रायपुर: आज राष्ट्रीय खेल दिवस है. देश और प्रदेश स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों का सम्मान किया गया है. इन खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी हमें प्रेरित करती है लेकिन कुछ तस्वीरें ऐसी होती हैं, जो हमारे सामने नहीं आ पातीं. ऐसी की एक कहानी है खिरमन तांडी की. इसने 14 साल की उम्र में ऑल इंडिया लॉन टेनिस चैंपियनशिप में न सिर्फ गोल्ड मेडल जीता बल्कि अब तक 18 ट्रॉफियां अपने नाम कर चुका है.
कभी गेंदे उठाकर खिलाड़ियों को देता था
वो कहते हैं न 'कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, कभी धुएं की तरह हम पर्वतों से उड़ते हैं, ये कैंचियां हमें उड़ने से खाक रोकेंगी, कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं. ये चंद लाइन इसी खिलाड़ी के लिए हैं. पिता इसी मैदान पर साफ-सफाई का करते थे. खिरमन बॉल ब्वॉय था. गेंदे उठाकर खिलाड़ियों को देता था और इसके बदले पैसे मिल जाते थे, लेकिन क्या पता था कि इस बच्चे पर कोच की नजर पड़ेगी और सोना जीतकर लाएगा. जहां पिता मेहनत का पसीना बहाते थे, वहीं की हीरो बेटा बन गया.
खिरमन की आंखों में खेल के लिए जुनून
गेंद उठाकर खिलाड़ियों को देने वाले इस बच्चे पर नजर कोच लारेंस सेंटियागो की पड़ी. उन्होंने हीरे को तराश दिया. खिरमन को खेलने के लिए किट भी उनके कोच ने दी और फीस भी नहीं ली. कोच बताते हैं कि खेल के लिए जुनून उन्हें खिरमन की आंखों में दिखा और तराशने पर ये हीरा चमक गया.
अपने उम्र से भी ज्यादा ट्राफियां जीता
खिरमन के मन में तो जैसे लॉन टेनिस बसता है. अपनी मेहनत के बल पर वे 18 ट्रॉफी जीत चुके हैं. अब बस इनको इंतजार है, तो सरकार के सपोर्ट और अच्छे कोच का. बेहतर सुविधाएं मिल जाएं, तो ये खिलाड़ी विश्व पटल पर तिरंगा लहराएगा.