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6 घंटे का सफर और रतजगा, मेहनत से अपनी जिंदगी मीठी बना रही हैं ये महिलाएं - सीताफल की खबर

कांकेर जिले के चारामा तहसील के तिरकादण्ड गांव की महिलाओं ने सहेली महिला ग्राम संगठन के नाम से स्वसहायता समूह का निर्माण किया है. ये महिलाएं आस-पास के गांव में जाकर सीताफल खरीदती हैं और उसे बेचने के लिए रायपुर आती हैं. इस तरह ये महिलाएं आर्थिक तौर पर सशक्त हो रही हैं.

6 घंटे का सफर और रतजगा, मेहनत से अपनी जिंदगी मीठी बना रही हैं ये महिलाएं
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Published : Oct 31, 2019, 4:42 PM IST

रायपुर: नक्सल प्रभावित कांकेर के सीताफल राजधानी रायपुर के लोगों का मुंह मीठा कर रहे हैं. ठंड का मौसम सीताफल का होता है. बस्तर में खासतौर पर सीताफल की अधिक पैदावार होती है. कांकेर के सीताफल की डिमांड राजधानी में ज्यादा है. इसी वजह से आदिवासी अंचल की महिलाओं की अच्छी इनकम हो रही है.

सीताफल बेचकर जीवन चला रही ये महिलाएं

कांकेर जिले के चारामा तहसील के तिरकादण्ड गांव की महिलाओं ने सहेली महिला ग्राम संगठन के नाम से स्वसहायता समूह का निर्माण किया है. ये महिलाएं आस-पास के गांव में जाकर सीताफल खरीदती हैं और उसे बेचने के लिए रायपुर आती हैं. संस्था की महिलाओं ने बताया कि उन्हें जिला प्रशासन उत्तर बस्तर एवं कृषि विभाग की ओर से रायपुर आने के लिए गाड़ी और सीताफल बेचने के लिए बॉक्स मुहैया कराया जाता है.

50 रुपए में बिक रहा एक बॉक्स सीताफल
समूह की सदस्य ने बताया कि वैसे तो सीताफल 40 रुपए किलो बेच रहे हैं लेकिन एक बॉक्स में 6 बड़े सीताफल डालते हैं. अगर सीताफल छोटा है तो 8 से 9 पीस आते हैं. एक बॉक्स 50 रुपए में बिक रहा है.

देर रात जागकर सुबह करते हैं बिक्री
महिलाओं ने बताया को समूह को आगे बढ़ाने आगे बढ़ने के लिए वे लोग रायपुर आकर सीताफल बेच रहे हैं. महिला सदस्य ने बताया कि वे लोग रात में 9.30 बजे कांकेर से निकलते हैं और रात 2 बजे रायपुर पहुंचते हैं. राजधनी के तेलीबांधा तालाब के पास उनकी रात गुजरती है और फिर सुबह से बिक्री शुरू हो जाती है. महिलाओं ने बताया कि फल पूरा बेच कर ही वे वापस लौटती हैं.

  • वापस गांव जाने के बाद समूह में सदस्यों की मीटिंग बुलाई जाती है और उनको सारा हिसाब देने के बाद, सीताफल बेचने आने वाले लोगों की रोजी भी निकाली जाती है.
  • इस समूह ने इसकी शुरुआत 8 हजार के सीताफल खरीद कर की थी तो महिलाओं ने 12 हजार की बिक्री की और उन्हें 4हजार शुद्ध मुनाफा हुआ.
  • सीताफल लेने वाले ग्राहकों ने बताया कि सुबह से ही दुकान लग जाती है. आस-पास के सभी लोग इनसे सीताफल खरीदने आते हैं, वहीं सीताफल का भी टेस्ट बढ़िया रहता है. मार्केट रेट से भी कम दाम पर ये महिलाएं सीताफल बेचती हैं. वहीं इनके सीताफलों जैसा टेस्ट भी कहीं नहीं मिलता.

वहीं प्रशासन द्वारा समूह को आने जाने के लिए गाड़ी और सीताफल बेचने बॉक्स मुहैया कराने की मदद मिलने से महिला स्व सहायता समूह को बढ़ावा मिल रहा है, साथ ही आदिवासी अंचल की महिला सशक्त हो रही हैं. आर्थिक तौर पर सुदृढ़ हो रही हैं.

रायपुर: नक्सल प्रभावित कांकेर के सीताफल राजधानी रायपुर के लोगों का मुंह मीठा कर रहे हैं. ठंड का मौसम सीताफल का होता है. बस्तर में खासतौर पर सीताफल की अधिक पैदावार होती है. कांकेर के सीताफल की डिमांड राजधानी में ज्यादा है. इसी वजह से आदिवासी अंचल की महिलाओं की अच्छी इनकम हो रही है.

सीताफल बेचकर जीवन चला रही ये महिलाएं

कांकेर जिले के चारामा तहसील के तिरकादण्ड गांव की महिलाओं ने सहेली महिला ग्राम संगठन के नाम से स्वसहायता समूह का निर्माण किया है. ये महिलाएं आस-पास के गांव में जाकर सीताफल खरीदती हैं और उसे बेचने के लिए रायपुर आती हैं. संस्था की महिलाओं ने बताया कि उन्हें जिला प्रशासन उत्तर बस्तर एवं कृषि विभाग की ओर से रायपुर आने के लिए गाड़ी और सीताफल बेचने के लिए बॉक्स मुहैया कराया जाता है.

50 रुपए में बिक रहा एक बॉक्स सीताफल
समूह की सदस्य ने बताया कि वैसे तो सीताफल 40 रुपए किलो बेच रहे हैं लेकिन एक बॉक्स में 6 बड़े सीताफल डालते हैं. अगर सीताफल छोटा है तो 8 से 9 पीस आते हैं. एक बॉक्स 50 रुपए में बिक रहा है.

