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रायपुर में जलभराव के बाद अब नालों की खामियां देखेगी IIT

रायपुर के वीआईपी इलाकों में पानी भरने के बाद अब निगम प्रशासन (Corporate Administration) जाग गया है. अब वह आईआईटी (IIT) के विशेषज्ञों की मदद लेने की तैयारी में है, ताकि मौजूदा नालों की डिजाइन में सुधार करने के अलावा नए प्रस्तावित नालों को बनाने के पहले इस बात का ध्यान रखा जाए.

रायपुर नगर निगम
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Published : Sep 23, 2021, 10:57 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश (HEAVY RAIN) ने पिछले कुछ सालों में बने नाले नालियों की निकासी व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी. करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए बड़े नालों में पानी रफ्तार से नहीं निकल रहा है. जिसकी वजह से राजधानी रायपुर के कई वीवीआइपी इलाके में पानी घुस गया. आलम यह हुआ कि मुम्बई की तरह रायपुर शहर भी पानी पानी हो गया. शहर के वीआईपी इलाकों में पानी भरने के बाद अब निगम प्रशासन जाग गया है. अब वह आईआईटी (IIT) के विशेषज्ञों की मदद लेने की तैयारी में है, ताकि मौजूदा नालों की डिजाइन में सुधार करने के अलावा नए प्रस्तावित नालों को बनाने के पहले इस बात का ध्यान रखा जाए.


आईआईटी के विशेषज्ञों की ली जाएगी सेवाएं

जानकारी के मुताबिक नगर निगम नाले के बहाव की जांच निर्माण के दौरान नहीं करता. यही कारण है कि आज पर्यंत निर्माण एजेंसी पर किसी प्रकार की कार्रवाई भी नहीं हो पाई. इसका खामियाजा रायपुर वासियों को हर साल बारिश में भुगतना पड़ता है. इसी गड़बड़ी को देखते हुए निगम अब भारतीय तकनीकी संस्थान या आईआईटी के स्ट्रक्चर, डिजाइनर और हाइड्रोलॉजी विशेषज्ञों की सेवाएं लेने जा रहा है.

मास्टर प्लान के हिसाब से होगा काम

पानी की निकासी को लेकर अब निगम जाग गया है. दुबारा ऐसी गलती न हो इसके लिए निगम ने प्लानिंग शुरू कर दी है. रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर (Mayor Ajaz Dhebar) ने बताया कि नालों को बेहतर करने के लिए एनआईटी या आईआईटी के स्टूडेंस्ट्स से मदद ली जा रही है. उन्होंने अपना काम भी शुरू कर दिया है. भले इस काम के लिए 100 करोड़ खर्च हो या 200 करोड़ खर्चा हो. अब हम जो भी काम करेंगे पूरी तरह मास्टर प्लानिंग के हिसाब से करेंगे, ताकि भविष्य में जलभराव की स्थिति निर्मित न हो.


नदी को जोड़ने वाले नालों की दयनीय स्थिति

शहर के पानी की निकासी के लिए जो नालों की व्यवस्था की गई है. उसने 17 नाले ऐसे हैं जो सीधे नदी से जुड़ता है. ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की तो उसमें कई खामियां निकलकर सामने आई. शहर में तो इन्नालू की स्थिति ठीक दिखाई दी. लेकिन नदी से महज 1-2 किलोमीटर पहले नालों की स्थिति काफी दयनीय है. नालों को देखकर ऐसा लग रहा है, मानो सालों से उसकी सफाई नहीं हुई है. जिसकी वजह से पानी का बहाव नहीं हो पा रहा है.


नाले का हाल कैसा, रिपोर्ट नहीं मिल पाई

नगर निगम सीमा क्षेत्र में बन रहे बड़े नालों में बहाव की स्थिति कैसी है. रिपोर्ट नहीं मिल पाई. इनमें डॉ. खूबचंद बघेल वार्ड अंतर्गत कुशालपुर फ्लाईओवर से चिंगरी नाले तक नाला निर्माण में ही 296.79 लाखों रुपए खर्च होंगे. अभी इसका सिर्फ 40% काम ही हुआ है. इसी प्रकार डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी वार्ड में भाटागांव फ्लाईओवर से चिंगरी नाले तक 277. 23 लाख का नाला लगभग तैयार हो गया. इन दोनों नालों की ढाल आदि की रिपोर्ट अभी तक नहीं बन पाई.

रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में पिछले दिनों हुई मूसलाधार बारिश (HEAVY RAIN) ने पिछले कुछ सालों में बने नाले नालियों की निकासी व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी. करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए बड़े नालों में पानी रफ्तार से नहीं निकल रहा है. जिसकी वजह से राजधानी रायपुर के कई वीवीआइपी इलाके में पानी घुस गया. आलम यह हुआ कि मुम्बई की तरह रायपुर शहर भी पानी पानी हो गया. शहर के वीआईपी इलाकों में पानी भरने के बाद अब निगम प्रशासन जाग गया है. अब वह आईआईटी (IIT) के विशेषज्ञों की मदद लेने की तैयारी में है, ताकि मौजूदा नालों की डिजाइन में सुधार करने के अलावा नए प्रस्तावित नालों को बनाने के पहले इस बात का ध्यान रखा जाए.


आईआईटी के विशेषज्ञों की ली जाएगी सेवाएं

जानकारी के मुताबिक नगर निगम नाले के बहाव की जांच निर्माण के दौरान नहीं करता. यही कारण है कि आज पर्यंत निर्माण एजेंसी पर किसी प्रकार की कार्रवाई भी नहीं हो पाई. इसका खामियाजा रायपुर वासियों को हर साल बारिश में भुगतना पड़ता है. इसी गड़बड़ी को देखते हुए निगम अब भारतीय तकनीकी संस्थान या आईआईटी के स्ट्रक्चर, डिजाइनर और हाइड्रोलॉजी विशेषज्ञों की सेवाएं लेने जा रहा है.

मास्टर प्लान के हिसाब से होगा काम

पानी की निकासी को लेकर अब निगम जाग गया है. दुबारा ऐसी गलती न हो इसके लिए निगम ने प्लानिंग शुरू कर दी है. रायपुर नगर निगम के महापौर एजाज ढेबर (Mayor Ajaz Dhebar) ने बताया कि नालों को बेहतर करने के लिए एनआईटी या आईआईटी के स्टूडेंस्ट्स से मदद ली जा रही है. उन्होंने अपना काम भी शुरू कर दिया है. भले इस काम के लिए 100 करोड़ खर्च हो या 200 करोड़ खर्चा हो. अब हम जो भी काम करेंगे पूरी तरह मास्टर प्लानिंग के हिसाब से करेंगे, ताकि भविष्य में जलभराव की स्थिति निर्मित न हो.


नदी को जोड़ने वाले नालों की दयनीय स्थिति

शहर के पानी की निकासी के लिए जो नालों की व्यवस्था की गई है. उसने 17 नाले ऐसे हैं जो सीधे नदी से जुड़ता है. ईटीवी भारत की टीम ने पड़ताल की तो उसमें कई खामियां निकलकर सामने आई. शहर में तो इन्नालू की स्थिति ठीक दिखाई दी. लेकिन नदी से महज 1-2 किलोमीटर पहले नालों की स्थिति काफी दयनीय है. नालों को देखकर ऐसा लग रहा है, मानो सालों से उसकी सफाई नहीं हुई है. जिसकी वजह से पानी का बहाव नहीं हो पा रहा है.


नाले का हाल कैसा, रिपोर्ट नहीं मिल पाई

नगर निगम सीमा क्षेत्र में बन रहे बड़े नालों में बहाव की स्थिति कैसी है. रिपोर्ट नहीं मिल पाई. इनमें डॉ. खूबचंद बघेल वार्ड अंतर्गत कुशालपुर फ्लाईओवर से चिंगरी नाले तक नाला निर्माण में ही 296.79 लाखों रुपए खर्च होंगे. अभी इसका सिर्फ 40% काम ही हुआ है. इसी प्रकार डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी वार्ड में भाटागांव फ्लाईओवर से चिंगरी नाले तक 277. 23 लाख का नाला लगभग तैयार हो गया. इन दोनों नालों की ढाल आदि की रिपोर्ट अभी तक नहीं बन पाई.

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