रायपुर: कोरोना काल में औषधि पौधों की मांग लगातार बढ़ रही है. राजधानी के आयुर्वेदिक कॉलेज में एक ऐसा गार्डन है, जहां केवल औषधीय पौधों की हरियाली बिखरी हुई है. शहर के ज्यादातर लोगों को यह पता ही नहीं है कि यहां औषधीय पौधे लगे हुए हैं.
2 औषधीय गार्डन में है प्रकृति का खजाना
आयुर्वेदिक कॉलेज के परिसर में 2 औषधीय गार्डन है, जिसमें से एक प्राचीन औषधि गार्डन 25 एकड़ में फैला हुआ है. वहीं 10 साल पहले 12 एकड़ में औषधीय गार्डन का निर्माण किया गया, जिसमें तकरीबन 260 अलग-अलग किस्म के औषधीय पौधे है.
दूसरे कॉलेज और स्कूल से भी छात्र जानकारी लेने पहुंचते है
आयुर्वेद कॉलेज के प्रोफेसर ने ETV भारत से चर्चा में बताया कि यहां आयुर्वेद की पढ़ाई करने वाले छात्रों के साथ-साथ स्कूल, कॉलेज के बच्चे भी इन औषधि युक्त उद्यान को देखने आते हैं और इन पौधों से होने वाले उपचार की जानकारी लेते है. हर एक औषधि पौधों में नाम के साथ किस तरह की बीमारी के लिए यह कारगर साबित होता है उसके बारे में भी बताया जाता है. कॉलेज में अभी 53 पीजी के और 75 यूजी के छात्र हैं.
260 किस्म के औषिध पौधों का कलेक्शन
आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर राजेश सिंह ने बताया कि 37 एकड़ में फैले इस आयुर्वेदिक उद्यान में मुख्य रूप से 260 प्रकार के औषधि पौधे लगे है. जिनकी संख्या लगभग 45 हजार है. इनमें कई ऐसे औषधि पौधे है जो दुर्लभ प्रजाति के हैं और बहुत कम ही मिलते हैं. इन औषधि पौधों में कई प्रकार की बीमारियों से निजात दिलाने की शक्ति है.
उद्यान के पौधे का नहीं होता औषधि के लिए इस्तेमाल
यहां हर तरह के बीमारियों से संबंधित औषधि पौधे हैं जिनमें सिकलिन, पाइल्स, मानसिक रोग, कब्ज, मिर्गी, डायबिटीज बुखार रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले, कुष्ठ रोग, कैंसर जैसी बीमारी को ठीक करने वाले औषधि पौधे हैं. हालांकि उद्यान में लगे पौधों का इस्तेमाल इलाज के तौर पर नहीं किया जाता है यह सिर्फ शोधार्थियों के लिए और छात्रों को जानकारी देने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
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गुड़मार
इस उद्यान में एक ऐसा भी औषधि पौधा है गुड़मार. जिसको खाने से कुछ समय के लिए स्वाद लेने की क्षमता सुन्न हो जाती है. जीभ पर स्वीटनेस का पता नहीं चलता है. इसे खत्म करने के लिए नमक चखने पर टेस्ट वापस आ जाता है. प्रोफेसर ने बताया कि गुड़मार का पौधा डायबिटीज के लिए काम में आता है.
मच्छर भगाने का पौधा, ओडोमास
इस उद्यान में मच्छरों को भगाने के लिए ओडोमास नाम का पौधा है, जिससे मच्छरों को भगाया जाता है. मच्छरों को भगाने वाली क्रीम भी इस पौधे से तैयार की जाती है.
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अद्भुत औषधियों का भंडार
मनसोवा एलिसिया है जिसका इस्तेमाल करने से खुशी का अहसास होता है. जंगली प्याज जिसका उपयोग कैंसर के रोग को ठीक करने के लिए किया जाता है, नील बूटी यह औषधि पौधा बहुत कम मिलता है. इसके अलावा अष्ट वर्ग के पौधे, जंगली लहसुन, दन्ति, बूतनाशन, सर्प गंधा, जैसे अदभुत औषधि मौजूद है.
ताकत बढ़ाने की औषधि
मनुष्य में ताकत बढ़ाने के लिए कई तरह की औषधियों का इस्तेमाल किया जाता है. जिनमें से कई प्रकार की बला यहां के उद्यान में मौजूद है जो शरीर को ताकत देती है.
औषधि गार्डन में लगे पौधे
इस औषधि गार्डन में मुख्य रूप से गिलोय, अश्वगंधा, दालचीनी, निर्गुणी कुटज, दुग्धिका, महानीम, हर्रा ,बथुआ भाजी, इंद्रजव सतावरी, बला, पुनरनवा, खदिर, भेलवा, मंडुक, ब्राम्ही, वचा, ज्योतिषमति, तवृत, ज्वाराकुश, लता करंज, चित्रक करंज और सप्तपर समेत तकरीबन 260 से भी ज्यादा अलग-अलग किस्म की औषधियां है.