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नवरात्र घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त : 2 से 10 अप्रैल तक होगा चैत्र नवरात्र का पर्व

चैत्र शुक्ल पक्ष, नव सृष्टि संवत्सर, नूतन वर्ष और वसंत नवरात्रि का आरंभ काल माना गया है. 2 अप्रैल से शुभ नवरात्रि शुभ माना गया है. यह मुहूर्त सुबह 11:36 से लेकर दोपहर 12:24 तक रहेगा. वहीं नवरात्र का समापन 10 अप्रैल को की जाएगी.

Pandit Vineet Sharma
पंडित विनीत शर्मा
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Published : Mar 28, 2022, 8:25 PM IST

रायपुर: चैत्र शुक्ल पक्ष, नव सृष्टि संवत्सर, नूतन वर्ष और वसंत नवरात्रि का आरंभ काल माना गया है. 2 अप्रैल से शुभ नवरात्रि शुभ संवत 2079 शक 1944 कलयुगाब्द 5124 सृष्टि संवत एक अरब 97 करोड़ 29 लाख 49 हजार 124 का शुरू होने जा रहा है. यह सनातन धर्मावलंबियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है. शनिवार 2 अप्रैल को ही घट स्थापन का शुभ मुहूर्त है. यह मुहूर्त सुबह 11:36 से लेकर दोपहर 12:24 तक रहेगा. इस नए संवत्सर का नाम नल और राजा शनि है.

नवरात्र घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त

यह भी पढ़ें: रायपुर : प्री-यूनिवर्सिटी एग्जाम में परीक्षार्थियों की खुली पोल, सिर्फ 20 फीसदी स्टूडेंट्स पास

माता दुर्गा घट स्थापना: आज ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था. इसलिए यह चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिवर्ष नूतन वर्ष प्रारंभ के रूप में मनाया जाता है. इस शुभ दिन माता दुर्गा घटस्थापना के साथ प्रतिस्थापित होती है. पूरे 9 दिन मंदिरों में दीये अपनी ज्योति बिखेरते हैं. यह संपूर्ण त्योहार प्रकाश आलोक एवं आनंद प्रदान करने वाली किरणों का है. सभी मंदिर रंग-बिरंगे रूपों में सजाए जाते हैं. माता का प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है और ओजस्वी माता अपने भक्तों की सर्व कामनाओं को पूर्ण करती आई है.

  • पहला दिन 2 अप्रैल शनिवार को मां शैलपुत्री के रूप में माता की पूजा की जाएगी. आज के शुभ दिन मंत्रों के द्वारा आह्वान कर माता को बुलाया जाता है.
  • दूसरे दिन अर्थात 3 अप्रैल रविवार का दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी. इस दिन ब्रह्मचारिणी रूप में माता की पूजा की जाती है.
  • तीसरा दिन 4 अप्रैल सोमवार के दिन मां चंद्रघंटा के रूप में माता की पूजा की जाएगी. आज के दिन रवि योग बन रहा है.
  • चौथा दिन 5 अप्रैल मंगलवार के दिन विनायक चतुर्थी अंगारक चतुर्थी के साथ कुष्मांडा रूप में माता की पूजा की जाएगी. इस शुभ दिन माता को कुम्हड़ा का फल चढ़ाना शुभ माना गया है.
  • पचवां दिन 6 अप्रैल बुधवार के दिन श्री रामराज्य उत्सव के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग रवि योग अहोरात्र का सुखद संगम दिखाई पड़ रहा है. यह पंचमी के रूप में मनाई जाएगी. आज के दिन स्कंदमाता के रूप में मां दुर्गा की पूजा की जाएगी.
  • छठवां दिन 7 अप्रैल गुरुवार को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाएगा. स्कंद षष्ठी कात्यायनी माता की पूजा के रूप में मनाई जाएगी.
  • सातवां 8 अप्रैल शुक्रवार सप्तमी के दिन माता कालरात्रि का होता है. आज के दिन निशा पूजन किया जाता है. यह सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी. 9 अप्रैल शनिवार के अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा की जाती है.
  • आठवां दिन महाअष्टमी का हवन और दुर्गा अष्टमी का हवन के रूप में जाना जाता है. इस दिन दिन अशोका अष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है.
  • नौवां दिन 10 अप्रैल रविवार के शुभ दिन राम नवमी मनाई जाएगी. यह नवरात्रि का समापन है. आज के दिन रवि पुष्य सर्वार्थ सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र का सुंदर संगम दिखाई पड़ रहा है. आज स्वामीनारायण जयंती भी है. महा नवमी का पर्व माता सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना और साधना कर अनंत उत्साह के साथ मनाया जाता है.

