रायगढ़ : इंसान अपने परिवार का पेट पालने के लिए क्या कुछ नहीं करते हैं. कई ऐसे काम भी होते हैं, जिसमें उन्हें अपनी जान गंवाने का हमेशा डर बना रहता है. लेकिन परिवार के भरण-पोषण के लिए मजबूरी में उन्हें ऐसे काम को भी चुनना पड़ता है. इन्हीं खतरनाक कामों में से एक कम है मौत के कुएं में गाड़ी चलाना.
जिस मौत के कुएं का खेल देखने हजारों लोग पहुंचते है, उसमें काम करने वाले स्टंट मैन चंद रुपये की खातिर अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों का मनोरंजन करते हैं. सीधी सपाट सड़कों पर हादसे में आए दिन लोगों की मौत होते रहती है. ऐसे में यह स्टंट मैन लकड़ी के पट्टे से बनी खड़ी दीवार पर वाहन चलाकर लोगों का मनोरंजन करते हैं.
जान हथेली पर रखकर करना पड़ता है स्टंट
कई बार हादसे में इनकी जान तक चली जाती है, फिर भी अपने परिवार का भरण-पोषण के लिए यह खतरनाक काम करते हैं. ETV भारत ने इनकी परेशानियों और मजबूरियों को लेकर एक स्टंटमैन आमिर शेख से बात की, जिन्होंने अपने इस अनोखे हुनर के साथ चुनौतियों के बारे में बताया. आमिर शेख ने बताया कि बेहद ही कम उम्र में उन्होंने मौत का कुएं में गाड़ी चलाना शुरू कर दिया था. इसमें एक बार हादसे में आमिर शेख बुरी तरह से घायल होकर कई महीनों तक अस्पताल में बेहोश पड़ा रहा. दुर्घटना के बाद से उनके परिवार वालों ने मौत का कुएं में गाड़ी चलाने से मना कर दिया था, लेकिन परिवार चलाने के लिए आमिर शेख को फिर से यहीं काम शुरू करना पड़ा.
दिन के हिसाब से मिलता है पैसा
आमिर शेख ने बताया कि उनके साथ काम करने वाले कई लोगों की मौत हो गई है, लेकिन जिस संस्था के साथ वो काम करते हैं, वह न तो उनका बीमा कराती है और न ही मौत के बाद कोई आर्थिक मदद करती है. आमिर शेख को गाड़ी चलने के दिन के हिसाब से पैसे दिए जाते हैं. जिसमें कभी उन्हें एक हजार से 15 सौ रुपए प्रतिदिन की दर से दिया जाता है.
सरकार भी नहीं देती है मुआवजा
मौत का कुआं में चलने वाली गाड़ी को लेकर आमिर शेख ने बताया कि दोपहिया वाहनों में यामहा और चार पहिया में मारुति कार चलाई जाती है, जो दोनों ऑफ डेट होने के कारण बेहद कम कीमत में मिल जाता है. इसमें ज्यादातर गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन रद्द हुआ रहता है, जिससे दुर्घटना में सरकार मुआवजा नहीं देती है.