रायगढ़: अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट पर बीते चार लोकसभा चुनाव से बाजेपी का कब्जा है. विष्णुदेव साय यहां से वर्तमान में सांसद और प्रदेश के इकलौते केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री भी हैं. इस चुनाव में यह सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनती जा रही है. क्योंकि, 2019 के लोकसभा चुनाव का आगाज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'विजय संकल्प' रैली के रूप में इसी लोकसभा सीट से की है.
सभीविधानसभा सीटों परकांग्रेस का कब्जा
रायगढ़ लोकसभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. रायगढ़ लोकसभा में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं. सभी आठों विधानसभा सीटों पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है. इसमें पांच अनुसूचित जनजाति, एक सीट अनूसूचित जाति और दो सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है.
पैकरा कंवर और राठिया कंवर समाज की निर्णायक भूमिका
रायगढ़ को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. क्षेत्र में जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पैकरा कंवर आदिवासियों की संख्या राठिया कंवर आदिवासियों के मुकाबले लगभग दोगुनी बताई जाती है. वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी और कांग्रेस विधायक लालजीत सिंह राठिया कंवर समाज से हैं. धरमजयगढ़ और खरसिया में राठिया कंवर समाज के लोगों की संख्या ज्यादा है. वहीं वर्तमान सांसद विष्णुदेव साय पैकरा कंवर आदिवासी समाज से आते हैं. जिसकी संख्या लैलूंगा और जशपुर की तीन विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. इस चुनाव में बीजेपी ने नया चेहरा गोमती साय को भी पैकरा कंवर समाज से ही चुना है. जानकार मानते हैं कि, इस समीकरण से ही बीजेपी यहां सफल होती रही है.
बेरोजगारी, अधूरी सड़कें, सड़क, पानी बड़ी समस्या
रायगढ़ संसदीय क्षेत्र में बेरोजगारी, अधूरी सड़कें, सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग आज भी जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं जशपुर और सारंगढ़ के लिए लंबे अरसे से रेल सुविधा की मांग की जा रही है. इसके अलावा यह क्षेत्र प्रदेश में टमाटर उत्पादन में अग्रणी है, बावजूद इसके यहां आज तक फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लगाया गया है. जिससे यहां के किसान भी नाराज हैं.