रायपुरः बस्तर से आदिवासी नेताओं का एक समूह गुरुवार मुख्यमंत्री निवास पहुंचा. मंत्री कवासी लखमा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कई साल से जेल में बंद आदिवासियों को जल्द रिहा करने की मांग की. प्रदेश सरकार ने आदिवासियों के रिहाई के लिए एक कमेटी का गठन की है. कमेटी में आदिवासी नेताओं के अलावा सुप्रीम कोर्ट के सदस्यों को शामिल किया गया है और उनकी निगरानी में कमेटी के कार्यों की समीक्षा की जा रही है.
बस्तर से आए प्रतिनिधिमंडल में विधायक देवती कर्मा, विक्रम मंडावी, चंदन कश्यप, सोनी सोरी और समाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और बस्तर संभाग के जेलों में बंद आदिवासियों को जल्द से जल्द रिहा कराने पर चर्चा की.
कमेटी और अधिकारियों हुआ मीटिंग
मंत्री लखमा ने बताया कि आदिवासियों के रिहाई बनाई गई कमेटी और डीजीपी सहित संबंधित अधिकारियों की बैठक की गई है. उन्होंने कहा कि अवैध शराब कारोबार के नाम पर बस्तर के जेलो में बंद लगभग 300 आदिवासियों को रिहा किया जाएगा.उन्होंने बताया कि इसके बाद नक्सल के नाम पर बंद निर्दोष आदिवासियों को दो चरणों में रिहा किया जाएगा. इसमें कम धारा के तहत जेल बंद आदिवासियों को पहले उसके बाद बड़ी धाराओं के तहत बंद आदिवासियों को रिहा किया जाना है.
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आदिवासियों के रिहाई के लिए आंदोलन
बता दें कि कुछ दिन पूर्व बस्तर की जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के लिए बड़े स्तर पर आवाज उठाई गई थी. आम आदमी पार्टी के नेता और समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी की अगुवाई हजारों ग्रामीण और सरपंचों ने दंतेवाड़ा में आंदोलन किया था. आदिवासियों के आंदोलन की आवाज राजधानी रायपुर तक पहुंची है. आंदोलन के दौरान सोनी सोरी ने कहा था कि यदि जनप्रतिनिधि आवाज उठाते तो हमें आज क्यों आंदोलन करना पड़ता.
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रिहाई की उम्मीद जगी
प्रदेश सरकार के आश्वासन के बाद बस्तर के आदिवासियों में एक बार फिर बरसों से जेलों में बंद आदिवासियों की रिहाई को लेकर उम्मीद जगी है. अब देखना है कि सरकार कब तक इनकी रिहाई का आदेश जारी करती है या फिर इनकी रिहाई में कोई कानूनी दांवपेच आड़े आता है यह तो समय ही बताएगा.