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Raigarh News: नौकरी और मुआवजा न मिलने पर अडानी कंपनी के सामने ग्रामीणों ने किया आर्थिक नाकेबंदी - अडानी कंपनी

जमीन अधिग्रहण के एवज में सालों पहले कंपनी ने मुआवजा और नौकरी देने की बात कही थी. नौकरी और मुआवजा न मिलने पर अडानी कंपनी के सामने ग्रामीणों ने आर्थिक नाकेबंदी की.

Demonstration of villagers in front of Adani company
अडानी कंपनी के सामने ग्रामीणों का प्रदर्शन
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Published : Jun 8, 2023, 6:53 PM IST

आर्थिक नाकेबंदी

रायगढ़: जिले के ग्रामीण बुधवार को अडानी कंपनी के सामने आर्थिक नाकेबंदी की. इस नाकेबंदी में सैकड़ों की तादाद में महिला और पुरुष शामिल हैं. दरअसल, जमीन अधिग्रहण मामले को लेकर ये सभी विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अडानी कंपनी की ओर से उद्योग के लिए जमीन अधिग्रहित की गई. इसके बदले मुआवजा तो मिल गया लेकिन नौकर अब तक नहीं मिल पाई है.

जानिए पूरा मामला: दरअसल, साल 2008-2009 में इस उद्योग की नींव रखी जा रही थी. आसपास के ग्रामीणों से उद्योग के लिए जमीन अधिग्रहण किया गया था. जमीन अधिग्रहण के एवज में साल 2013 को मुआवजा इन्हें दे दिया गया था. साथ ही कुछ एक लोगों को नौकरी भी दी गई थी. हालांकि कुछ लोगों को ना तो मुआवजा मिला ना ही नौकरी. इसी के विरोध में ये ग्रामीण लामबंद हैं.

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जल्द नौकरी को लेकर मिला था आश्वासन: बता दें कि 2 माह पहले ही उद्योग और जिला प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय प्रतिनिधि का पूर्व एसडीएम कार्यालय में बैठक हुई थी. बैठक में नौकरी देने की बात कही गई थी. लेकिन दो माह हो जाने के बावजूद अब तक ग्रामीणों को न ही नौकरी मिली ना ही नौकरी के एवज में मुआवजा.

खुद को ठगा महसूस कर रहे ग्रामीण: ग्रामीणों की मानें तो इन्हें सालों से महज आश्वासन दिया जा रहा है. बार-बार आकर कंपनी के आश्वासन के बाद भी मुआवजा और नौकरी न मिलने से ये ग्रामीण खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. यही कारण है कि ये नाकेबंदी के लिए बाध्य हुए हैं.

आर्थिक नाकेबंदी

रायगढ़: जिले के ग्रामीण बुधवार को अडानी कंपनी के सामने आर्थिक नाकेबंदी की. इस नाकेबंदी में सैकड़ों की तादाद में महिला और पुरुष शामिल हैं. दरअसल, जमीन अधिग्रहण मामले को लेकर ये सभी विरोध कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अडानी कंपनी की ओर से उद्योग के लिए जमीन अधिग्रहित की गई. इसके बदले मुआवजा तो मिल गया लेकिन नौकर अब तक नहीं मिल पाई है.

जानिए पूरा मामला: दरअसल, साल 2008-2009 में इस उद्योग की नींव रखी जा रही थी. आसपास के ग्रामीणों से उद्योग के लिए जमीन अधिग्रहण किया गया था. जमीन अधिग्रहण के एवज में साल 2013 को मुआवजा इन्हें दे दिया गया था. साथ ही कुछ एक लोगों को नौकरी भी दी गई थी. हालांकि कुछ लोगों को ना तो मुआवजा मिला ना ही नौकरी. इसी के विरोध में ये ग्रामीण लामबंद हैं.

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जल्द नौकरी को लेकर मिला था आश्वासन: बता दें कि 2 माह पहले ही उद्योग और जिला प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय प्रतिनिधि का पूर्व एसडीएम कार्यालय में बैठक हुई थी. बैठक में नौकरी देने की बात कही गई थी. लेकिन दो माह हो जाने के बावजूद अब तक ग्रामीणों को न ही नौकरी मिली ना ही नौकरी के एवज में मुआवजा.

खुद को ठगा महसूस कर रहे ग्रामीण: ग्रामीणों की मानें तो इन्हें सालों से महज आश्वासन दिया जा रहा है. बार-बार आकर कंपनी के आश्वासन के बाद भी मुआवजा और नौकरी न मिलने से ये ग्रामीण खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. यही कारण है कि ये नाकेबंदी के लिए बाध्य हुए हैं.

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