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आपकी लोकसभा: BJP के लिए 'नाक का सवाल' है ये सीट - बीजेपी

यह सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनती जा रही है. क्योंकि, 2019 के लोकसभा चुनाव का आगाज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'विजय संकल्प' रैली के रूप में इसी लोकसभा सीट से की है. विष्णुदेव साय यहां से वर्तमान में सांसद और प्रदेश के इकलौते केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री भी हैं.

रायगढ़ सांसद विष्णुदेव साय
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Published : Mar 28, 2019, 7:50 PM IST

Updated : Mar 30, 2019, 1:05 PM IST

रायगढ़: अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट पर बीते चार लोकसभा चुनाव से बाजेपी का कब्जा है. विष्णुदेव साय यहां से वर्तमान में सांसद और प्रदेश के इकलौते केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री भी हैं. इस चुनाव में यह सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनती जा रही है. क्योंकि, 2019 के लोकसभा चुनाव का आगाज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'विजय संकल्प' रैली के रूप में इसी लोकसभा सीट से की है.

वीडियो

सभीविधानसभा सीटों परकांग्रेस का कब्जा
रायगढ़ लोकसभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. रायगढ़ लोकसभा में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं. सभी आठों विधानसभा सीटों पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है. इसमें पांच अनुसूचित जनजाति, एक सीट अनूसूचित जाति और दो सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है.

पैकरा कंवर और राठिया कंवर समाज की निर्णायक भूमिका
रायगढ़ को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. क्षेत्र में जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पैकरा कंवर आदिवासियों की संख्या राठिया कंवर आदिवासियों के मुकाबले लगभग दोगुनी बताई जाती है. वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी और कांग्रेस विधायक लालजीत सिंह राठिया कंवर समाज से हैं. धरमजयगढ़ और खरसिया में राठिया कंवर समाज के लोगों की संख्या ज्यादा है. वहीं वर्तमान सांसद विष्णुदेव साय पैकरा कंवर आदिवासी समाज से आते हैं. जिसकी संख्या लैलूंगा और जशपुर की तीन विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. इस चुनाव में बीजेपी ने नया चेहरा गोमती साय को भी पैकरा कंवर समाज से ही चुना है. जानकार मानते हैं कि, इस समीकरण से ही बीजेपी यहां सफल होती रही है.

बेरोजगारी, अधूरी सड़कें, सड़क, पानी बड़ी समस्या
रायगढ़ संसदीय क्षेत्र में बेरोजगारी, अधूरी सड़कें, सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग आज भी जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं जशपुर और सारंगढ़ के लिए लंबे अरसे से रेल सुविधा की मांग की जा रही है. इसके अलावा यह क्षेत्र प्रदेश में टमाटर उत्पादन में अग्रणी है, बावजूद इसके यहां आज तक फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लगाया गया है. जिससे यहां के किसान भी नाराज हैं.

रायगढ़: अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट पर बीते चार लोकसभा चुनाव से बाजेपी का कब्जा है. विष्णुदेव साय यहां से वर्तमान में सांसद और प्रदेश के इकलौते केंद्रीय कैबिनेट में मंत्री भी हैं. इस चुनाव में यह सीट बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनती जा रही है. क्योंकि, 2019 के लोकसभा चुनाव का आगाज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 'विजय संकल्प' रैली के रूप में इसी लोकसभा सीट से की है.

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सभीविधानसभा सीटों परकांग्रेस का कब्जा
रायगढ़ लोकसभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है. रायगढ़ लोकसभा में कुल 8 विधानसभा सीटें हैं. सभी आठों विधानसभा सीटों पर वर्तमान में कांग्रेस का कब्जा है. इसमें पांच अनुसूचित जनजाति, एक सीट अनूसूचित जाति और दो सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है.

पैकरा कंवर और राठिया कंवर समाज की निर्णायक भूमिका
रायगढ़ को छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक राजधानी भी कहा जाता है. क्षेत्र में जातिगत समीकरण की बात करें तो यहां पैकरा कंवर आदिवासियों की संख्या राठिया कंवर आदिवासियों के मुकाबले लगभग दोगुनी बताई जाती है. वर्तमान कांग्रेस प्रत्याशी और कांग्रेस विधायक लालजीत सिंह राठिया कंवर समाज से हैं. धरमजयगढ़ और खरसिया में राठिया कंवर समाज के लोगों की संख्या ज्यादा है. वहीं वर्तमान सांसद विष्णुदेव साय पैकरा कंवर आदिवासी समाज से आते हैं. जिसकी संख्या लैलूंगा और जशपुर की तीन विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में है. इस चुनाव में बीजेपी ने नया चेहरा गोमती साय को भी पैकरा कंवर समाज से ही चुना है. जानकार मानते हैं कि, इस समीकरण से ही बीजेपी यहां सफल होती रही है.

बेरोजगारी, अधूरी सड़कें, सड़क, पानी बड़ी समस्या
रायगढ़ संसदीय क्षेत्र में बेरोजगारी, अधूरी सड़कें, सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग आज भी जद्दोजहद कर रहे हैं. वहीं जशपुर और सारंगढ़ के लिए लंबे अरसे से रेल सुविधा की मांग की जा रही है. इसके अलावा यह क्षेत्र प्रदेश में टमाटर उत्पादन में अग्रणी है, बावजूद इसके यहां आज तक फूड प्रोसेसिंग यूनिट नहीं लगाया गया है. जिससे यहां के किसान भी नाराज हैं.

