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रायगढ़: कई सालों से परेशान ग्रामीण कर रहे पुल निर्माण की मांग, जिम्मेदार बेसुध

रायगढ़ के लैलूंगा में कुंजारा मार्ग से गमेकेला की तरफ जाने वाली कच्ची सड़क खारून नदी से होकर गुजरती है, जिसमें अब तक पुल का निर्माण नहीं हो पाया है. ग्रामीण कई बार पुल बनाने की मांग कर चुके हैं, लेकिन इस तरफ कई सालों से कोई ध्यान नहीं दिया गया है.

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परेशान ग्रामीण कर रहे पुल निर्माण की मांग
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Published : Jun 14, 2020, 2:34 PM IST

रायगढ़: जिले के लैलूंगा के कुंजारा मार्ग से गमेकेला की तरफ जाने वाली कच्ची सड़क खारून नदी से होकर गुजरती है, जिसमें अब तक पुल का निर्माण नहीं हो पाया है. वहीं यहां के लोगों का कहना है कि वे इस गांव में कई सालों से बसे हुए हैं. इतने साल बीत गए लेकिन, यहां शासन-प्रशासन ने पुल निर्माण के लिए कोई पहल नहीं की है.

परेशान ग्रामीण कर रहे पुल निर्माण की मांग

इस मार्ग से स्कूल के दिनों में बच्चों सहित राहगीरों का आना-जाना लगा रहता है. यहां से गुजरने वाले लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बारिश के दिनों में रास्ता बंद हो जाता है. नदी उफान पर रहने पर यहां से आने-जाने वाले लोग 18 किलोमीटर का सफर तय कर मुख्यालय लैलूंगा तक पहुंचते हैं. जबकि इस मार्ग से ब्लॉक मुख्यालय की दूरी महज 5 किलोमीटर है. ग्रामीण लकड़ी का पुल बनाकर जान जोखिम में डाल कर हर दिन इसी रास्ते में आना-जाना करते हैं. राशन लाने के साथ ही कई चीजों में दिक्कत होती है.

पढ़ें- कवर्धा: बारिश आते ही गांव का टूट जाता है मुख्य मार्ग से संपर्क, ग्रामीण कर रहे पुल की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इस मार्ग में पुलिया निर्माण की मांग शासन-प्रशासन से की जा चुकी है, लेकिन अब तक निराशा ही हाथ लगी है. प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार है, उम्मीद की जा रही है कि क्षेत्र के विधायक ग्रामीणों की मांग को पूरा करेंगे. ग्रामीणों ने बताया कि खारुन नदी में पुलिया नहीं बनने के कारण यहां के ग्रामीणों को शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ सुचारू रूप से नहीं मिल पा रहा है. बारिश के दिनों में स्कूली बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पूल निर्माण के बाद यहां के लोगों को सुविधा मिलेगी.

जिम्मेदार नहीं लेते सुध

सरकार विकास के हजार दावे करती है, लेकिन ये दावे सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाते हैं. प्रदेश के कई जिलों से लगातार ऐसी खबरें आती रहती हैं, जिसमें पूल निर्माण नहीं किए जाने को लेकर ग्रामीण परेशान हैं. बारिश का मौसम आते ही कई गांव ऐसे भी हैं, जिनका संपर्क जिला मुख्यालय से टूट जाता है. जनप्रतिनिधियों से लगातार शिकायतें की जाती है, उन्हें ऐसी परेशानियों से कई बार अवगत कराया जाता है, लेकिन कोई भी जिम्मेदार इसकी सुध नहीं लेता.

रायगढ़: जिले के लैलूंगा के कुंजारा मार्ग से गमेकेला की तरफ जाने वाली कच्ची सड़क खारून नदी से होकर गुजरती है, जिसमें अब तक पुल का निर्माण नहीं हो पाया है. वहीं यहां के लोगों का कहना है कि वे इस गांव में कई सालों से बसे हुए हैं. इतने साल बीत गए लेकिन, यहां शासन-प्रशासन ने पुल निर्माण के लिए कोई पहल नहीं की है.

परेशान ग्रामीण कर रहे पुल निर्माण की मांग

इस मार्ग से स्कूल के दिनों में बच्चों सहित राहगीरों का आना-जाना लगा रहता है. यहां से गुजरने वाले लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है. बारिश के दिनों में रास्ता बंद हो जाता है. नदी उफान पर रहने पर यहां से आने-जाने वाले लोग 18 किलोमीटर का सफर तय कर मुख्यालय लैलूंगा तक पहुंचते हैं. जबकि इस मार्ग से ब्लॉक मुख्यालय की दूरी महज 5 किलोमीटर है. ग्रामीण लकड़ी का पुल बनाकर जान जोखिम में डाल कर हर दिन इसी रास्ते में आना-जाना करते हैं. राशन लाने के साथ ही कई चीजों में दिक्कत होती है.

पढ़ें- कवर्धा: बारिश आते ही गांव का टूट जाता है मुख्य मार्ग से संपर्क, ग्रामीण कर रहे पुल की मांग

ग्रामीणों का कहना है कि कई बार इस मार्ग में पुलिया निर्माण की मांग शासन-प्रशासन से की जा चुकी है, लेकिन अब तक निराशा ही हाथ लगी है. प्रदेश में अब कांग्रेस की सरकार है, उम्मीद की जा रही है कि क्षेत्र के विधायक ग्रामीणों की मांग को पूरा करेंगे. ग्रामीणों ने बताया कि खारुन नदी में पुलिया नहीं बनने के कारण यहां के ग्रामीणों को शासन की महत्वाकांक्षी योजनाओं का लाभ सुचारू रूप से नहीं मिल पा रहा है. बारिश के दिनों में स्कूली बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. पूल निर्माण के बाद यहां के लोगों को सुविधा मिलेगी.

जिम्मेदार नहीं लेते सुध

सरकार विकास के हजार दावे करती है, लेकिन ये दावे सिर्फ कागजों तक सीमित रह जाते हैं. प्रदेश के कई जिलों से लगातार ऐसी खबरें आती रहती हैं, जिसमें पूल निर्माण नहीं किए जाने को लेकर ग्रामीण परेशान हैं. बारिश का मौसम आते ही कई गांव ऐसे भी हैं, जिनका संपर्क जिला मुख्यालय से टूट जाता है. जनप्रतिनिधियों से लगातार शिकायतें की जाती है, उन्हें ऐसी परेशानियों से कई बार अवगत कराया जाता है, लेकिन कोई भी जिम्मेदार इसकी सुध नहीं लेता.

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