रायपुर: चैत्र शुक्ल पक्ष, नव सृष्टि संवत्सर, नूतन वर्ष और वसंत नवरात्रि का आरंभ काल माना गया है. 2 अप्रैल से शुभ नवरात्रि शुभ संवत 2079 शक 1944 कलयुगाब्द 5124 सृष्टि संवत एक अरब 97 करोड़ 29 लाख 49 हजार 124 का शुरू होने जा रहा है. यह सनातन धर्मावलंबियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है. शनिवार 2 अप्रैल को ही घट स्थापन का शुभ मुहूर्त है. यह मुहूर्त सुबह 11:36 से लेकर दोपहर 12:24 तक रहेगा. इस नए संवत्सर का नाम नल और राजा शनि है.

नवरात्र घट स्थापना का अभिजीत मुहूर्त

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माता दुर्गा घट स्थापना: आज ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था. इसलिए यह चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिवर्ष नूतन वर्ष प्रारंभ के रूप में मनाया जाता है. इस शुभ दिन माता दुर्गा घटस्थापना के साथ प्रतिस्थापित होती है. पूरे 9 दिन मंदिरों में दीये अपनी ज्योति बिखेरते हैं. यह संपूर्ण त्योहार प्रकाश आलोक एवं आनंद प्रदान करने वाली किरणों का है. सभी मंदिर रंग-बिरंगे रूपों में सजाए जाते हैं. माता का प्रतिदिन श्रृंगार किया जाता है और ओजस्वी माता अपने भक्तों की सर्व कामनाओं को पूर्ण करती आई है.

  • पहला दिन 2 अप्रैल शनिवार को मां शैलपुत्री के रूप में माता की पूजा की जाएगी. आज के शुभ दिन मंत्रों के द्वारा आह्वान कर माता को बुलाया जाता है.
  • दूसरे दिन अर्थात 3 अप्रैल रविवार का दिन सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी. इस दिन ब्रह्मचारिणी रूप में माता की पूजा की जाती है.
  • तीसरा दिन 4 अप्रैल सोमवार के दिन मां चंद्रघंटा के रूप में माता की पूजा की जाएगी. आज के दिन रवि योग बन रहा है.
  • चौथा दिन 5 अप्रैल मंगलवार के दिन विनायक चतुर्थी अंगारक चतुर्थी के साथ कुष्मांडा रूप में माता की पूजा की जाएगी. इस शुभ दिन माता को कुम्हड़ा का फल चढ़ाना शुभ माना गया है.
  • पचवां दिन 6 अप्रैल बुधवार के दिन श्री रामराज्य उत्सव के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग रवि योग अहोरात्र का सुखद संगम दिखाई पड़ रहा है. यह पंचमी के रूप में मनाई जाएगी. आज के दिन स्कंदमाता के रूप में मां दुर्गा की पूजा की जाएगी.
  • छठवां दिन 7 अप्रैल गुरुवार को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाएगा. स्कंद षष्ठी कात्यायनी माता की पूजा के रूप में मनाई जाएगी.
  • सातवां 8 अप्रैल शुक्रवार सप्तमी के दिन माता कालरात्रि का होता है. आज के दिन निशा पूजन किया जाता है. यह सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी. 9 अप्रैल शनिवार के अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा की जाती है.
  • आठवां दिन महाअष्टमी का हवन और दुर्गा अष्टमी का हवन के रूप में जाना जाता है. इस दिन दिन अशोका अष्टमी के रूप में भी मनाया जाता है.
  • नौवां दिन 10 अप्रैल रविवार के शुभ दिन राम नवमी मनाई जाएगी. यह नवरात्रि का समापन है. आज के दिन रवि पुष्य सर्वार्थ सिद्धि योग और पुष्य नक्षत्र का सुंदर संगम दिखाई पड़ रहा है. आज स्वामीनारायण जयंती भी है. महा नवमी का पर्व माता सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना और साधना कर अनंत उत्साह के साथ मनाया जाता है.
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