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SPECIAL: जिस मैदान की देखभाल करते हैं पिता, उसी पर खेल कर हीरो बन गया बेटा

जिस मैदान पर पिता सफाई करते थे, उसी मैदान पर खिरमन तांडी ने मेहनत से सफलता के झंडे गाड़ दिए. मुफलिसी में साथ कोच ने दिया तो इस खिलाड़ी ने गोल्ड मेडल के साथ 18 ट्रॉफी अपनी झोली में डाल ली.

खिरमन तांडी ने मेहनत से सफलता के झंडे गाड़ दिए
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Published : Aug 29, 2019, 9:38 PM IST

रायपुर: आज राष्ट्रीय खेल दिवस है. देश और प्रदेश स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों का सम्मान किया गया है. इन खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी हमें प्रेरित करती है लेकिन कुछ तस्वीरें ऐसी होती हैं, जो हमारे सामने नहीं आ पातीं. ऐसी की एक कहानी है खिरमन तांडी की. इसने 14 साल की उम्र में ऑल इंडिया लॉन टेनिस चैंपियनशिप में न सिर्फ गोल्ड मेडल जीता बल्कि अब तक 18 ट्रॉफियां अपने नाम कर चुका है.

खिरमन तांडी ने मेहनत से सफलता के झंडे गाड़ दिए

कभी गेंदे उठाकर खिलाड़ियों को देता था
वो कहते हैं न 'कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, कभी धुएं की तरह हम पर्वतों से उड़ते हैं, ये कैंचियां हमें उड़ने से खाक रोकेंगी, कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं. ये चंद लाइन इसी खिलाड़ी के लिए हैं. पिता इसी मैदान पर साफ-सफाई का करते थे. खिरमन बॉल ब्वॉय था. गेंदे उठाकर खिलाड़ियों को देता था और इसके बदले पैसे मिल जाते थे, लेकिन क्या पता था कि इस बच्चे पर कोच की नजर पड़ेगी और सोना जीतकर लाएगा. जहां पिता मेहनत का पसीना बहाते थे, वहीं की हीरो बेटा बन गया.

खिरमन की आंखों में खेल के लिए जुनून
गेंद उठाकर खिलाड़ियों को देने वाले इस बच्चे पर नजर कोच लारेंस सेंटियागो की पड़ी. उन्होंने हीरे को तराश दिया. खिरमन को खेलने के लिए किट भी उनके कोच ने दी और फीस भी नहीं ली. कोच बताते हैं कि खेल के लिए जुनून उन्हें खिरमन की आंखों में दिखा और तराशने पर ये हीरा चमक गया.

अपने उम्र से भी ज्यादा ट्राफियां जीता
खिरमन के मन में तो जैसे लॉन टेनिस बसता है. अपनी मेहनत के बल पर वे 18 ट्रॉफी जीत चुके हैं. अब बस इनको इंतजार है, तो सरकार के सपोर्ट और अच्छे कोच का. बेहतर सुविधाएं मिल जाएं, तो ये खिलाड़ी विश्व पटल पर तिरंगा लहराएगा.

रायपुर: आज राष्ट्रीय खेल दिवस है. देश और प्रदेश स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों का सम्मान किया गया है. इन खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी हमें प्रेरित करती है लेकिन कुछ तस्वीरें ऐसी होती हैं, जो हमारे सामने नहीं आ पातीं. ऐसी की एक कहानी है खिरमन तांडी की. इसने 14 साल की उम्र में ऑल इंडिया लॉन टेनिस चैंपियनशिप में न सिर्फ गोल्ड मेडल जीता बल्कि अब तक 18 ट्रॉफियां अपने नाम कर चुका है.

खिरमन तांडी ने मेहनत से सफलता के झंडे गाड़ दिए

कभी गेंदे उठाकर खिलाड़ियों को देता था
वो कहते हैं न 'कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं, कभी धुएं की तरह हम पर्वतों से उड़ते हैं, ये कैंचियां हमें उड़ने से खाक रोकेंगी, कि हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं. ये चंद लाइन इसी खिलाड़ी के लिए हैं. पिता इसी मैदान पर साफ-सफाई का करते थे. खिरमन बॉल ब्वॉय था. गेंदे उठाकर खिलाड़ियों को देता था और इसके बदले पैसे मिल जाते थे, लेकिन क्या पता था कि इस बच्चे पर कोच की नजर पड़ेगी और सोना जीतकर लाएगा. जहां पिता मेहनत का पसीना बहाते थे, वहीं की हीरो बेटा बन गया.

खिरमन की आंखों में खेल के लिए जुनून
गेंद उठाकर खिलाड़ियों को देने वाले इस बच्चे पर नजर कोच लारेंस सेंटियागो की पड़ी. उन्होंने हीरे को तराश दिया. खिरमन को खेलने के लिए किट भी उनके कोच ने दी और फीस भी नहीं ली. कोच बताते हैं कि खेल के लिए जुनून उन्हें खिरमन की आंखों में दिखा और तराशने पर ये हीरा चमक गया.

