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रायपुर में 23 से 25 फरवरी तक लगेगा कृषि मेला

राजधानी रायपुर में 23 से 25 फरवरी तक कृषि मेले का आयोजन किया जाएगा. इस मेले में किसानों के सामनों और छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के स्टॉल लगाए जाएंगे.

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Published : Feb 7, 2020, 8:21 AM IST

रायपुर में 23 से 25 फरवरी तक लगेगा कृषि मेला
रायपुर में 23 से 25 फरवरी तक लगेगा कृषि मेला

रायपुर: राजधानी के तुलसी बाराडेरा में 23 से 25 फरवरी तक तीन दिवसीय राष्ट्रीय कृषि मेले का आयोजन किया जाएगा. मेले में कृषि उपज से संबंधित सामानों की प्रदर्शनी और छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के स्टॉल लगेंगे. मेले की तैयारियां जोरों पर हैं. किसान मेले में बेचे जाने वाले व्यजनों और सामान की तैयारियों में जुटे हुए हैं. मेले का आयोजन बाराडेरा के फल सब्जी उपमंडी में किया जाएगा. प्रदर्शनी और बिक्री के स्टॉल आम नागरिकों और किसानों के लिए सुबह 10 से शाम 6 बजे तक खुला रहेगा.

छत्तीसगढ़ में कई तरह के उद्यानिकी और कृषि फसलों का उत्पादन प्रचुर मात्रा में हो रहा है. छत्तीसगढ़ में खरीफ फसलों में मुख्य रूप से धान, मक्का, अरहर, उड़द, सोयाबीन की खेती की जाती है. वहीं रबी फसलों में मुख्य रूप से इमली, चिरौंजी, महुआ के बीज और लाख जैसे कई तरह के औषधीय गुणों से युक्त वनोपज का उत्पादन हो रहा है. प्रदेश के किसान उत्पादक संगठनों, महिला स्व-सहायता समूह और किसान परंपरागत फसलों के अतिरिक्त काला चावल, लाल चावल, शहद, आर्गेनिक सुगन्धित विष्णु भोग, आर्गेनिक अरहर, मूंग आदि का उत्पादन भी व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है.

महिला स्व-सहायता समूह और कृषकों की ओर से महुआ, काला चावल, रागी, ज्वार, सीताफल और मुनगा पत्ती के व्यंजन तैयार किए जा रहे हैं. प्रदेश के स्व-सहायता समूह द्वारा गोबर के दिए और गमलों का निर्माण किया जा रहा है. साथ ही अगरबत्ती, फिनाइल, फूल झाडू, साबून इत्यादि का भी उत्पादन किया जा रहा है जो प्राकृतिक और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ सस्ता भी है. इन सभी सामानों को मेले में बेचा जाएगा.

रायपुर: राजधानी के तुलसी बाराडेरा में 23 से 25 फरवरी तक तीन दिवसीय राष्ट्रीय कृषि मेले का आयोजन किया जाएगा. मेले में कृषि उपज से संबंधित सामानों की प्रदर्शनी और छत्तीसगढ़ी व्यंजनों के स्टॉल लगेंगे. मेले की तैयारियां जोरों पर हैं. किसान मेले में बेचे जाने वाले व्यजनों और सामान की तैयारियों में जुटे हुए हैं. मेले का आयोजन बाराडेरा के फल सब्जी उपमंडी में किया जाएगा. प्रदर्शनी और बिक्री के स्टॉल आम नागरिकों और किसानों के लिए सुबह 10 से शाम 6 बजे तक खुला रहेगा.

छत्तीसगढ़ में कई तरह के उद्यानिकी और कृषि फसलों का उत्पादन प्रचुर मात्रा में हो रहा है. छत्तीसगढ़ में खरीफ फसलों में मुख्य रूप से धान, मक्का, अरहर, उड़द, सोयाबीन की खेती की जाती है. वहीं रबी फसलों में मुख्य रूप से इमली, चिरौंजी, महुआ के बीज और लाख जैसे कई तरह के औषधीय गुणों से युक्त वनोपज का उत्पादन हो रहा है. प्रदेश के किसान उत्पादक संगठनों, महिला स्व-सहायता समूह और किसान परंपरागत फसलों के अतिरिक्त काला चावल, लाल चावल, शहद, आर्गेनिक सुगन्धित विष्णु भोग, आर्गेनिक अरहर, मूंग आदि का उत्पादन भी व्यापक पैमाने पर किया जा रहा है.

महिला स्व-सहायता समूह और कृषकों की ओर से महुआ, काला चावल, रागी, ज्वार, सीताफल और मुनगा पत्ती के व्यंजन तैयार किए जा रहे हैं. प्रदेश के स्व-सहायता समूह द्वारा गोबर के दिए और गमलों का निर्माण किया जा रहा है. साथ ही अगरबत्ती, फिनाइल, फूल झाडू, साबून इत्यादि का भी उत्पादन किया जा रहा है जो प्राकृतिक और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होने के साथ-साथ सस्ता भी है. इन सभी सामानों को मेले में बेचा जाएगा.

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