रायपुर : वृक्ष की आरोग्य नवमी, अक्षय नवमी (Akshaya Navami 2021) और कूष्मांड नवमी आज मनाई जा रही है. अक्षय नवमी के अवसर पर आंवले के पेड़ की विशेष पूजा करने का विधान है. इस दिन सुबह नहाने के पानी में आंवले का रस या पावडर मिलाकर नहाएं. ऐसा करने से आपके आसपास जितनी भी निगेटिव (Negative Energy) ऊर्जा होगी, वह समाप्त हो जाएगी. सकारात्मकता और पवित्रता में बढ़ोतरी होगी. फिर आंवले के पेड़ और देवी लक्ष्मी का पूजन करें. कार्तिक शुक्ल नवमी को आंवला पेड़ की पूजा कर ब्रह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भी परिवार सहित आंवला पेड़ के नीचे भोजन करने का विशेष महत्व माना गया है.
आंवला नवमी पूजन का शुभ मुहूर्त
12 नवंबर 2021 दिन शुक्रवार की सुबह 06 बजकर 50 मिनट से दोपहर 12 बजकर 10 मिनट तक पूजन का शुभ मुहूर्त है. इसके साथ ही दिन भर आंवला नवमी के दिन आंवला पेड़ की पूजा की जा सकती है और आंवला नवमी का पर्व मनाया जा सकता है.
आंवला खाने से यौवन प्राप्त होता है
महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ला ने बताया कि कार्तिक मास की नवमी को आंवला के पेड़ के नीचे अमृत की वर्षा होती है. चरक संहिता में बताया गया है कि अक्षय नवमी को महर्षि च्यवन ने आंवला खाया था, जिस से उन्हें पुन: नवयौवन प्राप्त हुआ था. आंवले का रस हर रोज पीने से पुण्यों में बढ़ोतरी होती है और पाप नष्ट होते हैं. कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि में आंवले के पेड़ की पूजा को पुत्र प्राप्ति के लिए भी विशेष लाभदायक माना गया है.
आंवला नवमी पूजन व्रत का विधान
आंवला नवमी के दिन महिलाएं सुबह से ही स्नान कर आंवला के वृक्ष के नीचे पूर्व दिशा में मुंह करके बैठती हैं. इसके बाद वृक्ष की जड़ों को दूध से सींच कर उसके तने पर कच्चे सूत का धागा लपेटा जाता है. इसके बाद रोली, चावल और धूप-दीप से वृक्ष की पूजा की जाती है. आंवले के वृक्ष की परिक्रमा करके ब्राह्मण, भाई, बंधु व परिवार जनों के साथ वहीं पर भोजन करें.