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बस्तर की जेलों में बंद 300 निर्दोष आदिवासियों की जल्द होगी रिहाई: कवासी लखमा - 300 innocent tribals lodged in Bastar jail

बस्तर के जेलों में बंद आदिवासियों को रिहा करने के लिए कमेटी बनाई गई है. कमेटी के सदस्य गुरुवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से निवास पहुंचे और उनसे इस मामले में चर्चा की.

बस्तर की जेलों में बंद 300 निर्दोष आदिवासियों की जल्द होगी रिहाई
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Published : Nov 1, 2019, 8:56 AM IST

Updated : Nov 1, 2019, 11:44 AM IST

रायपुरः बस्तर से आदिवासी नेताओं का एक समूह गुरुवार मुख्यमंत्री निवास पहुंचा. मंत्री कवासी लखमा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कई साल से जेल में बंद आदिवासियों को जल्द रिहा करने की मांग की. प्रदेश सरकार ने आदिवासियों के रिहाई के लिए एक कमेटी का गठन की है. कमेटी में आदिवासी नेताओं के अलावा सुप्रीम कोर्ट के सदस्यों को शामिल किया गया है और उनकी निगरानी में कमेटी के कार्यों की समीक्षा की जा रही है.

बस्तर की जेलों में बंद 300 निर्दोष आदिवासियों की जल्द होगी रिहाई

बस्तर से आए प्रतिनिधिमंडल में विधायक देवती कर्मा, विक्रम मंडावी, चंदन कश्यप, सोनी सोरी और समाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और बस्तर संभाग के जेलों में बंद आदिवासियों को जल्द से जल्द रिहा कराने पर चर्चा की.

कमेटी और अधिकारियों हुआ मीटिंग
मंत्री लखमा ने बताया कि आदिवासियों के रिहाई बनाई गई कमेटी और डीजीपी सहित संबंधित अधिकारियों की बैठक की गई है. उन्होंने कहा कि अवैध शराब कारोबार के नाम पर बस्तर के जेलो में बंद लगभग 300 आदिवासियों को रिहा किया जाएगा.उन्होंने बताया कि इसके बाद नक्सल के नाम पर बंद निर्दोष आदिवासियों को दो चरणों में रिहा किया जाएगा. इसमें कम धारा के तहत जेल बंद आदिवासियों को पहले उसके बाद बड़ी धाराओं के तहत बंद आदिवासियों को रिहा किया जाना है.

पढ़ेंः-हमर 19 बछर: बहुत 'भोला' और सुंदर है 'धान का कटोरा', छत्तीसगढ़ को नहीं देखा तो क्या देखा

आदिवासियों के रिहाई के लिए आंदोलन
बता दें कि कुछ दिन पूर्व बस्तर की जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के लिए बड़े स्तर पर आवाज उठाई गई थी. आम आदमी पार्टी के नेता और समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी की अगुवाई हजारों ग्रामीण और सरपंचों ने दंतेवाड़ा में आंदोलन किया था. आदिवासियों के आंदोलन की आवाज राजधानी रायपुर तक पहुंची है. आंदोलन के दौरान सोनी सोरी ने कहा था कि यदि जनप्रतिनिधि आवाज उठाते तो हमें आज क्यों आंदोलन करना पड़ता.

पढ़ेंः-हमर 19 बछर: कई बार छलनी हुआ 'छत्तीसगढ़ महतारी' का कलेजा, नक्सलवाद ने ली सैकड़ों 'बेटों' की बलि

रिहाई की उम्मीद जगी
प्रदेश सरकार के आश्वासन के बाद बस्तर के आदिवासियों में एक बार फिर बरसों से जेलों में बंद आदिवासियों की रिहाई को लेकर उम्मीद जगी है. अब देखना है कि सरकार कब तक इनकी रिहाई का आदेश जारी करती है या फिर इनकी रिहाई में कोई कानूनी दांवपेच आड़े आता है यह तो समय ही बताएगा.

