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'स्टंट मैन' जिसे कुछ होने पर न सरकार मुआवजा देती है न कंपनी खर्च उठाती है

जिस मौत के कुएं का खेल देखने हजारों लोग पहुंचते है, उसमें काम करने वाले स्टंट मैन चंद रुपये की खातिर अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का मनोरंजन करते हैं.

मौत के कुएं का खेल
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Published : Nov 19, 2019, 11:59 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 7:11 AM IST

रायगढ़ : इंसान अपने परिवार का पेट पालने के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं. कई ऐसे काम भी होते हैं, जिसमें उन्हें अपनी जान गंवाने का हमेशा डर बना रहता है. लेकिन परिवार के भरण-पोषण के लिए मजबूरी में उन्हें ऐसे काम को भी चुनना पड़ता है. इन्हीं खतरनाक कामों में से एक कम है मौत के कुएं में गाड़ी चलाना.

स्टंट मैन की कहानी

जिस मौत के कुएं का खेल देखने हजारों लोग पहुंचते है, उसमें काम करने वाले स्टंट मैन चंद रुपये की खातिर अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. सीधी सपाट सड़कों पर हादसे में आए दिन लोगों की मौत होते रहती है. ऐसे में यह स्टंट मैन लकड़ी के पट्टे से बनी खड़ी दीवार पर वाहन चलाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं.

जान हथेली पर रखकर करना पड़ता है स्टंट

कई बार हादसे में इनकी जान तक चली जाती है, फिर भी अपने परिवार का भरण-पोषण के लिए यह खतरनाक काम करते हैं. ETV भारत ने इनकी परेशानियों और मजबूरियों को लेकर एक स्टंटमैन आमिर शेख से बात की, जिन्होंने अपने इस अनोखे हुनर के साथ चुनौतियों के बारे में बताया. आमिर शेख ने बताया कि बेहद ही कम उम्र में उन्होंने मौत का कुएं में गाड़ी चलाना शुरू कर दिया था. इसमें एक बार हादसे में आमिर शेख बुरी तरह से घायल होकर कई महीनों तक अस्पताल में बेहोश पड़ा रहा. दुर्घटना के बाद से उनके परिवार वालों ने मौत का कुएं में गाड़ी चलाने से मना कर दिया था, लेकिन परिवार चलाने के लिए आमिर शेख को फिर से यहीं काम शुरू करना पड़ा.

दिन के हिसाब से मिलता है पैसा

आमिर शेख ने बताया कि उनके साथ काम करने वाले कई लोगों की मौत हो गई है, लेकिन जिस संस्था के साथ वो काम करते हैं, वह न तो उनका बीमा कराती है और न ही मौत के बाद कोई आर्थिक मदद करती है. आमिर शेख को गाड़ी चलने के दिन के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं. जिसमें कभी उन्हें एक हजार से 15 सौ रुपए प्रतिदिन की दर से दिया जाता है.

सरकार भी नहीं देती है मुआवजा

मौत का कुआं में चलने वाली गाड़ी को लेकर आमिर शेख ने बताया कि दोपहिया वाहनों में यामहा और चार पहिया में मारुति कार चलाई जाती है, जो दोनों ऑफ डेट होने के कारण बेहद कम कीमत में मिल जाता है. इसमें ज्यादातर गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन रद्द हुआ रहता है, जिससे दुर्घटना में सरकार मुआवजा नहीं देती है.

रायगढ़ : इंसान अपने परिवार का पेट पालने के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं. कई ऐसे काम भी होते हैं, जिसमें उन्हें अपनी जान गंवाने का हमेशा डर बना रहता है. लेकिन परिवार के भरण-पोषण के लिए मजबूरी में उन्हें ऐसे काम को भी चुनना पड़ता है. इन्हीं खतरनाक कामों में से एक कम है मौत के कुएं में गाड़ी चलाना.

स्टंट मैन की कहानी

जिस मौत के कुएं का खेल देखने हजारों लोग पहुंचते है, उसमें काम करने वाले स्टंट मैन चंद रुपये की खातिर अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. सीधी सपाट सड़कों पर हादसे में आए दिन लोगों की मौत होते रहती है. ऐसे में यह स्टंट मैन लकड़ी के पट्टे से बनी खड़ी दीवार पर वाहन चलाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं.

