रायपुर: कुछ ऐसे लोग भी हमारे आसपास होते हैं. जिन्हें हमेशा से काम करने की आदत रहती है. लेकिन उम्र की सीमा पार करने पर वे अपनी नौकरी से रिटायरमेंट हो जाते हैं. जिसके बाद में घर पर कुछ दूसरे काम या आराम करते हैं. लेकिन केवल आराम करते हुए वे बोर होने लगते हैं. ऐसे में कुछ लोग धीरे धीरे डिप्रेशन के शिकार हो जाते हैं, तो कुछ उदास में जीवन बिताने लगते हैं. कुछ ऐसे ही लोगों के लिए ईटीवी भारत ने करियर काउंसलर शिव कुमार जयसवाल से बातचीत की.
अपनी रूचि के अनुसार शुरु करें काम: करियर काउंसलर शिव कुमार जयसवाल ने बताया कि "रिटायरमेंट के बाद अपनी रूचि के अनुसार लोगों को काम शुरू करना चाहिए. यदि किसी को प्लांटेशन में इंटरेस्ट है, तो वह होम गार्डनिंग का काम कर सकता है, वह घर पर ही छोटे पौधे जैसे भुट्टे, बरबट्टी, टमाटर उगा सकता है. साथ ही घर की छत पर भी गर्डनिंग का ऑप्शन आपके पास होता है. यदि किसी को पेंटिंग का शौक है, तो वह पेंटिंग कर सकता है, ड्राइंग कर सकता है. यदि किसी को कुकिंग का शौक है, तो वह जोमैटो और स्विगी से टाइप करके अपना खाना घर घर तक पहुंचा सकता है."
अपने प्रोफेशन से रिलेटेड काम में बढ़ाएं हाथ: करियर काउंसलर शिव कुमार जयसवाल ने बताया कि "इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति शिक्षक पद से रिटायर हुआ है, तो उसे शिक्षण का अच्छा खासा अनुभव होता है. उसे पता होता है कि बच्चों को कैसे पढ़ाएं, एग्जाम की तैयारी कैसे करानी है. तो वह व्यक्ति घर बैठे ही बच्चों को ट्यूशन क्लासेस दे सकता है. यदि कोई व्यक्ति बैंकिंग प्रोफेशन से है, तो वह घर बैठे टेली का काम भी कर सकता है. किसी भी प्राइवेट संस्था का पासवर्ड लेकर वह घर में ही टैली का काम कर सकता है."
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दो तरह का होता है रिटायरमेंट: करियर काउंसलर शिव कुमार जयसवाल ने बताया कि "रिटायरमेंट दो तरह का होता है. पहला नौकरी से रिटायरमेंट, दूसरा जिंदगी जीने की चाहत से रिटायरमेंट. नौकरी से रिटायर होने के बाद व्यक्ति बाकी कामों में खुद का मन दिमाग और समय लगा सकता है. लेकिन यदि किसी व्यक्ति को जिंदगी जीने की चाहत से ही विराम लेना हो, तो वह किसी भी तरह के कामों में अपना मन नहीं लगा सकता. नौकरी से रिटायर व्यक्ति के मन में जिंदगी को जीने की चाह होती है. इसीलिए वह अपना मन और समय दूसरे कामों में आसानी से लगा लेता है.
ऐसे ही अपनी रुचि के अनुसार काम करने से व्यक्ति का मन और दिमाग काम में लगा रहेगा. जिससे बिजी होने की वजह से वह खाली दिमाग नहीं रहेगा. जिससे व्यक्ति हमेशा पॉसिटिव ही रहेगा, क्योंकि नेगेटिव थॉड के लिए उसके पास समय ही नहीं होगा. लेकिन यह सब व्यक्ति की सोच पर भी निर्भर करता है कि वह रिटायर्ड है या नहीं. कुछ लोग इसे तरह से भी मानते हैं कि एक नौकरी गई, तो हमने दूसरी नौकरी की शुरुआत कर ली. मतलब रिटायरमेंट शब्द का उनके जिंदगी में कोई वजूद ही नहीं होता.