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पेसा कानून आदिवासियों के साथ है धोखा

आम आदमी पार्टी ने पेसा कानून को लेकर भूपेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

AAP allegation on Bhupesh Sarkar regarding PESA Act
पेसा कानून आदिवासियों के साथ है धोखा
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Published : Aug 12, 2022, 5:42 PM IST

Updated : Aug 13, 2022, 11:30 AM IST

रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने पेसा अधिनियम के नियमों को 8 अगस्त के दिन राजपत्र में प्रकाशित किया (AAP allegation on Bhupesh Sarkar regarding PESA Act) है.सरकार का दावा है कि इन नियमों के बाद आदिवासी अपने जल जंगल जमीन के बारे में खुद फैसला ले सकेंगे. वहीं सरकार द्वारा राजपत्र जारी करने के बाद आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party Chhattisgarh) ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने पेसा के नियमों को तो राजपत्र में लागू कर (Aam Aadmi Party accuses the government) दिया. लेकिन जो अधिकार ग्राम सभा को मिलने चाहिए उन्हें सरकार ने छीन लिया (Chhattisgarh news) है.

पेसा कानून आदिवासियों के साथ है धोखा : आम आदमी पार्टी



पेसा कानून लागू करने का ढोंग : आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी (Aam Aadmi Party State President Komal Hupendi) ने कहा कि '' पेसा कानून में संशोधन लागू करने की वाहवाही लेने का भूपेश सरकार अच्छा ढोंग कर आदिवासियों को छलने का काम कर रही है. 8 अगस्त को प्रकाशित राजपत्र में पेसा कानून के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है, जिस का गुणगान सुनाते हुए 9 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि ''हमने आदिवासियों को बहुत बड़ा अधिकार दे दिया है. लेकिन सरकार ने ग्राम सभाओं के अधिकरों को ही कम कर दिया. आदिवासियों की ग्राम सभा को किनारे करते हुए अब उन्हें सिर्फ परामर्श या सलाहकार तक सीमित कर दिया है पहले ग्राम सभा के अनुमोदन के बिना कोई कार्यवाही जैसे भूमि अधिग्रहण आदि की आगे नहीं बढ़ती थी अब ऐसा नहीं होगा ये छल नही तो क्या है?"

कौन से नियम हैं आदिवासियों के विरूद्ध : आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने बताया" सरकार ने जिन नियमों को राजपत्र में प्रकशित किया है, उनमें कई ऐसी बाते हैं जो आदिवासियों और ग्रामसभा के विरुद्ध है. हुपेंडी कहा कि कलेक्टर और तहसीलदार के माध्य्म से और ग्राम पंचायत के सचिव के माध्यम से सरकार सारा अधिकार अपने पास रख रही है.जमीन अधिग्रहण के मामले में सरकार के आदेश पर कलेक्टर ही फर्जी ग्राम सभा करा रहे है और नए नियमों में भी कलेक्टर को ही अपील अधिकारी बनाया गया है. यदि अतिक्रमण तोड़ने की बात है तो सारा अधिकार पंचायती राज अधिनियम में भी देखे तो वहां अधिकार ग्राम सभा को है. लेकिन अधिनियम में जो पावर ग्रामसभा को मिली है सरकार द्वारा बनाए नए नियम उस अधिनियम के नियमों को तोड़ रहे हैं. ग्राम सभा का कोष रखने की जिमेदारी तहसीलदार को दी गई है . हमारा कहना है कि कोष रखने का अधिकार भी ग्राम सभा के पास होना चाहिए."

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में पेसा कानून के अधिकारों में कटौती का आदिवासी समाज ने लगाया आरोप



क्या है आम आदमी पार्टी की मांग : आप पार्टी के अध्यक्ष ने सरकार से मांग की है कि '' राजपत्र में प्रकाशित पेसा कानून नियमों जिस तरह से ग्राम सभा के अधिकारों को कम करने का काम किया गया है. सरकार ग्राम सभा के अधिकारों को ग्रामीण और आदिवासियों को दे. हम मांग करते है कि सरकार यह काम जल्द करे अन्यथा आने वाले दिनों में आप पार्टी आंदोलन करेंगी.''