अपने उम्र से भी ज्यादा ट्राफियां जीता
खिरमन के मन में तो जैसे लॉन टेनिस बसता है. अपनी मेहनत के बल पर वे 18 ट्रॉफी जीत चुके हैं. अब बस इनको इंतजार है, तो सरकार के सपोर्ट और अच्छे कोच का. बेहतर सुविधाएं मिल जाएं, तो ये खिलाड़ी विश्व पटल पर तिरंगा लहराएगा.

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रायपुर। विश्व खेल दिवस पर वैसे तो तमाम तरह के खेल और खिलाड़ियों की बात हो रही है लेकिन हम आपको छत्तीसगढ़ के ऐसे भरते हुए खिलाड़ी की दास्तां दिखाने जा रहे हैं जो बेहद कम संसाधन या माने तो अपने संघर्ष के बलबूते आज अपना एक मुकाम मना रहा है। जी हां शहर के ख़िरमन तांडी ने कभी टेनिस ग्राउंड में जाकर बच्चों को खेलते देखता था फिर वहां बॉल उठाने का काम शुरू किया और इसके कई दिनों बाद जो वहां के कोच को की नजर उस बच्चे पर पड़ी तब उन्होंने उसे खेलने का मौका दिया। उसके हुनर को देखकर फ्री में ट्रेनिंग भी दी। आज वह बच्चा ख़िरमन तांडी ऑल इंडिया लॉन टेनिस चैंपियनशिप में अंडर 14 कैटेगरी में गोल्ड मेडल हासिल कर चुका है। यही नही अब तक 18 ट्राफी भी अपने नाम कर चुका है।
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वीओ-
हम आपको ऐसे खिलाड़ी की दास्तां बताने जा रहे हैं जो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. हालांकि अभी इस कहानी में ट्विस्ट आना बाकी है। दरअसल शहर के ख़िरमन तांडी जो कि अभी अंडर 14 कैटेगरी में लॉन टेनिस खेलते हैं, वह कभी अपने पिता जय तांडी के साथ टेनिस ग्राउंड जाया करते थे और बाहर से बच्चों को खेलते हुए देखते थे। बच्चों को देखकर खिरमन हमेशा टेनिस खेलने की सोचा करते थे। शुरू मे वे बॉल उठाने का काम शुरू किया, बॉल बॉय के रूप में खिरमन को सप्ताह में ₹100 मिल जाते थे, लेकिन कुछ महीने के बाद उनके कोच लॉरेन सेंटियागो की नजर उन पर पड़ी और टेनिस खेलने की इच्छा जाहिर की। दूसरे बच्चों की तरह उन्होंने ख़िरमन को भी काफी सिखाया और इसके बदले कभी फीस भी नहीं ली । टेनिस के प्रति उनकी लगन को देखते हुए को उनके कोच ने टेनिस कीट भी गिफ्ट की। हर रोज सुबह 6:30 से लेकर 9:30 बजे तक और शाम के स्कूल से आने के बाद शाम के 5:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खिरमन प्रैक्टिस करते हैं । यही नहीं बहुत कम समय में खिरमन ऑल इंडिया लॉन टेनिस चैंपियनशिप में अंडर 14 केटेगरी में गोल्ड मेडल हासिल किया है । साथ ही अपनी दमदार परफॉर्मेंस से लॉन टेनिस में अब तक 18 से ज्यादा ट्राफी अपना नाम कर चुके हैं। नवमी में पढ़ रहे हैं खिरमन के पिता जय कुमार तांडी नगर निगम में सफाई कर्मचारी हैं। इसके अलावा वे इस ग्राउंड में केयरटेकर का काम भी करते हैं । ख़िरमन के फेवरेट खिलाड़ी फेडरल है और वे हमेशा उन्हीं को देखकर देश विदेश में टेनिस की दुनिया में अपना नाम बनाना चाहते हैं । दूसरी ओर उनके कोच लारेंस सेंटियागो का भी मानना है कि ख़िरमन में टेनिस को लेकर जबरदस्त दीवानगी है साथ ही स्किल की ऐसी समझ है कि अच्छे-अच्छे खिलाड़ी इनसे नहीं जीत पाते हैं। अब जरूरत है तो इनको देश विदेश के बड़े कोचेस और ट्रेनिंग की हैं यदि इनको सही तरह से कोचिंग मिल गई तो देश-विदेश में अपने खेल का डंका बजा सकता है।

वन टू वन - ख़िरमन टांडी, अंडर 14 लान टेनिस चैंपियन खिलाड़ी

बाईट- लारेंस सेंटियागो, कोच व सचिव, छग लॉन टेनिस एसोसिएशन

मयंक ठाकुर, ईटीवी भारत, रायपुरConclusion:
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