देर रात जागकर सुबह करते हैं बिक्री
महिलाओं ने बताया को समूह को आगे बढ़ाने आगे बढ़ने के लिए वे लोग रायपुर आकर सीताफल बेच रहे हैं. महिला सदस्य ने बताया कि वे लोग रात में 9.30 बजे कांकेर से निकलते हैं और रात 2 बजे रायपुर पहुंचते हैं. राजधनी के तेलीबांधा तालाब के पास उनकी रात गुजरती है और फिर सुबह से बिक्री शुरू हो जाती है. महिलाओं ने बताया कि फल पूरा बेच कर ही वे वापस लौटती हैं.

  • वापस गांव जाने के बाद समूह में सदस्यों की मीटिंग बुलाई जाती है और उनको सारा हिसाब देने के बाद, सीताफल बेचने आने वाले लोगों की रोजी भी निकाली जाती है.
  • इस समूह ने इसकी शुरुआत 8 हजार के सीताफल खरीद कर की थी तो महिलाओं ने 12 हजार की बिक्री की और उन्हें 4हजार शुद्ध मुनाफा हुआ.
  • सीताफल लेने वाले ग्राहकों ने बताया कि सुबह से ही दुकान लग जाती है. आस-पास के सभी लोग इनसे सीताफल खरीदने आते हैं, वहीं सीताफल का भी टेस्ट बढ़िया रहता है. मार्केट रेट से भी कम दाम पर ये महिलाएं सीताफल बेचती हैं. वहीं इनके सीताफलों जैसा टेस्ट भी कहीं नहीं मिलता.

वहीं प्रशासन द्वारा समूह को आने जाने के लिए गाड़ी और सीताफल बेचने बॉक्स मुहैया कराने की मदद मिलने से महिला स्व सहायता समूह को बढ़ावा मिल रहा है, साथ ही आदिवासी अंचल की महिला सशक्त हो रही हैं. आर्थिक तौर पर सुदृढ़ हो रही हैं.

Intro:ठंड का मौसम में ही सीताफल होता है, इस दौरान मौसमी फलों को डिमांड ज्यादा रहती है, वही खासकर बस्तर क्षेत्र में सीताफल की पैदावार अधिक होती है , कांकेर के सीताफल की डिमांड राजधानी में ज्यादा है। आदिवासी अंचल की महिलाओ को अच्छा रोजगार मिल रहा है साथ ही उनकी अच्छी इनकम भी हो रही है।


Body:कांकेर जिले के चारामा तहसील के तिरकादण्ड गांव की महिलाओ ने सहेली महिला ग्राम संगठन के नाम से स्वसहायता समूह का निर्माण किया है, वही महिलाए आस पास के गांव में जाकर सीताफल खरीदते है, उसके बाद सीता फक बिक्री करने रायपुर आते है। संस्था की महिलाओं ने बताया कि उन्हें जिला प्रशासन उत्तर बस्तर एवं कृषि विभाग की ओर से रायपुर आने के लिए गाड़ी और सीताफल बेचने के लिए बॉक्स मुहैया कराया जाता है।

50 रुपए में बिक रहा एक बॉक्स सीताफल

समूह की सदस्य ने बताया कि वैसे तो सीताफल 40 रुपए किलो बेच रहे है लेकिन बॉक्स में बड़े सीताफल 6 डालते है,छोटा सीताफल रहता है तो 8 से 9 सीताफल डालते है और उस बाक्स को 50 रुपये में बेचते है।।

देर रात जागकर सुबह करते है बिक्री

महिलाओ ने बताया को समूह को आगे बढ़ाने आगे बढ़ने के लिए हम लोग रायपुर आकर सीताफल बेच रहे है। महिला सदस्य ने बताया कि वे लोग रात में 9.30 बजे कांकेर से निकलते है और रात 2 बजे रायपुर पहुचते है। राजधनी के तेलीबांधा तालाब के पास आकर वे रातभर वही बैठ कर रात गुजारते है, और सूरज निकलने के बाद बिक्री शुरू होती है, पूरा बिक्री होने के बाद ही वापस जाते है।।


Conclusion:वापस गाव जाने के बाद समूह में सदस्यों की मीटिंग बुलाई जाती है और उनको सारा हिसाब देने के बाद ,सीताफल बेचने आने वाले लोगो की रोजी भी निकाली जाती है।।

इस समूह ने इसकी शुरुआत 8 हजारके सीताफल खरीद कर की थी तो महिलाओं ने 12 हजार की बिक्री की और उन्हें 4हजार शुद्ध मुनाफा हुआ।।

सीताफल लेने वाले ग्राहको ने बताया कि सुबह से ही दुकान लग जाती है, आस पास के सभी लोग इनसे सीताफल खरीदने आते है,वही सीताफल का भी टेस्ट बढ़िया रहता है, मार्केट रेट से भी कम दाम पर ये महिलाएं सीताफल बेचती है।वही इनके सीताफल का टेस्ट भी कही नही मिलेगा।

वहीं प्रशासन द्वारा समूह को आने जाने के लिए गाड़ी और सीताफल बेचने बाक्स मोहैया कराने की मदद से महिला स्व सहायता समूह को बढ़ावा मिल रहा है ।साथ ही आदिवासी अंचल की महिला सशक्त हो रही है की महिलाओं को अच्छा रोजगार भी प्राप्त हो रहा है

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सविता मंडावी

समूह सदस्य

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अनिता बाई कुंजाम
समूह सदस्य

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