रायपुर: पुलिस को बड़ी कामयाबी हाथ लगी है. रायपुर पुलिस की स्पेशल टीम ने क्लोन चेक के जरिए करोड़ों की ठगी के आरोपी सुहास हरिश्चंद्र काले को नागपुर से गिरफ्तार किया है. (accused of fraud arrested ) इसके अलावा टाटीबंध स्थित केनरा बैंक मैनेजर को भी हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है. ठगी के तीन अन्य आरोपियों की तलाश पुलिस कर रही है. पुलिस ने इस मामले में एक स्कोडा कार, एक i20 कार, केनरा बैंक के चेक, एटीएम कार्ड और पासबुक सहित अन्य दस्तावेज भी बरामद किया है. आरोपी सुहास हरिश्चंद्र काले की गिरफ्तारी के बाद अब मामले में कई खुलासे हो सकते हैं.
रायपुर के आमानाका थाने में 7 मई को क्लोन चेक के माध्यम से ठगी का मामला सामने आया था. रायपुर के केनरा बैंक सहायक महाप्रबंधक भानुमूर्ति ने एक एफआईआर दर्ज कराई थी जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ था. एफआईआर में बताया गया था कि टाटीबंध स्थित केनरा बैंक में आरोपी सुहास हरिश्चंद्र काले ने क्लोन चेक के माध्यम से विष्णु लक्ष्मी डेवलपर्स और बिल्डर्स के नाम से करंट अकाउंट खोलकर खाता धारक बना है. जांच में पता चला था कि बिहार सरकार के ऊर्जा और सड़क विभाग के फर्जी क्लोन चेक लगाकर आमानाका के केनरा बैंक (Canara Bank) से राशि निकाली थी (fraud by clone check). आरोपियों ने 3 करोड़ 60 लाख 41 हजार रुपए की धोखाधड़ी की है.
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गैंग बनाकर करते थे धोखाधड़ी
पुलिस ने बताया कि समीम और रमेश ठाकरे नामक दो व्यक्ति जरूरतमंद व्यक्तियों को ढूंढ कर उनके साथ मिलकर षड्यंत्र रचा करते थे. घटना का मास्टरमाइंड समीर और रमेश ठाकरे क्लोन चेक बना कर ऐसे लोगों को दिया करते थे. तीसरा आरोपी एजाज बैंकों के माध्यम से गाड़ी फाइनेंसिंग का काम करता था. उसे बैंकों की कार्यप्रणाली की अच्छी जानकारी थी. एजाज अलग-अलग बैंकों में जाकर बैंक मैनेजर से खाता खुलवाने के लिए रिक्वेस्ट करता था. एजाज घटना से पहले बैंकों की रेकी करता था.
बैंक मैनेजर की भूमिका भी संदिग्ध
पुलिस ने टाटीबंध स्थित केनरा बैंक मैनेजर को भी हिरासत में लिया है. पुलिस का कहना है कि क्लोन चेक के जरिए करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी बिना बैंक अधिकारी की संलिप्तता के नहीं हो सकती है. उनका कहना है कि कई बार आरोपियों ने 70 से 80 लाख रुपए का कैश भी निकाले हैं लेकिन बैंक मैनेजर ने इसे लेकर कोई जांच नहीं की है. मामले में केनरा बैंक के ब्रांच मैनेजर को 10 लाख रुपए दिए जाने की बात सामने आई है. बैंक मैनेजर को हर ट्रांजेक्शन के लिए 2 लाख 50 हाजार रुपए दिए जा रहे हैं.
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सभी का हिस्सा था तय
धोखाधड़ी के इस खेल में समीम और रमेश ठाकरे का 75%, एजाज का 15%, सुहास हरिश्चंद्र काले का 10% तय था, साथ ही सुहास हरिश्चंद्र काले के हिस्से से प्रति ट्रांजैक्शन ब्रांच मैनेजर को 2.5 लाख रुपए दिया करते थे. इस तरह से केनरा बैंक के ब्रांच मैनेजर को 10 लाख रुपए दिए गए है. पुलिस ने बताया कि आरोपियों के 95 और 35 लाख रुपये के दो चेक केनरा बैंक में भुनाने की तैयारी चल रही थी. जिसके बाद मामले में आमानाका थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है.
पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने केनरा बैंक के बाद अगला टारगेट बैंक ऑफ इंडिया और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया था. शमीम और रमेश ठाकरे ने भारत के अलग-अलग प्रांतों में इस प्रकार की धोखाधड़ी की है. मध्य प्रदेश के सिवनी, छिंदवाड़ा, कटनी, बालाघाट, इंदौर, भोपाल और झारखंड के रामगढ़ पटना जैसे शहरों में क्लोन चेक के माध्यम से सरकारी कंपनियों के खाते से कई करोड़ रुपए निकाले गए हैं.