रायपुरः बस्तर से आदिवासी नेताओं का एक समूह गुरुवार मुख्यमंत्री निवास पहुंचा. मंत्री कवासी लखमा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने कई साल से जेल में बंद आदिवासियों को जल्द रिहा करने की मांग की. प्रदेश सरकार ने आदिवासियों के रिहाई के लिए एक कमेटी का गठन की है. कमेटी में आदिवासी नेताओं के अलावा सुप्रीम कोर्ट के सदस्यों को शामिल किया गया है और उनकी निगरानी में कमेटी के कार्यों की समीक्षा की जा रही है.

बस्तर की जेलों में बंद 300 निर्दोष आदिवासियों की जल्द होगी रिहाई

बस्तर से आए प्रतिनिधिमंडल में विधायक देवती कर्मा, विक्रम मंडावी, चंदन कश्यप, सोनी सोरी और समाजिक कार्यकर्ता बेला भाटिया सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे. प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और बस्तर संभाग के जेलों में बंद आदिवासियों को जल्द से जल्द रिहा कराने पर चर्चा की.

कमेटी और अधिकारियों हुआ मीटिंग
मंत्री लखमा ने बताया कि आदिवासियों के रिहाई बनाई गई कमेटी और डीजीपी सहित संबंधित अधिकारियों की बैठक की गई है. उन्होंने कहा कि अवैध शराब कारोबार के नाम पर बस्तर के जेलो में बंद लगभग 300 आदिवासियों को रिहा किया जाएगा.उन्होंने बताया कि इसके बाद नक्सल के नाम पर बंद निर्दोष आदिवासियों को दो चरणों में रिहा किया जाएगा. इसमें कम धारा के तहत जेल बंद आदिवासियों को पहले उसके बाद बड़ी धाराओं के तहत बंद आदिवासियों को रिहा किया जाना है.

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आदिवासियों के रिहाई के लिए आंदोलन
बता दें कि कुछ दिन पूर्व बस्तर की जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के लिए बड़े स्तर पर आवाज उठाई गई थी. आम आदमी पार्टी के नेता और समाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी की अगुवाई हजारों ग्रामीण और सरपंचों ने दंतेवाड़ा में आंदोलन किया था. आदिवासियों के आंदोलन की आवाज राजधानी रायपुर तक पहुंची है. आंदोलन के दौरान सोनी सोरी ने कहा था कि यदि जनप्रतिनिधि आवाज उठाते तो हमें आज क्यों आंदोलन करना पड़ता.

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रिहाई की उम्मीद जगी
प्रदेश सरकार के आश्वासन के बाद बस्तर के आदिवासियों में एक बार फिर बरसों से जेलों में बंद आदिवासियों की रिहाई को लेकर उम्मीद जगी है. अब देखना है कि सरकार कब तक इनकी रिहाई का आदेश जारी करती है या फिर इनकी रिहाई में कोई कानूनी दांवपेच आड़े आता है यह तो समय ही बताएगा.

Intro:शराब के नाम पर बस्तर की जेलों में बंद 300 निर्दोष आदिवासियों को जल्द छोड़ेगी सरकार

बाद में होगी नक्सलियों के नाम पर बंद बस्तर की जेलों में आदिवासियों की रिहाई

दो चरणों में आदिवासी किए जाएंगे रिहा

पहले चरण में कम धाराओं के तहत गिरफ्तार आदिवासियों को किया जाएगा रिहा

दूसरे चरण में बड़ी धाराओं वाले आदिवासी होंगे रिहा

आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने दी जानकारी

रायपुर बस्तर से आदिवासी नेताओं का एक समूह आज मुख्यमंत्री निवास पहुचा। जहां उन्होंने मंत्री कवासी लखमा के नेतृत्व में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की इस दौरान उन्होंने वर्षों से जेलों में बंद आदिवासियों को जल्द रिहा करने की मांग की साथ ही उनकी रिहाई के लिए बनाए गए कमेटी में आदिवासी नेताओं के शामिल करने का प्रस्ताव भी रखा

