रायपुर: छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद से प्रदेश में लगातार औद्योगीकरण की रफ्तार तेज हुई. जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ तेजी से उभरते राज्यों की लिस्ट में शामिल हुआ. लेकिन इस उपलब्धि ने एक अभिशाप हमें दिया. सूबे की हवा जहरीली होती जा रही है. यहां वायु प्रदूषण चरम पर पहुंच चुका है. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर, दुर्ग,भिलाई, कोरबा, रायगढ़ जैसे शहरों में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है.
छत्तीसगढ़ में लगातार वायु प्रदूषण बढ़ने की स्थिति को लेकर पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने भी चिंता जाहिर की है. प्रदेश की जनता के साथ-साथ यहां के जीव-जंतुओं के लिए यह आबोहवा खतरनाक साबित हो रही है.
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7 से 8 गुना तक पहुंचा आंकड़ा
पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के रसायन अध्ययन शाला के आंकड़े बता रहे हैं कि हवा में पीएम 2.5 का स्थान निर्धारित मानकों से 7 से 8 गुना तक पहुंच गया है. पीएम 2.5 का आंकड़ा 450 माइक्रोग्राम मीटर क्यूब तक दर्ज किया गया है. यह सामान्य से कई गुना ज्यादा होने के चलते काफी घातक है. पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय में रसायन शास्त्र विभाग के एचओडी प्रोफेसर शम्स परवेज के मुताबिक हवा में खतरनाक रसायन का एनुअल एवरेज 145 से 150 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया है.
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728 मिलियन एक्सपेंशन का प्लांट
2015 से 2017 के बीच में प्रदूषण की मात्रा में बहुत तेजी से बढ़ोतरी हुई. अब यह 180 माइक्रोग्राम तक पहुंच गया है. जिसके बाद सरकार हरकत में आई. कई उद्योगों पर कार्रवाई हुई लेकिन बीते एक साल से फिर वही रवैया शुरू हो गया है. बीते 1 साल में रायपुर, दुर्ग, भिलाई इलाकों में प्रदूषण तेजी से बढ़ा है. सबसे बड़ी प्रॉब्लम भिलाई स्टील प्लांट है. वह 728 मिलियन एक्सपेंशन का प्लांट है. इस प्लांट से लगातार प्रदूषण होता है. चरौदा में 500 मेगावाट का थर्मल प्लांट भी है. यहां से उड़ने वाली राख से ज्यादा प्रदूषण होता है.
लोग लगातार हो रहे बीमार
कोरोना संक्रमण के बाद भी शहर के आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता में सुधार को लेकर कोई बड़े कदम नहीं उठाए गए. त्योहार और नये साल के मौके पर होने वाली आतिशबाजी और पराली जलाने से भी वायु प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है.
यही वजह है कि प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. अंधाधुंध चल रहे निर्माण कार्यों से उड़ने वाली डस्ट भी बड़े पैमाने पर वायु को प्रदूषित कर रही है. प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगों को बीमारी हो रही है. लोग सांस की गंभीर बीमारियों की गिरफ्त में आ रहे हैं.
पर्यावरणविद् ने जताई चिंता
पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी इसे बेहद खतरनाक मानते हैं. उनका कहना है कि लगातार होने वाले निर्माण कार्य और औद्योगीकरण ने वायु प्रदूषण में रिकॉर्ड वृद्धि की है. शहर में वाहनों की संख्या बढ़ने से भी प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है. 68 प्रतिशत तक प्रदूषण बढ़ने का कारण फ्यूल और कोयले का जलना है. रायपुर में ही 800 से ज्यादा कैपटिव पावर प्लांट है. जिसका धुआं बड़े पैमाने पर निकलता है. इसमें निकलने वाला धुआं बहुत हानिकारक होता है. इससे कैंसर और प्री-मेच्योर डिलीवरी जैसी बीमारियां कॉमन है. प्रदेश के 100 प्रदूषित सेक्टरों में रायपुर का सिलतरा एरिया 17 नंबर पर है. रायपुर 37वें नंबर पर है. कोरबा 72वें नंबर पर है.
प्रदेश में नहीं है मॉनिटरिंग की व्यवस्था
पर्यावरणविद नितिन सिंघवी के मुताबिक दूसरे राज्यों और शहरों में प्रदूषण के मॉनिटरिंग की व्यवस्था है. 21 राज्यों के 121 शहर में 251 जगह पर इसकी व्यवस्था है. लेकिन छत्तीसगढ़ के एक भी शहर में यह ऑटोमैटिक मॉनिटर नहीं लगाया है.
इसे लेकर उन्होंने आवास एवं पर्यावरण मंत्री मोहम्मद अकबर को शिकायत की है. अगर बात एयर क्वालिटी इंडेक्स की हो तो इसे 6 प्रकार में बांटा गया है. जिनमें
AQI प्रदूषण की स्थिति
देश के सबसे प्रदूषित राज्यों में से एक है छत्तीसगढ़
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल समय-समय पर देश भर के प्रदूषित राज्य और क्षेत्रों की सेक्टरवाइज जानकारी जारी करता है. 100% औद्योगिक क्षेत्रों में रायपुर का सिलतरा 17वें स्थान पर है. जबकि कोरबा 37वें और भिलाई-दुर्ग 93वें स्थान पर हैं.
देश के 100 प्रदूषित शहरों में छत्तीसगढ़ के तीन शहर रायपुर, कोरबा और भिलाई-दुर्ग आते हैं. इसके बावजूद अबतक हवा की स्वच्छता को मापने वाला मीटर छत्तीसगढ़ में नहीं लगाया गया है. जबकि छत्तीसगढ़ के पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में ही 15 जगहों पर ऐसे ऑटोमेटिक मॉनिटरिंग मीटर लगे हैं.