ETV Bharat / state

Aja Ekadashi 2022 अजा एकादशी व्रत कथा और महत्व - Aja Ekadashi Vart

Aja Ekadashi 2022 एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक हो जाता है. इस व्रत में विष्णु जी की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि अजा एकादशी की कथा व्रत सुनने-पढ़ने से अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति होती है.

Aja Ekadashi Vart
अजा एकादशी व्रत
author img

By

Published : Aug 21, 2022, 1:49 PM IST

रायपुर: अजा एकादशी भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस बार अजा एकादशी 23 अगस्त मंगलवार को पड़ा है. कहते हैं कि जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत सच्ची श्रद्धा और नियम से करता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है.Importance Of Aja Ekadashi Vart

कहते हैं कि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को प्रिय है, इसलिए इस दिन उनकी पूजा आराधना की जाती है. हालांकि एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है. इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है.

शुभ मुहूर्त और पारण समय: अजा एकादशी का व्रत इस बार 23 अगस्त मंगलवार को रखा जाएगा. जो भक्त 23 अगस्त को अजा एकादशी का व्रत रखेंगे, वे 24 अगस्त को व्रत का पारण करेंगे. अजा एकादशी व्रत का पारण समय सुबह 5 बजकर 55 मिनट से सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक है. ऐसे में इस दौरान एकादशी व्रत का पारण करना उत्तम रहेगा.

इन नियमों का करें पालन: एकादशी के व्रत के दिन से एक दिन पहले दोपहर में भोजन करने के बाद शाम का भोजन नहीं करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगले दिन पेट में कोई भोजन न बचे. भक्त एकादशी के व्रत के नियमों का कड़ाई से पालन करते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत समाप्त होता है. एकादशी व्रत में सभी प्रकार के अनाज का सेवन वर्जित है. जो लोग किसी भी कारण से एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए. ऐसे करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.

यह भी पढ़ें; Sawan Putrada Ekadashi 2022: जानिए क्यों रखा जाता है पुत्रदा एकादशी का व्रत

अजा एकादशी व्रत कथा: एक राज्य में हरिश्चन्द्र नाम के राजा थे. अपने राज्य को राजा बहुत प्रसन्न रखते थे. राज्य में खुशहाली थी. कुछ समय बाद राजा की शादी हुई. राजा का एक पुत्र हुआ, लेकिन दिन बदलने लगे. राजा के पिछले जन्मों के कर्म उनके आगे आने लगे, जिसके फल के रूप में राजा को दुख भोगना पड़ रहा था. राजा के राज्य पर दूसरे राज्य के राजा ने कब्जा कर लिया.Aja Ekadashi Vart katha

राजा दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए. अपनी दो वक्त की रोटी के लिए राजा ने एक चांडाल के पास काम करना शुरू किया. वह मृतकों के शवों को अग्नि देने के लिए लकड़ियां काटने का काम करता था. अपने जीवन से बहुत दुखी राजा को समझ आया कि वो जरूर अपने कर्मों के फल की वजह से ही इस दशा में हैं कि रोटी को भी मोहताज हो गए.

एक दिन राजा लकड़ियां काटने के लिए जंगल में गए थे. वहां लकड़ियां लेकर घूम रहे थे, अचानक देखा कि सामने से ऋषि गौतम आ रहे हैं. राजा ने उन्हें देखते ही हाथ जोड़े और बोले हे ऋषिवर प्रणाम, आप तो जानते ही हैं कि मैं इस समय जीवन के कितने बुरे दिन व्यतीत कर रहा हूं. आपसे विनती है कि हे संत भगवान मुझ पर अपनी कृपा बरसाएं. मुझ पर दया कर बताइये कि मैं ऐसा क्या करूं जो नरक जैसे इस जीवन को पार लगाने में सक्षम हो पाऊं.

ऋषि गौतम ने कहा हे राजन तुम परेशान न हो. यह सब तुम्हारे पिछले जन्म के कर्मों की वजह से ही तुम्हें झेलना पड़ रहा है. कुछ समय बाद भाद्रपद माह आएगा. उस महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी अजा एकादशी का तुम व्रत करो उसके प्रभाव से तुम्हारा उद्धार होगा तुम्हारे जीवन में सुख लौट आएगा.

राजा ने ऋषि के कहे अनुसार उसी प्रकार व्रत किया. व्रत के प्रभाव से राजा को अपना राज्य वापस मिल गया, इसके बाद उस समय स्वर्ग में नगाड़े बजने लगे तथा पुष्पों की वर्षा होने लगी. उसने अपने सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा देवेन्द्र आदि देवताओं को खड़ा पाया. उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित तथा अपनी पत्नी को राजसी वस्त्र तथा आभूषणों से परिपूर्ण देखा. व्रत के प्रभाव से राजा को पुनः अपने राज्य की प्राप्ति हुई. वास्तव में एक ऋषि ने राजा की परीक्षा लेने के लिए यह सब कौतुक किया था, परन्तु अजा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ऋषि द्वारा रची गई सारी माया समाप्त हो गई और अन्त समय में हरिश्चन्द्र अपने परिवार सहित स्वर्ग लोक को पधार गये.

