छत्तीसगढ़ में बिताया.इसलिए प्रदेश के रामायण महोत्सव में अरण्यकांड की महत्ता और भी ज्यादा बढ़ जाती है.

रामायण का अरण्य कांड और छत्तीसगढ़ से नाता

रायपुर : छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार रायगढ़ में रामायण महोत्सव का आयोजन करने वाली है. 1 जून से 3 जून तक ये आयोजन चलेगा. इस रामायण महोत्सव में अरण्यकांड का भी उल्लेख है. रामायण में अरण्यकांड क्या है. इसमें रामायण के किस समय का उल्लेख किया गया है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ से अरण्यकांड का क्या नाता है.आईए जानते हैं.


अरण्यकांड में दक्षिण कोसल का जिक्र : रामायण के अरण्यकांड को लेकर पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "अरण्यकांड रामायण का तीसरा कांड माना जाता है. रामायण में कुल 7 कांड हैं. जिसमें से तीसरा कांड का नाम अरण्यकांड है. अरण्यकांड में एक श्लोक 41 दोहे 6 सोरठा 9 छंद और 44 चौपाई है. भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता के साथ वन गमन के समय का वर्णन अरण्यकांड में मिलता है. अरण्यकांड में सूर्पनखा के नाक काटने से लेकर सीताहरण और सीता विलाप तक का पूरा वर्णन है. इसी अरण्यकांड में जटायु का वध या जटायु का प्रसंग भी है. जिसमें जटायु और रावण का युद्ध होता है. अरण्यकांड में माता अनुसूइया और सीता का विलाप भी दर्शाया गया है. माता सीता का हरण के साथ ही खरदूषण का विनाश भगवान रामचंद्र जी अरण्यकांड में करते हैं. इस अरण्यकांड में भगवान राम का दंडक वन में प्रवेश भी देखने को मिलता है. इसके साथ ही अरण्यकांड में भगवान राम के पंचवटी में निवास का प्रमाण भी मिलता है. शबरी का प्रसंग और नवधा भक्ति भी अरण्यकांड में देखने को मिलती है."



रामायण और छत्तीसगढ़ का नाता : इतिहासकार डॉ रमेन्द्रनाथ मिश्र ने बताया कि "प्राचीन समय में छत्तीसगढ़ दक्षिण कोसल और दंडकारण्य के नाम से जाना जाता था. वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस में देखा जाता है. तो तृतीय कांड के रूप में अरण्यकांड का नाम आता है. अरण्यकांड का छत्तीसगढ़ से नाता इस दृष्टिकोण से भी माना जाता है कि भगवान राम वनवास के समय दंडकारण्य में अधिक समय बिताए थे. इसके साथ ही मारीच राक्षस अनुसुइया या पंचवटी की जो बात होती है. इसके साथ ही सूर्पणखा वाली घटना आती है. जिसमें रावण सीता का हरण करके ले जाते हैं. सूर्पनखा के भाई खरदूषण के वध का भी उल्लेख मिलता है. रामायण की घटनाओं की वजह से ही छत्तीसगढ़ को समृद्ध माना जाता है. इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के सिहावा सप्तश्रृंगी का आश्रम, अरण्यकांड छत्तीसगढ़ के सिहावा नगरी से लेकर गोदावरी या बस्तर तक का क्षेत्र आता है. जिसमें बहुत सारे प्रसंग का उल्लेख आता है.''

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अरण्यकांड का महत्व: रामायण में अरण्यकांड का उल्लेख मिलता है.अरण्य कांड में भगवान श्रीराम और उनके परिवार के वन में बिताए गए समय का विवरण है. इसी खंड सूर्पनखा के साथ लक्ष्मण विवाद और फिर खरदूषण का वध का उल्लेख है. सूर्पनखा के कारण ही रावण माता सीता को हरण करके ले जाता है.ऐसा माना जाता है कि अरण्यकांड का ज्यादातर समय भगवान राम ने दक्षिण कोसल यानी छत्तीसगढ़ में बिताया.इसलिए प्रदेश के रामायण महोत्सव में अरण्यकांड की महत्ता और भी ज्यादा बढ़ जाती है.

Last Updated : May 19, 2023, 11:24 AM IST
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