रायपुर: सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक कृषि कानून को लागू करने पर रोक लगा दी है. साथ ही इस बिल के अध्यन और बिल पर चर्चा करने के लिए एक समिति गठित की गई है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर ETV भारत ने अखिल भारतीय किसान महासंघ (AIFA) के संयोजक डॉ. राजाराम त्रिपाठी से बात की और उनसे इस फैसले पर उनकी राय जानी.
राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि किसान शुरू से ही सरकार से मांग कर रहे थे कि किसान संगठनों और केंद्र सरकार से बातचीत होने तक इस बिल पर रोक लगाई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है वो केंद्र सरकार भी ले सकती थी. लेकिन उन्होंने नहीं लिया. जिसकी वजह से सर्वोच्च न्यायालय को इसमें दखल देना पड़ा. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का हम स्वागत करते हैं.
चर्चा के बाद तय होगी आगे की रणनीति
किसानों के आंदोलन पर राजाराम त्रिपाठी ने कहा कि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने जो व्यवस्था दी है उस पर सभी किसान संगठन अध्यन करेंगे. इसके बाद ही भविष्य की रणनीति तय होगी.
समिति के सदस्य
किसान संगठनों से बातचीत के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जिस समिति का गठन किया है उसमें अर्थशास्त्री के अलावा किसान यूनियन नेता और इंटरनेशनल पॉलिसी हेड भी शामिल हैं.
पढ़ें: किसान आंदोलन में प्रतिबंधित संगठनों की भूमिका पर केंद्र दे हलफनामा : सुप्रीम कोर्ट
- भूपिंदर सिंह मान, अध्यक्ष बीकेयू
- डॉ प्रमोद कुमार जोशी, इंटरनेशनल पॉलिसी हेड
- अशोक गुलाटी, कृषि अर्थशास्त्री
- अनिल घनवंत, शिवकेरी संगठन, महाराष्ट्र
कानून निलंबित करने का अधिकार
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि कोई ताकत उसे नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए समिति का गठन करने से नहीं रोक सकती तथा उसे समस्या का समाधान करने के लिए कानून को निलंबित करने का अधिकार है. कोर्ट ने किसानों के प्रदर्शन पर कहा, हम जनता के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा को लेकर चिंतित हैं.
किसान संगठनों का मांगा सहयोग
न्यायालय ने साथ ही किसान संगठनों से सहयोग मांगते हुए कहा कि कृषि कानूनों पर 'जो लोग सही में समाधान चाहते हैं, वे समिति के पास जाएंगे'. उसने किसान संगठनों से कहा, 'यह राजनीति नहीं है. राजनीति और न्यायतंत्र में फर्क है और आपको सहयोग करना ही होगा.'