रायपुर: अजा एकादशी भाद्रपद कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस बार अजा एकादशी 23 अगस्त मंगलवार को पड़ा है. कहते हैं कि जो व्यक्ति अजा एकादशी का व्रत सच्ची श्रद्धा और नियम से करता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ के समान फल मिलता है.Importance Of Aja Ekadashi Vart

कहते हैं कि एकादशी तिथि भगवान विष्णु को प्रिय है, इसलिए इस दिन उनकी पूजा आराधना की जाती है. हालांकि एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना बेहद जरूरी होता है. इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना की जाती है.

शुभ मुहूर्त और पारण समय: अजा एकादशी का व्रत इस बार 23 अगस्त मंगलवार को रखा जाएगा. जो भक्त 23 अगस्त को अजा एकादशी का व्रत रखेंगे, वे 24 अगस्त को व्रत का पारण करेंगे. अजा एकादशी व्रत का पारण समय सुबह 5 बजकर 55 मिनट से सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक है. ऐसे में इस दौरान एकादशी व्रत का पारण करना उत्तम रहेगा.

इन नियमों का करें पालन: एकादशी के व्रत के दिन से एक दिन पहले दोपहर में भोजन करने के बाद शाम का भोजन नहीं करते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि अगले दिन पेट में कोई भोजन न बचे. भक्त एकादशी के व्रत के नियमों का कड़ाई से पालन करते हैं और अगले दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत समाप्त होता है. एकादशी व्रत में सभी प्रकार के अनाज का सेवन वर्जित है. जो लोग किसी भी कारण से एकादशी का व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें एकादशी के दिन भोजन में चावल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करना चाहिए. ऐसे करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है.

यह भी पढ़ें; Sawan Putrada Ekadashi 2022: जानिए क्यों रखा जाता है पुत्रदा एकादशी का व्रत

अजा एकादशी व्रत कथा: एक राज्य में हरिश्चन्द्र नाम के राजा थे. अपने राज्य को राजा बहुत प्रसन्न रखते थे. राज्य में खुशहाली थी. कुछ समय बाद राजा की शादी हुई. राजा का एक पुत्र हुआ, लेकिन दिन बदलने लगे. राजा के पिछले जन्मों के कर्म उनके आगे आने लगे, जिसके फल के रूप में राजा को दुख भोगना पड़ रहा था. राजा के राज्य पर दूसरे राज्य के राजा ने कब्जा कर लिया.Aja Ekadashi Vart katha

राजा दर दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो गए. अपनी दो वक्त की रोटी के लिए राजा ने एक चांडाल के पास काम करना शुरू किया. वह मृतकों के शवों को अग्नि देने के लिए लकड़ियां काटने का काम करता था. अपने जीवन से बहुत दुखी राजा को समझ आया कि वो जरूर अपने कर्मों के फल की वजह से ही इस दशा में हैं कि रोटी को भी मोहताज हो गए.

एक दिन राजा लकड़ियां काटने के लिए जंगल में गए थे. वहां लकड़ियां लेकर घूम रहे थे, अचानक देखा कि सामने से ऋषि गौतम आ रहे हैं. राजा ने उन्हें देखते ही हाथ जोड़े और बोले हे ऋषिवर प्रणाम, आप तो जानते ही हैं कि मैं इस समय जीवन के कितने बुरे दिन व्यतीत कर रहा हूं. आपसे विनती है कि हे संत भगवान मुझ पर अपनी कृपा बरसाएं. मुझ पर दया कर बताइये कि मैं ऐसा क्या करूं जो नरक जैसे इस जीवन को पार लगाने में सक्षम हो पाऊं.

ऋषि गौतम ने कहा हे राजन तुम परेशान न हो. यह सब तुम्हारे पिछले जन्म के कर्मों की वजह से ही तुम्हें झेलना पड़ रहा है. कुछ समय बाद भाद्रपद माह आएगा. उस महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी अजा एकादशी का तुम व्रत करो उसके प्रभाव से तुम्हारा उद्धार होगा तुम्हारे जीवन में सुख लौट आएगा.

राजा ने ऋषि के कहे अनुसार उसी प्रकार व्रत किया. व्रत के प्रभाव से राजा को अपना राज्य वापस मिल गया, इसके बाद उस समय स्वर्ग में नगाड़े बजने लगे तथा पुष्पों की वर्षा होने लगी. उसने अपने सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा देवेन्द्र आदि देवताओं को खड़ा पाया. उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित तथा अपनी पत्नी को राजसी वस्त्र तथा आभूषणों से परिपूर्ण देखा. व्रत के प्रभाव से राजा को पुनः अपने राज्य की प्राप्ति हुई. वास्तव में एक ऋषि ने राजा की परीक्षा लेने के लिए यह सब कौतुक किया था, परन्तु अजा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ऋषि द्वारा रची गई सारी माया समाप्त हो गई और अन्त समय में हरिश्चन्द्र अपने परिवार सहित स्वर्ग लोक को पधार गये.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.