रायपुर : छत्तीसगढ़ सरकार ने पेसा अधिनियम के नियमों को 8 अगस्त के दिन राजपत्र में प्रकाशित किया (AAP allegation on Bhupesh Sarkar regarding PESA Act) है.सरकार का दावा है कि इन नियमों के बाद आदिवासी अपने जल जंगल जमीन के बारे में खुद फैसला ले सकेंगे. वहीं सरकार द्वारा राजपत्र जारी करने के बाद आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party Chhattisgarh) ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने पेसा के नियमों को तो राजपत्र में लागू कर (Aam Aadmi Party accuses the government) दिया. लेकिन जो अधिकार ग्राम सभा को मिलने चाहिए उन्हें सरकार ने छीन लिया (Chhattisgarh news) है.

पेसा कानून आदिवासियों के साथ है धोखा : आम आदमी पार्टी



पेसा कानून लागू करने का ढोंग : आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी (Aam Aadmi Party State President Komal Hupendi) ने कहा कि '' पेसा कानून में संशोधन लागू करने की वाहवाही लेने का भूपेश सरकार अच्छा ढोंग कर आदिवासियों को छलने का काम कर रही है. 8 अगस्त को प्रकाशित राजपत्र में पेसा कानून के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है, जिस का गुणगान सुनाते हुए 9 अगस्त को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासियों को संबोधित करते हुए कहा कि ''हमने आदिवासियों को बहुत बड़ा अधिकार दे दिया है. लेकिन सरकार ने ग्राम सभाओं के अधिकरों को ही कम कर दिया. आदिवासियों की ग्राम सभा को किनारे करते हुए अब उन्हें सिर्फ परामर्श या सलाहकार तक सीमित कर दिया है पहले ग्राम सभा के अनुमोदन के बिना कोई कार्यवाही जैसे भूमि अधिग्रहण आदि की आगे नहीं बढ़ती थी अब ऐसा नहीं होगा ये छल नही तो क्या है?"

कौन से नियम हैं आदिवासियों के विरूद्ध : आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने बताया" सरकार ने जिन नियमों को राजपत्र में प्रकशित किया है, उनमें कई ऐसी बाते हैं जो आदिवासियों और ग्रामसभा के विरुद्ध है. हुपेंडी कहा कि कलेक्टर और तहसीलदार के माध्य्म से और ग्राम पंचायत के सचिव के माध्यम से सरकार सारा अधिकार अपने पास रख रही है.जमीन अधिग्रहण के मामले में सरकार के आदेश पर कलेक्टर ही फर्जी ग्राम सभा करा रहे है और नए नियमों में भी कलेक्टर को ही अपील अधिकारी बनाया गया है. यदि अतिक्रमण तोड़ने की बात है तो सारा अधिकार पंचायती राज अधिनियम में भी देखे तो वहां अधिकार ग्राम सभा को है. लेकिन अधिनियम में जो पावर ग्रामसभा को मिली है सरकार द्वारा बनाए नए नियम उस अधिनियम के नियमों को तोड़ रहे हैं. ग्राम सभा का कोष रखने की जिमेदारी तहसीलदार को दी गई है . हमारा कहना है कि कोष रखने का अधिकार भी ग्राम सभा के पास होना चाहिए."

ये भी पढ़ें- छत्तीसगढ़ में पेसा कानून के अधिकारों में कटौती का आदिवासी समाज ने लगाया आरोप



क्या है आम आदमी पार्टी की मांग : आप पार्टी के अध्यक्ष ने सरकार से मांग की है कि '' राजपत्र में प्रकाशित पेसा कानून नियमों जिस तरह से ग्राम सभा के अधिकारों को कम करने का काम किया गया है. सरकार ग्राम सभा के अधिकारों को ग्रामीण और आदिवासियों को दे. हम मांग करते है कि सरकार यह काम जल्द करे अन्यथा आने वाले दिनों में आप पार्टी आंदोलन करेंगी.''

Last Updated : Aug 13, 2022, 11:30 AM IST
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