रायपुर: छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्योहार अक्ती यानी अक्षय तृतीया धूमधाम से मनाया गया. अक्ती के दिन बच्चे मिट्टी से बनाए गए गुड्डे गुड़ियों का ब्याह रचाते हैं. वहीं किसान खरीफ फसल की शुरुआत के लिए पूजा अर्चना करते हैं. धरती मां की पूजा अर्चना के साथ जमीन के कुछ हिस्से में खुदाई कर खरीफ फसल की औपचारिक शुरुआत की जाती है.
अक्षय तृतीया के मौके पर रायपुर के प्रोफेसर कॉलोनी के बुंदेल परिवार ने गुड्डे गुड़ियों की शादी रचाई. जिनमें बच्चों के साथ-साथ घर के बड़े बुजुर्ग भी शामिल हुए. अक्षय तृतीया पूरे देश में धूमधाम से मनाई जाती है. छत्तीसगढ़ में इसे अक्ती के नाम से भी जाना जाता है. छत्तीसगढ़ के निवासियों में इस त्यौहार को लेकर बेहद उत्साह रहता है. अक्षय तृतीया के दिन को बिना पोथी पुरान देखे शादी ब्याह और गृह प्रवेश का शुभ मुहूर्त माना जाता है. वहीं दूसरी ओर बच्चों के लिए यह पर्व बेहद खास होता है. इस दिन गुड्डे-गुड़ियों की शादी बच्चे धूमधाम से करते हैं.
ग्रामीणों इलाकों में पेड़-पौधों को पानी देकर मनाया अक्ती का त्योहार
रीता बुंदेल ने बताया कि यह छत्तीसगढ़ का यह बेहद खास पर्व है. अक्ती के दिन बच्चे पुतरा-पुतरी (गुड्डे-गुड़िया) का ब्याह रचाते हैं. जब बच्चों का ब्याह कर नए जीवन में प्रवेश करना होता है वह इसी परंपरा के साथ विवाह करते हैं. बच्चे, बुजुर्ग बनकर शादी की रस्मों को निभाते हैं और पुतरा-पुतरी का विवाह करते हैं.
विवाह के दौरान बच्चे निभाते हैं सभी रस्में
जिस तरह से विवाह की सारी रस्में और रीति-रिवाज होते हैं. उसी तरह छोटे बच्चे गुड्डे, गुड़ियों का ब्याह कराते वक्त सारी रस्मों को निभाते हैं. जिसमें मेहंदी, हल्दी, संगीत जैसी होने वाली सभी रस्मों को पूरा किया जाता है. अगले दिन गुड्डे गुड़ियों का विवाह किया जाता है. इस दौरान बच्चे बेहद उत्साह के साथ नाचते गाते हैं और इस पर्व का आनंद लेते हैं.जिस तरह शादियों में पकवान बनाए जाते हैं उसी तरह गुड्डे-गुड़ियों के विवाह के दौरान भी पकवान बनाए जाते हैं.