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रायपुर: कृषि सुधार कानून के खिलाफ कानूनी लड़ाई, किसान महासंघ की याचिका पर SC में सुनवाई आज

कृषि सुधार कानून के संबंध में कुछ प्रतिष्ठित प्रगतिशील किसानों और केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ इस कानून पर चर्चा के लिए बैठक रखी गई थी, लेकिन अंतिम समय में एजेंडे में संशोधन से संबंधित मुद्दों को ही हटा दिया गया. इसे लेकर अखिल भारतीय किसान महासंघ (आइफा) कानूनी लड़ाई लड़ेगा.

All india farmers federation
डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी
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Published : Oct 11, 2020, 5:44 PM IST

Updated : Oct 12, 2020, 1:07 PM IST

रायपुर: केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में पारित किए गए कृषि कानून चर्चा पर किसानों को धक्का लगा है. कृषि सुधार के नाम पर केंद्र सरकार ने जो तीन कानून पास किए हैं, इसे लेकर किसानों में भारी आक्रोश है. अखिल भारतीय किसान महासंघ (आइफा) के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि 8 और 9 अक्टूबर को देश के कुछ प्रतिष्ठित प्रगतिशील किसानों और केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ इस कानून पर चर्चा के लिए बैठक रखी गई थी, लेकिन अंतिम समय में एजेंडे में संशोधन से संबंधित मुद्दों को ही हटा दिया गया.

पढ़ें: 'पीएम में हिम्मत है तो एक राष्ट्र-एक बाजार के साथ एक दर लागू करें, कांग्रेस आंदोलन नहीं करेगी'

राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि इन बैठकों में अखिल भारतीय किसान महासंघ (आइफा) की ओर से भाग लेने के लिए वे दिल्ली गए थे, लेकिन जब एजेंडे में संशोधन वाले मुद्दे को हटा दिया गया तो आइफा ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया. डॉक्टर त्रिपाठी आगे ने कहा कि सरकारें किसानों के अधिकारों और सुरक्षा की सिर्फ बातें करती है, लेकिन जब संवैधानिक जामा पहनाना होता है, तो वह किसानों के बजाय कॉर्पोरेट के पक्ष में ज्यादा खड़ी दिखती है.

यह भी पढे़ें: बेमेतरा: वर्चुअल किसान सम्मेलन में संसदीय सचिव ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

सुप्रीम कोर्ट में 12 अक्टूबर को सुनवाई

अखिल भारतीय किसान महासंघ का कहना है कि अब किसानों के पास सरकार द्वारा थोपी जा रही परतंत्रा के खिलाफ किसानों को सिर्फ कानून का ही सहारा है और अब आईफा इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी. इन तीनों कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने एक याचिका भी दायर की है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 12 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. आइफा ने इस लड़ाई में मनोहर लाल शर्मा को पूरा समर्थन देने का वादा किया है. इस कानूनी लड़ाई को और कैसे मजबूत बनाई जा सकता है, इस मुद्दे पर अगले सप्ताह आईफा अपने सहयोगी संगठनों के साथ विचार-विमर्श कर आगे की रणनीति तैयार करेगी. डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि अगर इन कानून में संशोधन नहीं किया गया तो आगे चलकर खेती-किसानी कॉर्पोरेट के नियंत्रण में आ जाएगा.

रायपुर: केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में पारित किए गए कृषि कानून चर्चा पर किसानों को धक्का लगा है. कृषि सुधार के नाम पर केंद्र सरकार ने जो तीन कानून पास किए हैं, इसे लेकर किसानों में भारी आक्रोश है. अखिल भारतीय किसान महासंघ (आइफा) के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि 8 और 9 अक्टूबर को देश के कुछ प्रतिष्ठित प्रगतिशील किसानों और केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ इस कानून पर चर्चा के लिए बैठक रखी गई थी, लेकिन अंतिम समय में एजेंडे में संशोधन से संबंधित मुद्दों को ही हटा दिया गया.

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राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि इन बैठकों में अखिल भारतीय किसान महासंघ (आइफा) की ओर से भाग लेने के लिए वे दिल्ली गए थे, लेकिन जब एजेंडे में संशोधन वाले मुद्दे को हटा दिया गया तो आइफा ने इस बैठक का बहिष्कार कर दिया. डॉक्टर त्रिपाठी आगे ने कहा कि सरकारें किसानों के अधिकारों और सुरक्षा की सिर्फ बातें करती है, लेकिन जब संवैधानिक जामा पहनाना होता है, तो वह किसानों के बजाय कॉर्पोरेट के पक्ष में ज्यादा खड़ी दिखती है.

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सुप्रीम कोर्ट में 12 अक्टूबर को सुनवाई

अखिल भारतीय किसान महासंघ का कहना है कि अब किसानों के पास सरकार द्वारा थोपी जा रही परतंत्रा के खिलाफ किसानों को सिर्फ कानून का ही सहारा है और अब आईफा इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी. इन तीनों कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा ने एक याचिका भी दायर की है. इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 12 अक्टूबर को सुनवाई करेगा. आइफा ने इस लड़ाई में मनोहर लाल शर्मा को पूरा समर्थन देने का वादा किया है. इस कानूनी लड़ाई को और कैसे मजबूत बनाई जा सकता है, इस मुद्दे पर अगले सप्ताह आईफा अपने सहयोगी संगठनों के साथ विचार-विमर्श कर आगे की रणनीति तैयार करेगी. डॉक्टर त्रिपाठी ने कहा कि अगर इन कानून में संशोधन नहीं किया गया तो आगे चलकर खेती-किसानी कॉर्पोरेट के नियंत्रण में आ जाएगा.

Last Updated : Oct 12, 2020, 1:07 PM IST
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