रायपुर: केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति को लेकर हर मंच पर तारीफ हो रही है. नई शिक्षा नीति के माध्यम से यह फैसला लिया गया है कि देशभर में जो सर्व सुविधा युक्त कॉलेज होंगे, उन्हें ऑटोनॉमस की उपाधि दी जाएगी. प्रदेश में पहले से ही 10 से अधिक ऑटोनॉमस कॉलेज मौजूद है. प्रदेश के सबसे पुराने कॉलेज भी ऑटोनॉमस है. साइंस कॉलेज, छत्तीसगढ़ कॉलेज और डिग्री गर्ल्स कॉलेज भी ऑटोनॉमस है. यह प्रदेश के सबसे पुराने कॉलेज में से एक है. ऑटोनोमस कॉलेज का प्रभाव छात्रों के जीवन और शिक्षा पर कितना पड़ेगा इसे लेकर ETV भारत ने शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों से खास बातचीत की.
'छात्रों के विकास में बेहद महत्वपूर्ण'
रविशंकर विश्वविद्यालय के कुलसचिव गिरीश कांत पांडे ने बताया कि, 'यूजीसी के द्वारा उन्हीं कॉलेजों को ऑटोनॉमस की अनुमति दी जाती है, जिनमें सारी सुविधाएं होती हैं. ऐसे में एक फायदा यह होता है कि यह अपने क्षेत्र के अनुसार अपने सिलेबस में बदलाव करते हैं. हालांकि डिग्री देने का अधिकार किसी में महाविद्यालय को नहीं होता है. ऐसे में डिग्री केवल यूनिवर्सिटी के द्वारा ही दी जा सकती है. सरकार बहुत ऊंचे लेवल के कॉलेजों को ही यह दर्जा देती है, तो इससे वहां के रहने वाले बच्चों को भी लाभ मिलेगा यह क्षेत्र और बच्चों के विकास में बेहद महत्वपूर्ण होगा.
ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित होंगे छात्र
साइंस कॉलेज के प्रभारी प्रिंसिपल एके मिश्रा ने बताया कि ऑटोनॉमस कॉलेज होने से कॉलेजों को या स्वतंत्रता मिलती है कि वे अपने क्षेत्र के अनुसार नियम बना सकते हैं. ऐसे में और अधिक कॉलेज अपग्रेड होंगे, जो कि छात्रों के लिए अच्छी बात है. ऐसे में किसी राज्य के या किसी क्षेत्र के छात्र ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित हो पाएंगे.
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क्षेत्र का विकास होगा संभव
रिटायर्ड प्रिंसिपल अरविंद गिरोलका ने कहा कि कई मामलों में यह बहुत फायदेमंद रहेगा. इसमें जो कोर्स हैं उनको रिस्ट्रक्चर किया जा सकता है और नए कोर्स की भी शुरुआत की जा सकती है, जो कि उस जगह उस क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे. ऐसे में बच्चों को अपने क्षेत्र के बारे में अधिक से अधिक जानकारी मिलेगी. उससे क्षेत्र का विकास भी संभव होगा.
क्या होता है ऑटोनोमस कॉलेज ?
ऑटोनॉमस कॉलेज उन कॉलेजों को कहा जाता है जिनको ऑटोनॉमस की अनुमति यूजीसी के द्वारा प्राप्त होती है. यह कॉलेज भी यूनिवर्सिटी के अंदर होते हैं, लेकिन इनके पास बाकी कॉलेज के मुकाबले अधिक स्वतंत्रता होती है. यह अपने हिसाब से सिलेबस तय कर सकते हैं. इसके अलावा यह कॉलेज स्वतंत्र होते हैं. एग्जाम कराने से लेकर तारीख तय करने और कॉपी चेक करने के अधिकार इस कॉलेज के पास होते हैं. इन कॉलेजों में पेपर भी वहीं के फैकेल्टी सेट करते हैं और पेपर की चेकिंग भी वहीं के फैकेल्टी के द्वारा की जाती है.
ऑटोनोमस कॉलेज के फायदे?
- ऑटोनोमस कॉलेज यूनिवर्सिटी पर निर्भर नहीं
- संस्थानों में सत्र के लेट होने की आशंका नहीं
- ऑटोनॉमस संस्थान में तुरंत लिए जाते हैं फैसले
- इनोवेटिव प्रयास की संभावनाएं
- अपने अनुसार सिलेबस बदलाने का पावर
- पाठ्यक्रम में भी कर सकते हैं बदलाव