रायपुर: आज अक्षय तृतीया है. इस शुभ दिन पर छत्तीसगढ़ में मिट्टी के गुड्डे- गुड़ियों का ब्याह कराने का रिवाज है. प्रदेशभर में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में मिट्टी के आकर्षक खिलौनों और पूजा सामग्री की दुकानें सजी हुई हैं. लोग गुड्डे- गुड़ियां खरीद रहे हैं. छत्तीसगढ़ में अक्षय तृतीया को अक्ती कहा जाता है. बच्चे पुतरे-पुतरी (गुड्डे- गुड़िया) की शादी कराते हैं.
अक्षय तृतीया को विवाह के लिए बेहद शुभ माना जाता है. कहते हैं इस दिन बिना मुहूर्त देखे किसा भी वक्त शादी कर सकते हैं. प्रदेश में सालों से ये परंपरा धूम-धाम से मनाई जा रही है. मंडप में तेल, हल्दी की रस्म निभाई जाती है. जो रस्में शादी में निभाई जाती हैं, वो सब गुड्डे- गुड़िया की शादी में होती हैं. गुड्डे को सेहरा बांधा जाता है, गुड़िया दुल्हन की तरह सजाई जाती है. मालपुए बनाए जाते हैं.
आज से शुरू होती है धान बोआई
अक्षय तृतीया को प्रदेश में कृषि के नववर्ष के रूप में भी मनाया जाता है. इस दिन गांव में किसान धान लेकर इकट्ठे होते हैं. बैगा द्वारा पूजा कराई जाती है, पूजा के बाद धान किसानों को बांट दिया जाता है. गांव वाले इसी धान को लेकर अपने-अपने खेतों में जाते हैं और बुआई शुरू करते हैं. अलग-अलग जगहों पर रिवाज में थोड़ा परिवर्तन आ जाता है. जहां बैगा मंत्र नहीं पढ़ते वहां किसान अपने कुल देवता, गांव देवता को धान चढ़ाकर बुआई शुरू कर देते हैं.
16 साल बाद बना योग
इस साल अक्षय तृतीया पर सोलह साल बाद विशेष योग बन रहे हैं. इससे पहले यह संयोग साल 2003 में बना था. राशियों के मुताबिक खरीदारी करने में अति शुभ योग है. इस बार मृगशिरा नक्षत्र और अतिगंड योग के सहयोग से इच्छापूर्ति योग भी बन रहा है.