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रायगढ़: अगर करनी है शादी, तो दिखाना होगा जन्म प्रमाण-पत्र - बाल विवाह अधिनियम न्यूज रायगढ़

जिला महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम ने बाल विवाह रोकने के लिए अब ऐसी तरकीब निकाली है, जिसे जानकर आपको भी आश्चर्य होगा, नियम का पालन नहीं करने पर बाल विवाह अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी.

बाल विवाह रोकने के लिए अनूठी पहल, कार्ड में दूल्हा-दुल्हन की जन्म तिथि छापना जरूरी.
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Published : Aug 1, 2019, 10:46 PM IST

रायगढ़: जिला महिला एवं बाल विकास विभाग ने बाल विवाह रोकने के लिए अब ऐसी तरकीब निकाली है, जिसे जानकर आपको भी आश्चर्य होगा. जी हां, बाल विवाह रोकने के लिए जिले में अनूठी पहल की जा रही है, जिसमें प्रिंटिंग प्रेस से शादी का कार्ड छपवाने वालों और मंदिरों में शादी करने वालों को जन्म प्रमाण पत्र देना होगा. कलेक्टर के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने ये पहल की है.

बाल विवाह रोकने के लिए अनूठी पहल, कार्ड में दूल्हा-दुल्हन की जन्म तिथि छापना जरूरी.

प्रिंटिंग प्रेस और मंदिर के पुजारियों को मिला निर्देश
शादी के कार्ड छापने वाले जिले के सभी प्रिंटिंग प्रेस को निर्देशित किया गया है कि, कार्ड छापने से पहले दूल्हा-दुल्हन के परिजन से उनका जन्म प्रमाण-पत्र ले लें और कार्ड प्रिटिंग के वक्त दूल्हा-दुल्हन के नाम के नीचे उनके जन्म की तारीख जरूर छापें.

ऐसा ही निर्देश मंदिर में विवाह करने वाले लोगों के लिए भी दिया गया है. जिसके मुताबिक शादी कराने वाले पुजारी पहले ये सुनिश्चित कर लें कि, लड़का-लड़की बालिग हैं या नहीं, इस संबंध में उनसे जन्म प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है और इसके बाद शादी की रस्म शुरू की जाए.

बाल विवाह अधिनियम के तहत होगा अपराध दर्ज
अगर कहीं भी जन्म प्रमाण पत्र लिए बिना और शादी के कार्डों में जन्म की तारीख छापे बिना अगर शादी करने का कोई मामला सामने आता है, तो बाल विवाह अधिनियम के तहत प्रिंटिंग प्रेस और मंदिर के पुजारी पर अपराध दर्ज किया जाएगा.

नियम का उल्लंघन करने पर की जाएगी कड़ी कार्रवाई
पूरे मामले में महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी का कहना है कि, 'इस तरह की पहल से लोगों में जागरूकता आएगी और बाल विवाह भी कम होगा. फिर भी अगर लोग शासन के इस नियम का उल्लंघन करते हैं, तो उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.'

रायगढ़: जिला महिला एवं बाल विकास विभाग ने बाल विवाह रोकने के लिए अब ऐसी तरकीब निकाली है, जिसे जानकर आपको भी आश्चर्य होगा. जी हां, बाल विवाह रोकने के लिए जिले में अनूठी पहल की जा रही है, जिसमें प्रिंटिंग प्रेस से शादी का कार्ड छपवाने वालों और मंदिरों में शादी करने वालों को जन्म प्रमाण पत्र देना होगा. कलेक्टर के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग ने ये पहल की है.

बाल विवाह रोकने के लिए अनूठी पहल, कार्ड में दूल्हा-दुल्हन की जन्म तिथि छापना जरूरी.

प्रिंटिंग प्रेस और मंदिर के पुजारियों को मिला निर्देश
शादी के कार्ड छापने वाले जिले के सभी प्रिंटिंग प्रेस को निर्देशित किया गया है कि, कार्ड छापने से पहले दूल्हा-दुल्हन के परिजन से उनका जन्म प्रमाण-पत्र ले लें और कार्ड प्रिटिंग के वक्त दूल्हा-दुल्हन के नाम के नीचे उनके जन्म की तारीख जरूर छापें.

ऐसा ही निर्देश मंदिर में विवाह करने वाले लोगों के लिए भी दिया गया है. जिसके मुताबिक शादी कराने वाले पुजारी पहले ये सुनिश्चित कर लें कि, लड़का-लड़की बालिग हैं या नहीं, इस संबंध में उनसे जन्म प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है और इसके बाद शादी की रस्म शुरू की जाए.

बाल विवाह अधिनियम के तहत होगा अपराध दर्ज
अगर कहीं भी जन्म प्रमाण पत्र लिए बिना और शादी के कार्डों में जन्म की तारीख छापे बिना अगर शादी करने का कोई मामला सामने आता है, तो बाल विवाह अधिनियम के तहत प्रिंटिंग प्रेस और मंदिर के पुजारी पर अपराध दर्ज किया जाएगा.

नियम का उल्लंघन करने पर की जाएगी कड़ी कार्रवाई
पूरे मामले में महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी का कहना है कि, 'इस तरह की पहल से लोगों में जागरूकता आएगी और बाल विवाह भी कम होगा. फिर भी अगर लोग शासन के इस नियम का उल्लंघन करते हैं, तो उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.'

Intro:जिले में अब प्रिंटिंग प्रेस से शादी कार्ड छपवाने वाले तथा मंदिरों में शादी करने वालों को देना होगा जन्म प्रमाण पत्र। जिले में कलेक्टर के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा एक अनोखी पहल की गई है जिससे बाल विवाह को रोका जा सके साथ ही शादी होने वाले ने दंपतियों को प्रमाण पत्र के साथ विवाह संपन्न कराया जा सके.


byte01 टिकवेंद्र जाटवर, महिला एवं बाल विकास अधिकारी।



Body:जिला महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा बाल विवाह को रोकने के लिए एक अनोखी पहल की गई है जिसमें शादी कार्ड छापने वाले प्रिंटिंग प्रेस को निर्देशित किया गया है कि कार्ड छापने से पूर्व दूल्हा दुल्हन के जन्म तिथि के संबंध में प्रमाण पत्र अपने पास ले लें तथा शादी कार्ड में दूल्हा दुल्हन की जन्मतिथि जरूरी रूप से लिखें ऐसे ही मंदिर में विवाह करने वाले लोगों के लिए भी निर्देश दिया गया है कि मंदिर में शादी कराने वाले पुजारी यह पहले निश्चित कर लें कि लड़का लड़की बालिग हुए हैं कि नहीं इस संबंध में उनसे जन्म प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य है जिसके बाद ही उनकी शादी हो पाएगी अगर कहीं भी जन्म प्रमाण पत्र लिए बिना तथा शादी कार्ड में जन्मतिथि छापे बिना कोई मामला सामने आता है तो बाल विवाह अधिनियम के तहत प्रिंटिंग प्रेस और मंदिर के पुजारी अपराधी के श्रेणी में आएंगे।


Conclusion:पूरे मामले में महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी का कहना है कि इस तरह की पहल से लोगों में जागरूकता आएगी तथा बाल विवाह भी कम होगा। फिर भी अगर लोग शासन के नियम का उल्लंघन करते हैं तब उनके ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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