Intro:.रायगढ़ लोकसभा,
अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित लोकसभा सीटों में से एक रायगढ़ लोकसभा। पिछले 4 लोकसभा चुनाव में यहां पर भाजपा के सांसद विष्णुदेव साय ने जीत हासिल की है.

मतदाता,
चुनाव 2014 में 16 लाख 25 हजार 604 मतदाता थे इसमें से 12 लाख 46 हजार 135 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। वर्तमान 2019 में जनसंपर्क विभाग के अनुसार लगभग 1 लाख 1 हजार युवा मतदाता जुड़े हैं। इस वजह से संसदीय क्षेत्र में 17 लाख 27 हजार 327 मतदाता है जो  इस चुनाव में भागीदारी करेंगे 10 अप्रैल तक नाम जुड़ने और कटने का सिलसिला चलत रहेगा। 


वर्तमान में रायगढ़ लोकसभा में 8 लाख 79 हजार 584 महिला और 7 लाख 94 हजार 727 पुरुष मतदाता हैं जो इस चुनाव मे मताधिकार का उपयोग करेंगे।





Body:.आदिवासी सीट,

रायगढ़ लोकसभा आदिवासी बहुल क्षेत्र है। इसमें विधानसभा की 8 सीटों में से पांच सीटें अनुसूचित जनजाति, एक सीट अनूसूचित जाति और दो सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हैं. जिनमें जशपुर नगर(एसटी), लैलुंगा(एसटी), खरसिया, कुनकुरी(एसटी), रायगढ़, धरमजयगढ़(एसटी), पत्थलगांव(एसटी), सारंगगढ़(एससी) शामिल हैं.

जातिगत समीकरण,

जातिगत समीकरण का असर. संसदीय क्षेत्र में पैकरा कंवर आदिवासियों की संख्या राठिया कंवर आदिवासियों के मुकाबले लगभग दो गुनी है। लालजीत, राठिया कंवर समाज से हैं, इनकी बहुलता धरमजयगढ़ और खरसिया में है। विष्णुदेव साय पैकरा कंवर आदिवासी हैं अब इस लोकसभा सीट से भाजपा की तरफ से गोमती साय भाजपा के प्रतिनिधित्व करते हुए उम्मीदवार हैं इनकी बहुलता लैलूंगा के साथ ही जशपुर की तीनों सीटों में है। जानकार इस समीकरण को ही विष्णुदेव साय की सफलता की वजह मानते हैं लेकिन अब गोमती साय जशपुर से इस लोक सभा सीट पर भाजपा की कमान संभाल रही है देखना होगा उनको कितना लाभ मिलता है।


प्रमुख मुद्दे,


रायगढ़ संसदीय क्षेत्र के प्रमुख मुद्दा. यहां बेरोजगारी, अधूरी सड़कें, सड़क, पानी, बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए लोग जद्दोजहद कर रहे हैं। जशपुर व सारंगढ़ में लंबे अरसे से रेल सुविधा की मांग पर अनदेखी, टमाटर उत्पादन क्षेत्र होने के बाद भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट का अभाव, हाथी कॉरीडोर वाले इस क्षेत्र में हाथियों के आतंक का अंत न होने से क्षेत्र के लोगों में नाराजगी। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर विकल्प का अभाव, अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी जैसे कई प्रमुख मुद्दे हैं। 



कांग्रेस प्रत्याशी,


रायगढ़ जिले धर्मजयगढ़ के छाल उनका गांव है,  लालजीत सिंह राठिया पेशे से किसान आदिवासी नेता है। पिता का नाम चनेश राम राठिया है। मुख्य व्यवसाय कृषि है रायगढ़ जिले के धरमजयगढ़ विधानसभा से दूसरी बार विधायक है. आदिवासी समाज में लाजित का अच्छा खासा नाम है. मध्यप्रदेश (अविभाजित) के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश में जिस पार्टी की सरकार रही है लोकसभा सीटें उसी पार्टी ने ज्यादा जीती हैं। इस लिहाज से लालजीत के लिए संभावना अच्छी है। 


लालजीत राठिया के खास बातें,


रायगढ़ संसदीय क्षेत्र में ऐसा दूसरी बार हो रहा है जब कांग्रेस ने अपने वर्तमान विधायक को टिकट दिया है। इसके पहले 2009 आम चुनाव में तत्कालीन लैलूंगा विधायक हृदय राम राठिया को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन भाजपा के विष्णुदेव ने उन्हें 54 हजार से भी अधिक वोटों से हराया था। रायगढ़-जशपुर की 8 में से 5 विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट है। वर्तमान में 8 सीटों पर कांग्रेस का ही कब्जा है। दिग्विजय सिंह के बाद अजीत जोगी की सरकार में लालजीत के पिता चनेश राम राठिया मंत्री रहे। लगातार छह बार विधायक रहे चनेश की आदिवासी समाज में अच्छी पकड़ है।

भाजपा प्रत्याशी,

भाजपा प्रत्याशी गोमती साय का राजनीति में कद बेहद ही सामान्य है वह जशपुर जिले के जिला भाजपा के अध्यक्ष और आदिवासी नेता के रूप में जाने जाते हैं। गोमती साय भी विष्णुदेव साय के पैंकरा कंवर आदिवासी समुदाय से आते हैं जिसका लाभ उन्हें इस लोकसभा चुनाव में मिल सकता है।




Conclusion: रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र के लोगों से उनके सांसद को लेकर चर्चा किए तब ज्यादातर लोगों का कहना है कि जो क्षेत्र में विकास की बात करें और मूलभूत सुविधाएं देने की बात करें हम उनको अपना सांसद चुनेंगे।
Last Updated : Mar 30, 2019, 1:05 PM IST
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