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मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान:ढाई साल में करीब डेढ़ लाख बच्चे कुपोषण मुक्त

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Published : Aug 17, 2021, 8:09 PM IST

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का असर देखने को मिला है कुपोषित बच्चों की संख्या में 32 प्रतिशत की कमी आई है.

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान
मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान

रायपुर: 2 अक्टूबर 2019 से शुरू हुए प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का बेहतर परिणाम देखने को मिला है. इस अभियान के एकीकृत प्लान और समन्वित प्रयास से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है. प्रदेश में जनवरी 2019 की स्थिति में चिन्हांकित कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हजार 541 थी. इनमें से मई 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 32 प्रतिशत अर्थात एक लाख 40 हजार 556 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं. जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है. बहुत ही कम समय में प्रदेश में कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी आई है. इसकी वजह मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान है.

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में दिखा अच्छा रिजल्ट

प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई. दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में ‘लइका जतन ठउर‘ जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया. जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग कर सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन प्रदान करने की व्यवस्था की गई. योजना की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने इसे पूरे प्रदेश में लागू किया. इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई. अतिरिक्त पोषण आहार में हितग्राहियों को गर्म भोजन के साथ अण्डा, लड्डू, चना, गुड़, अंकुरित अनाज, दूध, फल, मूंगफली और गुड़ की चिक्की, सोया बड़ी, दलिया, सोया चिक्की और मुनगा भाजी से बने पौष्टिक आहार दिए जाते हैं. इन सब कवायद की वजह से कुपोषण को मात देने में मदद मिली है.

कोरोना काल में भी सुपोषण पर हुआ काम

कोरोना काल में भी बच्चों और महिलाओं को आंगबनाड़ी सहायिकाओं की मदद से पोषण आहार बांटे गए. जिसका बेहतर परिणाम देखने को मिला है. पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के तहत 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती, शिशुवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को रेडी-टू-ईट का वितरण किया जा रहा है. कुपोषण पर मिल रही विजय को बनाए रखने और कोरोना का असर बच्चों के स्वास्थ्य पर ना हो इसे देखते हुए प्रदेश में संक्रमण मुक्त स्थानों पर जनप्रतिनिधियों और पालकों की सहमति से आंगनबाड़ी केंद्रों को खोला गया है. जहां सुरक्षा के प्रबंध के साथ फिर से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को गर्म भोजन देने की व्यवस्था की गई है.

इन जिलों में दिखा असर

  • बालोद जिले में जनवरी 2019 की स्थिति में 12 हजार 481 बच्चे चिन्हाकिंत किए गए थे, इनमें 1402 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं.
  • बलौदाबाजार में 30 हजार 917 में से 6032 बच्चे सुपोषित हुए.
  • बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में 27 हजार 352 में से 14 हजार 106 बच्चे कुपोषण से मुक्त.
  • बस्तर में 15 हजार 753 में 3633 बच्चे कुपोषण मुक्त हुए.
  • बेमेतरा में 12 हजार 429 में से 354 बच्चों ने कुपोषण को मात दी.
  • बीजापुर में 12 हजार 429 बच्चों में से 3993 बच्चे सुपोषित हुए.

रायपुर: 2 अक्टूबर 2019 से शुरू हुए प्रदेशव्यापी मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान का बेहतर परिणाम देखने को मिला है. इस अभियान के एकीकृत प्लान और समन्वित प्रयास से बच्चों में कुपोषण दूर करने में बड़ी सफलता मिली है. प्रदेश में जनवरी 2019 की स्थिति में चिन्हांकित कुपोषित बच्चों की संख्या 4 लाख 33 हजार 541 थी. इनमें से मई 2021 की स्थिति में लगभग एक तिहाई 32 प्रतिशत अर्थात एक लाख 40 हजार 556 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं. जो कुपोषण के खिलाफ शुरू की गई जंग में एक बड़ी उपलब्धि है. बहुत ही कम समय में प्रदेश में कुपोषण की दर में उल्लेखनीय कमी आई है. इसकी वजह मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान है.

नक्सल प्रभावित क्षेत्र में दिखा अच्छा रिजल्ट

प्रदेश के नक्सल प्रभावित बस्तर सहित वनांचल के कुछ ग्राम पंचायतों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में सुपोषण अभियान की शुरूआत की गई. दंतेवाड़ा जिले में पंचायतों के माध्यम से गर्म पौष्टिक भोजन और धमतरी जिले में ‘लइका जतन ठउर‘ जैसे नवाचार कार्यक्रमों के जरिए इसे आगे बढ़ाया गया. जिला खनिज न्यास निधि का एक बेहतर उपयोग कर सुपोषण अभियान के तहत गरम भोजन प्रदान करने की व्यवस्था की गई. योजना की सफलता को देखते हुए मुख्यमंत्री बघेल ने इसे पूरे प्रदेश में लागू किया. इस अभियान के तहत चिन्हांकित बच्चों को आंगनवाड़ी केन्द्र में दिए जाने वाले पूरक पोषण आहार के अतिरिक्त स्थानीय स्तर पर निःशुल्क पौष्टिक आहार और कुपोषित महिलाओं और बच्चों को गर्म पौष्टिक भोजन की व्यवस्था की गई. अतिरिक्त पोषण आहार में हितग्राहियों को गर्म भोजन के साथ अण्डा, लड्डू, चना, गुड़, अंकुरित अनाज, दूध, फल, मूंगफली और गुड़ की चिक्की, सोया बड़ी, दलिया, सोया चिक्की और मुनगा भाजी से बने पौष्टिक आहार दिए जाते हैं. इन सब कवायद की वजह से कुपोषण को मात देने में मदद मिली है.

कोरोना काल में भी सुपोषण पर हुआ काम

कोरोना काल में भी बच्चों और महिलाओं को आंगबनाड़ी सहायिकाओं की मदद से पोषण आहार बांटे गए. जिसका बेहतर परिणाम देखने को मिला है. पूरक पोषण आहार कार्यक्रम के तहत 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती, शिशुवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को रेडी-टू-ईट का वितरण किया जा रहा है. कुपोषण पर मिल रही विजय को बनाए रखने और कोरोना का असर बच्चों के स्वास्थ्य पर ना हो इसे देखते हुए प्रदेश में संक्रमण मुक्त स्थानों पर जनप्रतिनिधियों और पालकों की सहमति से आंगनबाड़ी केंद्रों को खोला गया है. जहां सुरक्षा के प्रबंध के साथ फिर से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के अंतर्गत हितग्राहियों को गर्म भोजन देने की व्यवस्था की गई है.

इन जिलों में दिखा असर

  • बालोद जिले में जनवरी 2019 की स्थिति में 12 हजार 481 बच्चे चिन्हाकिंत किए गए थे, इनमें 1402 बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए हैं.
  • बलौदाबाजार में 30 हजार 917 में से 6032 बच्चे सुपोषित हुए.
  • बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में 27 हजार 352 में से 14 हजार 106 बच्चे कुपोषण से मुक्त.
  • बस्तर में 15 हजार 753 में 3633 बच्चे कुपोषण मुक्त हुए.
  • बेमेतरा में 12 हजार 429 में से 354 बच्चों ने कुपोषण को मात दी.
  • बीजापुर में 12 हजार 429 बच्चों में से 3993 बच्चे सुपोषित हुए.
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