ETV Bharat / state

75 साल के छन्नूलाल का गेड़ी नृत्य प्रेम, विलुप्त होती संस्कृति को बचाने का देते हैं संदेश - chhattisgarh culture in raipur

छत्तीसगढ़ के इस्पात नगरी भिलाई में रहने वाले 75 साल के लोक कलाकार बुजुर्ग छन्नूलाल बघेल गेड़ी नृत्य का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. पूरे प्रदेश में वह जगह-जगह जाकर छत्तीसगढ़ की विलुप्त होती संस्कृति को बचाने का संदेश दे रहे हैं.

75 years chhannulal baghel doing promotions of gedi dance
75 साल के छन्नूलाल का गेड़ी नृत्य प्रेम
author img

By

Published : Oct 18, 2020, 5:48 PM IST

Updated : Oct 18, 2020, 8:19 PM IST

रायपुर: छत्तीसगढ़ अपनी लोक परंपराओं और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है. यहां का गेड़ी नृत्य पूरे देश में जाना जाता है. प्रदेश में पोला, हरेली और तीज जैसे त्योहारों में गेड़ी चढ़ने की परंपरा है. गेड़ी दो बम्बूओं की मदद से बनाए जाने वाला एक यंत्र है, जिसमें नीचे की तरफ पैर रखने के लिए जगह बनाई जाती है. इस संस्कृति को बचाए रखने के लिए 75 साल के लोक कलाकार बुजुर्ग छन्नूलाल बघेल कोशिश में लगे हुए हैं.

75 साल के छन्नूलाल का गेड़ी नृत्य प्रेम
  • इस्पात नगरी भिलाई में छन्नूलाल बघेल कई सालों से गेड़ी नृत्य कर इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक छन्नूलाल भिलाई स्टील प्लांट में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
  • 1998 में रिटायरमेंट होने के बाद उन्होंने अपनी संस्कृति को बचाने और सहजने का बीड़ा उठाया. इसके बाद उन्होंने छतीसगढ़ी पारंपरिक वेशभूषा धारण कर लिया और गेड़ी नृत्य का पूरे प्रदेश में प्रचार करने लगे.
  • बीते 22 सालों से वे जगह-जगह जाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. गेड़ी नृत्य का बखान करते हैं.

संस्कृति को बचाने नवजवानों को आना होगा आगे

बुजुर्ग छन्नूलाल का कहना है कि आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी संस्कृति को पीछे छोड़ते जा रहे हैं. भोग विलासिता में ही खोए हुए हैं. ऐसे में लोग अपनी पारंपरिक चीजों को छोड़कर फेसबुक और WHATS APP में लगे हुए हैं. अपनी लोक कला को जिंदा रखने के लिए सभी को आगे आना पड़ेगा. आज के नौजवानों को अपनी संस्कृति और लोककला के बारे में बताना पड़ेगा तब जाकर हमारी संस्कृति बच पाएगी.

पढ़ें- रायपुर: नवरात्रि के पहले दिन महामाया मंदिर में कम संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु, कोरोना का त्योहार पर असर

75 साल की उम्र में भी बुजुर्ग छन्नूलाल के हौसले बुलंद हैं. छतीसगढ़ के कई मंत्री और छालीवुड कलाकार भी छन्नूलाल को सम्मानित कर चुके हैं.

रायपुर: छत्तीसगढ़ अपनी लोक परंपराओं और संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है. यहां का गेड़ी नृत्य पूरे देश में जाना जाता है. प्रदेश में पोला, हरेली और तीज जैसे त्योहारों में गेड़ी चढ़ने की परंपरा है. गेड़ी दो बम्बूओं की मदद से बनाए जाने वाला एक यंत्र है, जिसमें नीचे की तरफ पैर रखने के लिए जगह बनाई जाती है. इस संस्कृति को बचाए रखने के लिए 75 साल के लोक कलाकार बुजुर्ग छन्नूलाल बघेल कोशिश में लगे हुए हैं.

75 साल के छन्नूलाल का गेड़ी नृत्य प्रेम
  • इस्पात नगरी भिलाई में छन्नूलाल बघेल कई सालों से गेड़ी नृत्य कर इसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक छन्नूलाल भिलाई स्टील प्लांट में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
  • 1998 में रिटायरमेंट होने के बाद उन्होंने अपनी संस्कृति को बचाने और सहजने का बीड़ा उठाया. इसके बाद उन्होंने छतीसगढ़ी पारंपरिक वेशभूषा धारण कर लिया और गेड़ी नृत्य का पूरे प्रदेश में प्रचार करने लगे.
  • बीते 22 सालों से वे जगह-जगह जाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. गेड़ी नृत्य का बखान करते हैं.

संस्कृति को बचाने नवजवानों को आना होगा आगे

बुजुर्ग छन्नूलाल का कहना है कि आज की भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग अपनी संस्कृति को पीछे छोड़ते जा रहे हैं. भोग विलासिता में ही खोए हुए हैं. ऐसे में लोग अपनी पारंपरिक चीजों को छोड़कर फेसबुक और WHATS APP में लगे हुए हैं. अपनी लोक कला को जिंदा रखने के लिए सभी को आगे आना पड़ेगा. आज के नौजवानों को अपनी संस्कृति और लोककला के बारे में बताना पड़ेगा तब जाकर हमारी संस्कृति बच पाएगी.

पढ़ें- रायपुर: नवरात्रि के पहले दिन महामाया मंदिर में कम संख्या में पहुंच रहे श्रद्धालु, कोरोना का त्योहार पर असर

75 साल की उम्र में भी बुजुर्ग छन्नूलाल के हौसले बुलंद हैं. छतीसगढ़ के कई मंत्री और छालीवुड कलाकार भी छन्नूलाल को सम्मानित कर चुके हैं.

Last Updated : Oct 18, 2020, 8:19 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.