जान हथेली पर रखकर करना पड़ता है स्टंट

कई बार हादसे में इनकी जान तक चली जाती है, फिर भी अपने परिवार का भरण-पोषण के लिए यह खतरनाक काम करते हैं. ETV भारत ने इनकी परेशानियों और मजबूरियों को लेकर एक स्टंटमैन आमिर शेख से बात की, जिन्होंने अपने इस अनोखे हुनर के साथ चुनौतियों के बारे में बताया. आमिर शेख ने बताया कि बेहद ही कम उम्र में उन्होंने मौत का कुएं में गाड़ी चलाना शुरू कर दिया था. इसमें एक बार हादसे में आमिर शेख बुरी तरह से घायल होकर कई महीनों तक अस्पताल में बेहोश पड़ा रहा. दुर्घटना के बाद से उनके परिवार वालों ने मौत का कुएं में गाड़ी चलाने से मना कर दिया था, लेकिन परिवार चलाने के लिए आमिर शेख को फिर से यहीं काम शुरू करना पड़ा.

दिन के हिसाब से मिलता है पैसा

आमिर शेख ने बताया कि उनके साथ काम करने वाले कई लोगों की मौत हो गई है, लेकिन जिस संस्था के साथ वो काम करते हैं, वह न तो उनका बीमा कराती है और न ही मौत के बाद कोई आर्थिक मदद करती है. आमिर शेख को गाड़ी चलने के दिन के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं. जिसमें कभी उन्हें एक हजार से 15 सौ रुपए प्रतिदिन की दर से दिया जाता है.

सरकार भी नहीं देती है मुआवजा

मौत का कुआं में चलने वाली गाड़ी को लेकर आमिर शेख ने बताया कि दोपहिया वाहनों में यामहा और चार पहिया में मारुति कार चलाई जाती है, जो दोनों ऑफ डेट होने के कारण बेहद कम कीमत में मिल जाता है. इसमें ज्यादातर गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन रद्द हुआ रहता है, जिससे दुर्घटना में सरकार मुआवजा नहीं देती है.

Intro:स्पेशल स्टोरी

देशभर में अलग-अलग समय पर अलग-अलग स्थानों में कई तरह के मेले का आयोजन किया जाता है लेकिन उन सभी मेलों में एक खास होता है मौत कुआं का खेल। जिस मौत कुआं का खेल देखने हजारों लोग पहुंचते हैं उसमें काम करने वाला स्टंट मैन चंद रुपयों की खातिर अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का मनोरंजन करते हैं। जहां सीधी सपाट सड़कों में वाहन चलाने से हादसे में आए दिन लोगों की मौत होती रहती है ऐसे में यह स्टंट मैन लकड़ी के पट्टे से बने खड़ी दीवार में वाहन चलाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं। कई बार दुर्घटना में इनकी जान चली जाती है फिर भी अपनी पेट चलाने के लिए पालने के लिए अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए यह काम करते हैं।


Body:ईटीवी भारत से खास बातचीत में ऐसे ही एक स्टंटमैन ने अपने इस अनोखे हुनर का बारे में बताया और जो चुनौतियां उनके सामने आती है उनके बारे में भी बताएं। आमिर शेख ने बताया कि बेहद ही कम उम्र में उन्होंने मौत कुआं में गाड़ी चलाना शुरु कर दिया था एक बार हादसे में बुरी तरह से घायल होकर कई महीनों तक अस्पताल में बेहोश पड़े रहे। इस दुर्घटना के बाद से उनके परिवार वालों ने मौत कुँए में गाड़ी चलाने से मना कर दिए थे लेकिन परिवार चलाने के लिए उन्होंने यह काम फिर से शुरू किया है। आगे उन्होंने बताया कि उनके साथ काम करने वाले कई लोगों की मौत हो गई है लेकिन जिस संस्था के साथ में काम करते हैं वह ना ही उनका जीवन बीमा कराते हैं और ना ही कोई आर्थिक मदद करते हैं। उन्हें गाड़ी चलने के दिन मेहनताना के तौर पर एक हजार से 15 सौ रुपए प्रतिदिन की दर से दिया जाता है। सामान्यता देखा जाए तो एक मौत कुआं में चार से पांच मोटरसाइकिल और कम से कम 2 मारुति कार चलती है जिसमें स्टंटमैन अलग-अलग तरह से करतब दिखाते हैं। कभी बाइक की सीट में बैठकर, कभी हैंडल छोड़कर तो कभी कार से निकल कर करतब दिखाते हैं। लेकिन हमेशा जाकर तक सफल नहीं होता कभी ऐसे भी हादसे हो जाते हैं जिसमें स्टंट मैन की मौके पर ही मौत हो जाती है।


Conclusion:मौत कुआं में चलने वाली गाड़ी को लेकर उन्होंने बताया कि दोपहिया में यामहा की गाड़ी और चार पहिया में मारुति कार चलाई जाती है जो दोनों ऑफ डेट होने के कारण बेहद कम कीमत में मिल जाता है। ज्यादातर गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन रद्द हुआ रहता है ऐसी गाड़ियों में दुर्घटना से शासन मुआवजा नहीं देती इस तरह से संचालक इनके साथ दोहरी चोट करते हैं।
Last Updated : Nov 20, 2019, 7:11 AM IST
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