रायगढ़: जिले के ढिमरापुर की रहने वाली याशी जैन ने छत्तीसगढ़ का नाम दुनिया भर में रोशन किया है. याशी जैन छत्तीसगढ़ की पहली बेटी है जिसने माउंट एलब्रुस तक चढ़ाई की है. इसी साल जुलाई में 6 दिन की कड़ी मेहनत के बाद याशी ने 6 जुलाई को यूरोप की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस पर तिरंगा फहराया था. याशी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराना चाहती हैं. उन्होंने अपने अनुभव और सपने ETV भारत के साथ साझा किए.
इससे पहले याशी जैन माउंट एवरेस्ट के बेस कैंप तक चढ़ाई कर चुकी हैं. इसके लिए उन्हें तत्कालीन रायगढ़ के कलेक्टर शम्मी आबिदी ने सम्मानित किया था. याशी जैन रायगढ़ जिले के ढिमरापुर की रहने वाली है. वो अपनी बहन और माता-पिता के साथ यहां रहती हैं. याशी के पिता अखिलेश जैन बैंक में कार्यरत हैं और मां गृहणी हैं.
ETV भारत से शेयर किए अनुभव
माउंट एलब्रुस पर चढ़ाई कर छत्तीसगढ़ लौटी याशी जैन ने ETV भारत से बात करते हुए चढ़ाई के दौरान की अपनी यादों को ताजा किया. ETV भारत से बात करते हुए याशी ने बताया कि, 'उनका रुझान 12वीं के बाद से ही पर्वतारोहण की तरफ होने लगा था. याशी ने कहा, 'उत्तर प्रदेश की अरुणिमा सिन्हा जो एक पैर से दिव्यांग हैं, उन्होंने विश्व के ऊंचे पर्वतों पर चढ़ाई की है. इसके बाद से ही मुझे लगा कि मुझे यह करना चाहिए और उन्हीं से मुझे प्रेरणा मिली. घर वालों का भी साथ रहा और माता-पिता ने अपने मन की सुनने से कभी नहीं रोका.' याशी कहती हैं कि उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा मन से काम करने की आजादी दी. घर वालों ने किसी तरह का कोई दबाव नहीं बनाया. वो आज जिस मुकाम पर हैं, उसमें उनके पैरेंट्स का योगदान है. याशी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराना चाहती हैं.
नए पर्वतारोहियों को दी सलाह
याशी ने बताया कि पर्वतारोहण के दौरान बर्फीली पहाड़ियों में जब एलब्रुस फतह करने के लिए चढ़ाई कर रही थी, तभी ठंडी हवाओं के कारण उनके हाथ सुन्न पड़ गए थे और पूरे शरीर में दर्द हो रहा था फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और अपने साथियों के साथ चढ़ाई जारी रखी. याशी ने कहा कि 6 दिनों तक लगातार चढ़ाई के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ और मजबूत होना बेहद जरूरी होता है. जो नए पर्वतारोही बनना चाहते हैं उनसे याशी ने कहा कि मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के बाद ही वे एक अच्छे पर्वतारोही बन सकते हैं. इसके लिए शारीरिक मजबूती के साथ-साथ योगा और मानसिक संतुलन भी बेहद जरूरी है, क्योंकि माउंटेनियरिंग के दौरान मानसिक रूप से संतुलित रहना सबसे ज्यादा जरूरी होता है. याशी ने कहा, उनका सपना है कि सातों महाद्वीप की ऊंची चोटियों पर तिरंगा लहराएं और जल्द ही माउंट एवरेस्ट पर भी चढ़ाई करें.
याशी की उपलब्धियों से माता-पिता खुश
याशी के माता-पिता भी बेटी की इस सफलता से काफी खुश हैं. याशी की मां कहती हैं, जब पहली बार पता चला कि बिटिया माउंटेनियरिंग करना चाहती है तो थोड़ा सा डर लगा, लेकिन अपनी बेटी के हौसले से अब वह डर पूरी तरह से चला गया है. उन्होंने कहा कि इससे भी ज्यादा खुशी तब होगी जब वह एवरेस्ट फतह करेगी. याशी के पिता कहते हैं, हमने बेटी पर कभी दबाव नहीं डाला कि आप यह काम मत करो. उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा बेटी का हौसला बढ़ाया कि वो जो करना चाहती है करे. आज याशी ने देश-दुनिया में न सिर्फ अपने माता-पिता की बल्कि छत्तीसगढ़ का भी नाम रोशन किया है.
ETV भारत के माध्यम से उन्होंने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल और विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत को धन्यवाद देते हुए कहा कि आप लोगों के हौसला अफजाई से ही बिटिया को प्रेरणा मिलती है और वह जल्द ही एवरेस्ट फतह करके छत्तीसगढ़ का नाम दुनिया में रोशन करेगी.