Body:मुख्यमंत्री से मुलाकात के बाद आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने जानकारी देते हुए बताया कि बस्तर से पहुंचे प्रतिनिधिमंडल में विधायक देवती कर्मा सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद थे उन्होंने मुख्यमंत्री से मुलाकात की और बस्तर क्षेत्र के जेलों में बंद आदिवासियों की जल्द रिहाई पर विस्तार से चर्चा की

कवासी ने बताया कि इन आदिवासियों की रिहाई के लिए सरकार पहले से ही प्रयासरत है और इसके लिए एक कमेटी बनाई गई है जो उनकी रिहाई के लिए कानूनी प्रक्रिया के तहत काम कर रही है वही आदिवासी की रिहाई के लिए बनाई गई कमेटी में आदिवासी नेता के शामिल करने की मांग पर कवासी लखामा ने कहा कि आदिवासी नेता के इस कमेटी में शामिल करने से काम कम और राजनीति ज्यादा होगी इसलिए ऐसे व्यक्ति को कमेटी का सदस्य बनाया गया है जो सुप्रीम कोर्ट का सदस्य है और उसके अनुसार आदिवासियों की रिहाई के लिए समीक्षा की जा रही है ।

कवासी ने यह भी जानकारी दी इस मामले को लेकर कमेटी के सदस्य ओर डीजीपी सहित संबंधित अधिकारियों की बैठक हो गई है और जल्द ही शराब के नाम पर बस्तर की जेलों में लंबे समय से बंद लगभग बस्तर के 300 आदिवासियों को रिहा किया जाएगा । इसके बाद दो चरण में नक्सल के नाम पर बंद आदिवासियों को रिहा किया जाएगा जिसके पहले चरण में कम धारा के तहत बंद आदिवासियों को रिहा किया जाएगा और बाद में बड़ी धाराओं के तहत बंद आदिवासियों को।
वाइट कवासी लखमा मंत्री आबकारी विभाग

बता बता दें कि कुछ दिन पूर्व बस्तर की जेलों में बंद निर्दोष आदिवासियों की रिहाई के लिए बड़े स्टार पर आवाज़ उठाई गई थी। "आप" नेत्री सोनी सोरी की अगुवाई में बड़ी संख्या में आदिवासीयो ने बस्तर के दन्तेवाड़ा में आंदोलन किया था। इस आंदोलन की आग रायपुर तक आ पहुची है। सामजिक कार्यकर्ता और आप नेत्री सोनी सोरी ने इलाके के सरपंचों , हज़ारों ग्रामीण के साथ आंदोलन किया था। उस दौरान सोनी सोरी ने कहा था कि यदि जनप्रतिनिधि आवाज उठाते तो हमें आज क्यों आंदोलन करना पड़ता।

लेकिन आज सरकार के इस आश्वासन के बाद बस्तर के आदिवासियों में एक बार फिर बरसों से जेलों में बंद आदिवासियों की रिहाई को लेकर आस जागी है अब देखने वाली बात है कि सरकार कब तक इनकी रिहाई का आदेश जारी करती है। या फिर इनकी रिहाई में कोई कानूनी दांवपेच आड़े आता है यह तो समय ही बताएगा

Conclusion:गौरतलब है कि भूपेश बघेल सरकार के लगभग 10 महीने का कार्यकाल पूरा हो चुका है । और इस 10 महीनों में कांग्रेस सरकार के द्वारा अपने संकल्प पत्र में किए गए घोषणा में से ज्यादातर वादे पूरे किए जाने के दावे किए जा रहे हैं । लेकिन कई वादे ऐसे थे जिन्हें पूरा करने में अब तक कांग्रेस सरकार नाकामयाब रही है और यही वजह है कि आदिवासी समाज सहित विपक्ष अब इन वादों को लेकर सरकार को घेरने का प्रयास कर रही है ।

नोट:- cg_rpr_spl_02_jail me band adiwasi_avb_7204363

जेल में बंद निर्दोष आदिवासीयो की रिहाई पर गरमाई प्रदेश की राजनीति

11 अक्टूबर को इस नाम से भेजी गई खबर के बीच बल और बाइट इस्तेमाल किए जा सकते हैं
Last Updated : Nov 1, 2019, 11:44 AM IST
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