रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में 20 जुलाई यानी कि हरेली से 'गोधन न्याय योजना' की शुरुआत करने जा रही है. छत्तीसगढ़ देश का ऐसा पहला राज्य है जहां सरकार इस तरह की योजना शुरू कर रही है. इस योजना के तहत सरकार पशुपालकों से 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से गोबर की खरीदी करेगी. सरकार की इस योजना की लोगों ने जमकर तारीफ की है, साथ ही इसे किसानों और पशुपालकों के लिए लाभकारी बताया है. पशुपालकों का कहना है कि इस योजना से पशुओं को पालना आसान हो जाएगा. इस योजना के लिए सरकार की ओर से पूरा खाका तैयार कर लिया गया है.
छत्तीसगढ़ की तमाम सहकारी समितियों और गौठानों के माध्यम से यह योजना संचालित की जाएगी और 2 रुपए प्रति किलो के हिसाब से गोबर खरीदा जाएगा. गौठानों में इक्ठा हो रहे इस गोबर से सरकार वर्मी कंपोस्ट तैयार करेगी, जिसे जैविक खाद के रूप में फिर से किसानों को ही दिया जाएगा.
छत्तीसगढ़ में पशुओं की स्थिति
- 2019 गणना के तहत 1.11 करोड़ पशुधन
- 2.67 लाख विदेशी नस्ल की गाय
- 12 लाख वंशीय भैंस की संख्या
- एक गाय औसतन 8 से 10 किलो गोबर देती है
- विदेशी नस्ल की गाय औसतन 30 से 35 किलो गोबर देती है
- औसतन 10 करोड़ किलो गोबर हर दिन होगा
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रोजगार के खुलेंगे अवसर
हालांकि, इतनी बड़ी मात्रा में गोबर को सुरक्षित रखना भी एक बड़ी चुनौती होगी. लेकिन भूपेश सरकार का दावा है कि गोबर खरीदी के लिए कार्ययोजना बेहद आसान और सुरक्षित है. यह योजना बेहद महत्वाकांक्षी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने वाली है. गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए वरदान साबित होगी. इस योजना से पशुपालकों को लाभ तो मिलेगा ही इसके अलावा रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे.
महिला स्व-सहायता समूह के माध्याम से किया जाएगा गोबर एकत्रित
कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने बताया कि गौठान समिति और महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से गोबर एकत्र किया जाएगा. नगरीय प्रशासन विभाग और वन प्रबंधन समितियों की मदद से नगरीय इलाकों में गोबर की खरीदी का काम किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वर्मी कंपोस्ट की आवश्यकता किसानों के साथ-साथ हॉर्टिकल्चर में वन विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग को भी होती है. ऐसे में गोबर से तैयार वर्मी कंपोस्ट की खपत और उसकी मार्केटिंग की चिंता सरकार को नहीं है. उन्होंने कहा कि यहां बनने वाले वर्मी कंपोस्ट को प्राथमिकता के आधार पर उसी गांव के किसानों को निर्धारित मूल्य पर दिया जाएगा.
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गोधन न्याय योजना से लाभ
- सड़कों पर अवारा पशुओं की आवाजाही पर रोक
- जैविक खेती को मिलेगा बढ़ावा
- ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर
पशुपालकों को मिलेगी मदद
इस योजना के तहत राज्य के 2000 से ज्यादा गौठानों में गोबर की खरीदी और खाद निर्माण का काम किया जाएगा. जिससे करीब साढे चार लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. पशु वैज्ञानिक बताते हैं कि एक गाय या भैंस प्रतिदिन औसतन 10 किलो गोबर देती है. पहले पशुओं को पालना मुश्किल था, जिस वजह से ज्यादातार पशु मालिक अपनी पशुओं को बूढ़े होने के बाद छोड़ दिया करते थे, लेकिन अब सरकार की इस पहल से पशुपालकों को मदद मिलेगी. पशुपालक और डेयरी संचालक वीरेंद्र कहते हैं कि छत्तीसगढ़ सरकार पशुओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए बड़ा काम कर रही है. किसानों के साथ-साथ आम लोगों को भी इस योजना का फायदा मिलेगा. इस योजना से एक ओर जहां किसान जैविक खेती करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे, वहीं सड़कें भी साफ रहेंगी, जिससे दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी.
सरकार को पहले ठोस कार्ययोजना बनाने की जरूरत
छत्तीसगढ़ में इस योजना को लेकर जोर शोर से काम शुरू हो गया है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर सरकार ज्यादा तेजी दिखाती है. तो पिछली योजनाओं की तरह फेल भी हो सकती है. वरिष्ठ पत्रकार शशांक शर्मा कहते हैं कि गोधन न्याय योजना बेहद अच्छी योजना है, लेकिन इसकी राह कच्ची है. ऐसे में सरकार को पहले ठोस कार्ययोजना बनाने की जरूरत है. वे कहते हैं कि जब सरकार जल्द परिणाम की उम्मीद में तेज भागने लगती है तो योजना हांफने लगती है. सरकार को पशुपालकों को लाभ देने की शीघ्रता हो सकती है, लेकिन यह योजना लागू करना इतना आसान नहीं है.
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बहरहाल, छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना ने पूरे देश को चौंका दिया है. अब देखना होगा कि गाय-गरीब और किसान हित की बात करने वाली ये योजना कितना कारगर होती है.